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'मैंने भगवान राम को देखा है, वो 3 साल का बच्चा...', साहित्य आजतक में बोले जगद्गुरु रामभद्राचार्य

Sahitya Aaj Tak 2023: साहित्य आजतक में जगदगुरू ने कहा- मैंने भगवान राम को बहुत निकट से देखा है. मैं उन्हें रमणीकता से देखता हूं, दिव्य कपोल, मंद मुस्कान, नीले शरीर पर पितांबर, मानो तिसी के फूल पर किसी ने सरसों का पराग लेप दिया हो. यहां उन्होंने राम जन्मभूमि से जुड़े आंदोलन के किस्से भी सुनाए

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जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य
जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य

हमेशा की तरह इस साल भी एक बार फिर शब्द-सुरों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2023' दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में शुरू हो चुका है. शुक्रवार 24 नवंबर से शुरू हुआ 'साहित्य आजतक' देश में भारतीय भाषा में आयोजित होने वाले किसी भी साहित्यिक मेले से न केवल बड़ा है, बल्कि हर साल अपने स्वरूप में और विराट होता जा रहा है. 3 दिन तक चलने वाले इस शब्द-सुरों के इस कार्यक्रम में कई दिग्गज शिरकत कर रहे हैं. आज कार्यक्रम के दूसरे दिन दिन के एक सेशन 'वेद वेदांत और भारत' में आध्यात्मिक नेता, शिक्षक, संस्कृत विद्वान, लेखक और कथा कलाकार जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य पहुंचे.

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'भगवान राम का नमक खाया है मैं गवाही दूंगा'

यहां जगद्गुरु ने राम मंदिर से चर्चा शुरू की. उन्होंने कहा- जनवरी में राम मंदिर का उद्घाटन होना है. ये मेरे जीवन का ये सबसे महत्तम क्षण होगा. उसी समय मैं 75 साल का हो जाऊंगा. 1984 से अब तक राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ा रहा और पुलिस के डंडे खाए. गवाही भी दी और हमको हमारी रामजन्म भूमि मिल गई. इस महोत्सव को खुद राम लला ही मना रहे हैं.

उन्होंने कहा रामजन्म भूमी के इस आंदोलन के समय जब सभी पीछे हट गए थो तो मैंने कहा था- मैंने भगवान राम का नमक खाया है मैं गवाही दूंगा. लोगों ने कहा कि आपके पास आंखें नहीं हैं तो गवाही कैसे देंगे? मैंने कहा- शास्त्र ही सबके नेत्र हैं जिसके पास शास्त्र नहीं वो अंधा है. इसलिए मैं और मेरे लोग कभी मुझे अंधा नहीं मानते. हर कक्षा में मैं 99 प्रतिशत से कम अंक कभी लाया नहीं. मैं बिना आंखों के सब देख लेता हूं.

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भगवान राम कैसे दिखते हैं?

जब जगद्गुरु से पूछा गया कि साधारण लोगों ने तो केवल तस्वीरें और मूर्तियां देखी हैं. आप बताएं कि भगवान राम कैसे दिखते हैं? इसपर जगदगुरू ने कहा- मैंने भगवान राम को बहुत निकट से देखा है. मैं उन्हें रमणीकता से देखता हूं, दिव्य कपोल, मंद मुस्कान, नीले शरीर पर पितांबर, मानो तिसी के फूल पर किसी ने सरसों का पराग लेप दिया हो. जगद्गुरु ने कहा एक समय भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने कहा था कि मैं आपकी आंखें ठीक करा सकती हूं. तो मैंने कहा था- मैं इस संसार को नहीं देखना चाहता हूं.

'मैंने तो भगवान राम को देखा  है- वो तीन साल का बच्चा'

उन्होंने कहा- मैंने तो भगवान राम को देखा है. एक घटना बताता हूं, कोई असत्य न समझे, मैं झूठ नहीं बोलता. उत्तर प्रदेश के उन्नाव में मेरी कथा थी तब टेंट में रहना पड़ा था. सुबह के समय सभी साथी काम में व्यस्त थे. मैं लघुशंका को जाते हुए रास्ता भूल गया. वहां मैंने देखा कि 3 साल का बच्चा मुझे हाथ पकड़कर बाथरूम में ले गया और क्रिया संपन्न होने के बाद हाथ पकड़कर वापस लाया. मैंने उसे पकड़ना चाहा तो वह पकड़ में नहीं आया. आज भी मैं उस राजाधिराज राम के चरणों में झुकना और उन्हें दुलारना चाहता हूं.

