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साहित्य आजतक के मंच पर अनामिका और नेहा आमने-सामने, यूपी में 'का बा' और 'बाबा' पर भिड़ंत

Sahitya Aaj Tak 2022: कवि और लेखक नेहा सिंह राठौर ने न्यूट्रल की बात पर की और कहा- जब मैंने का बा गाया था, तो लोगों ने कहा कि ये तो आरजेडी की एजेंट है. अब देखिए लोगों का भोलापन, उस गाने में एक लाइन ये भी है कि 15 साल चच्चा रहले, 15 साल पप्पा, तबऊ ना मिटल बेरोजगार बा.... बिहार में का बा.... दूसरी चीज मुझे लगता है कि मैं न्यूट्रल हूं.

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साहित्य आजतक के मंच पर कवयित्री नेहा सिंह राठौर और अनामिका जैन 'अंबर'.
साहित्य आजतक के मंच पर कवयित्री नेहा सिंह राठौर और अनामिका जैन 'अंबर'.

Sahitya Aaj Tak 2022: ठीक दो साल बाद साहित्य आजतक का मंच एक बार फिर सज गया है. शनिवार को दूसरे दिन भी दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में साहित्य के शौकीनों की भीड़ देखने को मिल रही है. आज साहित्य के इस महाकुंभ में 'राजनीति में का बा' प्रोग्राम में कवयित्री अनामिका जैन 'अंबर' और कवयित्री-गायक नेहा सिंह राठौर ने हिस्सा लिया. दोनों ने खुलकर चर्चा की और अपनी बात रखी. सवालों के जवाब दिए.

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नेहा सिंह राठौर ने पॉलिटिकल होने और विरोध होने के आरोप पर कहा- बिल्कुल विरोध होता है. लोग बीजेपी विरोधी कहते हैं. ये हमेशा योगी-मोदी की आलोचना करती है. अभी आप की आलोचना कर दी तो लोग कहने लगे कि ये आप की विरोधी है. लेकिन मैं कहना चाहती हूं कि मैं किसी विरोधी नहीं हूं. मैं जनता की तरफ से गाती हूं. अनामिका जैन को तंज कसा और कहा- दो तरह के कवि होते हैं. एक सरकारी कवि और एक लोक कवि. 

मैं किसी पार्टी की प्रवक्ता नहीं हूं: बोलीं अनामिका जैन 

अनामिका ने कहा कि मैं किसी पार्टी की प्रवक्ता नहीं हूं. वो जो सही है, उसे भी देखा जाए, जगह जगह टोल, सड़कें बन रही हैं. सरकारी आंकड़ों में बेरोजगारी हो सकती है. हमें भी अपने कदम आगे बढ़ाने होंगे. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद लाल चौक पर वंदेमातरम के नारे गूंजेंगे. विरोध के बारे में अनामिका ने कहा कि अच्छी बात कहते हैं तो लोग बोल देते हैं कि सरकारी. स्वीकारोक्ति बड़ी बात होती है. हम देखते हैं कि सरकार और राजनीति में क्या चल रहा है. राजनीति में कहां अच्छो हो रहा है, हम बात को भी देखते हैं. कहां अच्छा नहीं हो रहा है, हम उसे भी कहते हैं. दोनों भी बातों को करते हैं. जिसे जो मन की बात अच्छी लगती है, वो उसे छांट लेता है और वायरल कर देता है. उन्होंने कहा- एक बात मानने में मुझे कतई गुरेज नहीं है कि मैं न्यूट्रल नहीं हूं. मां शारदे ने कलम दी है तो इस तरह की बातों का सामना करते हुए आगे बढ़ रहे हैं.

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मुझे आरजेडी का एजेंट कहा गया: नेहा सिंह

न्यूट्रल की बात पर नेहा सिंह ने कहा- जब मैंने का बा गाया था, तो लोगों ने कहा कि ये तो आरजेडी की एजेंट है. अब देखिए लोगों का भोलापन, उस गाने में एक लाइन ये भी है कि 15 साल चच्चा रहले, 15 साल पप्पा, तबऊ ना मिटल बेरोजगार बा.... बिहार में का बा.... दूसरी चीज मुझे लगता है कि मैं न्यूट्रल हूं. दिल्ली में लिक्विर पॉलिसी पर एक गीत लिखा है आम आदमी पार्टी पर. उन्होंने कहा कि जो सत्ता में रहेगा, सवाल उसी से किया जाएगा. 

अनामिका ने कहा कि हां ये बात सही है कि जो सत्ता में रहेगा, सवाल उसी से किया जाएगा लेकिन देखा ये जाएगा कि सत्ता में ऐसा कौन सा विशेष है जो विशेष ही सवाल किया जाएगा. और भी जगह सत्ता है. और भी जगह लोग हैं. उनसे सवाल क्यों नहीं होता है. वहीं सवाल क्यों होता है, जहां सरकार विशेष है. 

चुनाव के समय हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है

नेहा ने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि चुनाव का समय बहुत संवेदनशील रहता है. यही वो समय होता है जब हम अपनी शिकायतें सरकार के सामने रख सकते हैं. अन्यथा तो कोई पूछने वाला नहीं होता है. कौन सुनता है जी? कोई सुन रहा है किसी की बात? चुनाव के समय इन लोगों की पूछ दबी रहती है, उन्हें डर रहता है कि इनकी बात नहीं सुनेंगे तो ये वोट नहीं देंगे. खूब लोड लेते हैं जनता का. तभी तो उनके बीच वोट मांगने जाते हैं. इसी समय हम कलाकारों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है, ना कि सरकारी कवि-कवयित्रियों की तरह गाने लग जाएं.

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नेहा

नेहा ने कहा कि मैं यहां किसी को ट्रोल नहीं कर रही हूं. मैं जो हूं, वही आप सबको बता रही हूं. मैं न्यूट्रल हूं. मैं खुद को लोक गायिका कहती हूं. सच्चा कलाकार लोक के हितों से समझौता नहीं कर सकता है. वो मैं अपना काम करती हूं.

व्यवस्था के विरुद्ध लिखना बहुत बड़ी बात

अनामिका ने कहा कि व्यक्तिगत होना बहुत आसान है. मैं फिर कहती हूं कि एक व्यवस्था के विरुद्ध लिखना बहुत बड़ी बात है. व्यवस्था के विरुद्ध मैंने ही लिखा है. ऐसा नहीं कि किसी एक के पक्ष में लिखा और किसी दूसरे के विपक्ष में. मैंने जो देखा, वही लिखा. किसी एक के विरोध में लिखना भी लोग देखते हैं. बंगाल में चुनाव हुए और लोगों ने देखा. मन के पचझड़ से क्या होगा, अब तो रितु मधुमासी देखो. भाग्य देश का लिखने वाले सत्ता में संन्यासी देखो. बार बार के जनादेश ने तुमको उत्तर यही दिया- अब ये काबा काबा छोड़ो- रंग बदलती काशी देखो.

मैंने स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ की: नेहा

नेहा ने कहा कि मैंने बंगाल चुनाव पर भी लिखा था. मैं भी काशी गई हूं. वहां अच्छा लगा. उन्होंने बताया कि मेरे पहले गीत की शुरुआत भी मोदी के समर्थन में थी. स्वच्छ भारत मिशन का समर्थन करना अच्छी बात है. मैंने इसका समर्थन किया. लेकिन किसी राग को नहीं अलापती रहूंगी. अनामिका ने कहा कि मैं भी यही बताना चाहती हूं कि अच्छी बात का समर्थन करना सरकारी कवि नहीं होता है. नेहा ने जवाब दिया कि चुनाव के समय? इस पर अनामिका का कहना था कि समय देखकर कविता नहीं लिखी जाती है. कविता तो कविता होती है. 

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मेरे गीत से विधायक और मंत्री नाराज हो जाते हैं

नेहा सिंह राठौर ने कहा-  यूपी में का बा गाना बहुत पसंद किया गया. सांसद से लेकर विधायक तक ने जवाब दिया. मेरे गाने से मंत्री, विधायक नाराज हो जाते हैं. उन्होंने गाना गुनगुनाया- खत्म रोजगार बा, बाबा के दरबार बा... यूपी में का बा... इस पर अनामिका जैन 'अंबर' ने कहा- पूछा गया था कि यूपी में का बा... तो बताना चाहती हूं कि इतने प्रश्नों में घिरकर भी पुन: समर्थन पा गए, तुम का-बा, का-बा करते रह गए, बाबा फिर से आ गए. ये तो तय है कि यूपी में का बा का मतलब यूपी में बाबा है. आगे कहा- कुछ लोगों ने शोर मचाया सिर्फ विरोधी सांस बने, हमने दिल में दर्पण रखा जनता की आवाज बने. और जनता ने एक समय में ये बताया भी था. यहां काशी और मथुरा की बात आई तो बताना चाहती हूं- साइकिल, हाथी, पंजा-मंजा जोर-जोर से भागे, बैठकर बुलडोजर पर बाबा निकले सबसे आगे... जोगीरा शारारा... पूछ रहे थे लोग जो हमसे यूपी में है का बा... हम पहले ही बता चुके थे यूपी में हैं बाबा.... 

अनामिका ने मथुरा और काशी पर कहा- बृजमंडल में भी भक्ति का अबके रंग चढ़ेगा, कान्हाजी की जन्मभूमि पर मंदिर भव्य बनेगा.... ज्ञानवापी के शिव शंभू ने सुन ली अर्ज हमारी, श्रीराम को धाम मिला है, अब कान्हा की बारी... जोगीरा शारारा...

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अंबर

जौन जे इते काबा काबा लगे चिल्लयाबे, उन्हे हम इते आए बताबे, इतै नइयां कछू दिखावा, कायके यूपी में बाबा हैं यूपी में बाबा....गोरखपुर को जो संन्यासी, मन में लेके मथुरा काशी, जबसे लखनऊ में जा बैठे, यूपी भर की मिटी उदासी. राजमहल खों मंदिर कर दओ, जब जनता को मिलो बुलावा, कायके यूपी में बाबा हैं यूपी में बाबा....

नेहा ने कहा कि आज हम बेरोजगारी पर गीत गा रहे हैं. भीख नहीं, हक सरकार मांगेला... बेरोजगार वानी साहिब, रोजगार मांगेला... दो करोड़ नौकरी देवे का रहे वादा, नून, तेल पैसा उधार नहीं मांगेला.... देश की इकोनोमी की बैठ गई भट्टा...

सामने से कह सको, वो औकात होनी चाहिए

अनामिका जैन ने नेहा के तंज पर जवाब दिया और कहा- बात में कुछ बात हो, वो बात होनी चाहिए, जीत होनी चाहिए या मात होनी चाहिए. पीठ पीछे कुछ भी कहना तो बहुत आसान है, सामने से कह सको वो औकात होनी चाहिए. उन्होंने कहा- कवि और कविताओं को एक दर्पण कहा जाता है. कुरूप है तो कुरूप दिखाई दे. बित्ते होकर खुद को गज का नाप समझने लगते हैं, जरा बड़े हों बच्चे खुद को बाप समझने लगते हैं. एक दो चींटी जिनकी अंबर राह छोड़कर गुजर गई, वही केंचुए खुद को अक्सर सांप समझने लगते हैं. एक जो बदलाव आया है, वो है- खुद की खातिर जीते थे, अब देश पर मरना सीख गए. मझजारों में कफन बांधकर उतरना सीख गए. कल तक जुगनु भी हमको धमका देते थे, अब हम सूरज से आंख मिलाकर बातें करना सीख गए. 
 

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