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'राम के लिए पुलिस में मारा था डंडा, 8 दिन बिताए जेल में'

जगद्गुरु ने आंदोलन का किस्सा सुनाते हुए कहा कि राम मंदिर के लिए मुहीम के दौरान पुलिस ने लाठी चार्ज किया तो सब हट गए मैं नहीं हटा. पुलिस ने मेरे हाथ पर डंडा मारा जिससे मेरी दाहिनी कलाई हमेशा के लिए टेढी हो गई है. उन्होंने बताया कि मुझे 8 दिन जेल में रखा गया. तब नरसिंहा राव की सरकार में गृहमंत्री पाटिल ने मुझे जेल से बाहर निकलवाया. जेल में 8 दिन बहुत अच्छे रहे. मेरी बहन मुझे खाना भेजती थी. वहीं पर रामायण का पाठ करता था.उसी का सब फल है. उन्होंने कहा- अब हम मंजिल पर पहुंच गए तो सोचकर आंसू आ जाते हैं.

'मुझे चुप कराने को दिए गए थे 45000 डॉलर'

रामजन्म भूमि से जुड़े मुकदमे और गवाही के बारे में बात करते हुए जगद्गुरु ने कहा कि राम मंदिर के मामले में जब गवाही हुई तो एक जज ने कहा- आप डिवाइन पावर हैं गुरुजी. वह एक मुस्लिम जज था. गुरुजी से पूछा गया कि कहा जाता है कि गवाही के वक्त लोगों को लगा कि आप नहीं बल्कि भगवान राम आए हैं साक्षात? इसपर जगद्गुरु ने बोलना शुरू किया- 2003 का जुलाई था, हल्की बरसात थी. मेरी गवाही के समय खचाखच परिसर भरा था. वहां 300 वकील थे.  मालूम पड़ा कि मुझे चुप कराने के लिए 45000 डॉलर दिए गए थे. लेकिन कोई कुछ नहीं कर पाया.

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'तब मुस्लिम जज ने कहा- यू आर अ डिवाइन पावर गुरुजी'

उन्होंने कहा विपक्षी वकील ने पूछा कि क्या राम चरित मानस में इस रामजन्म भूमि का प्रमाण है? तो मैंने बताया कि कहां किस जगह पर इसका जिक्र है. इसके बाद उन्होंने पूछा कि क्या प्रमाण है कि तो मैंने कहा - कहते हैं कि ईशामसीह का जन्म एक कुंवारी कन्या से हुआ तो इसका क्या प्रमाण है? लेकिन हमने सवाल नहीं किया. राम जन्म भूमि का स्थान वह है जहां 5 खास ग्रहों की दृष्टी पड़ती है. मेरी कही ये बात बाद में शास्त्रों में सच निकली. विपक्षी वकील ने मुझसे पूछा- वेद में रामजन्म भूमि का क्या प्रमाण है. मैंने बताया कि किस जगह और किस पष्ठ पर अर्थव वेद में इसका प्रमाण है. इसी के बाद बेंच के एक मुस्लिम जज ने कहा था- यू आर अ डिवाइन पावर गुरुजी

'राजीव गांधी को पसंद करता हूं कांग्रेस को नहीं'

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर जगद्गुरु ने कहा - मोदी जी 1988 से मेरे मित्र हैं जब आडवाणी जी कि रथयात्रा निकली थी. हम मिलते हैं तो एकदम दोस्त, न कोई जगदगुरू न कोई प्रधानमंत्री. अब मित्रों की बात सार्वजनिक तो नहीं की जा सकती. इसके अलावा उन्होंने कहा कि निजी रूप से मैं राजीव गांधी को पसंद करता रहा हूं लेकिन उनकी पार्टी  कांग्रेस अच्छी नहीं थी क्यों कि कांग्रेस का काम सनातन धर्म का विरोध करना ही रहा है. जब कोई सनातन धर्म पर उंगली उठाएगा मैं उग्र होउंगा.

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उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने एक बार कहा था कि अयोध्या में राम  पैदा ही नहीं हुए. तब मैंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह  को खत लिखकर कहा था कि ये बात सोनिया जी कहतीं तो मान सकता था कि उन्हें ज्ञान नहीं है लेकिन आपके गुरुग्रथ साहिब में जाने कितनी बार राम का नाम आया है. भारत से र हटा दो तो भात रह जाएगा जिसे लोग खा जाएंगे.

22 भाषाएं बोलते हैं और लिखी हैं 230 किताबें

जगद्गुरु ने बताया कि वे नेत्रहीन होते हुए भी वे 22 भाषाएं बोल सकते हैं और 230 पुस्तक लिख चुके हैं. उनकी एक किताब में तो 10 हजार से भी ज्यादा पेज हैं. उन्होंने बताया कि ये किताब मैंने अष्टाधायी पर लिखी है. इसमें मैंने 50 हजार स्लोक लिखे हैं. कैसे लिखा ये मैं नहीं जानता.

हनुमान चालीसा में निकालीं 4 गलतियां 
 
उन्होंने बताया कि उन्हें विवादों से डर नहीं लगता बल्कि उन्हें तो कंट्रोवर्सी पसंद है. उन्होंने कहा- जो संघर्ष करता है उसी का उत्कर्ष होता है.  जगद्गुरु से पूछा गया कि आपने तो हनुमान चालीसा में भी 4 गलतियां निकलीं थी? इसपर उन्होंने कहा- ये तुलसीदास जी की नहीं प्रेस वालों की गलती है. सही चार लाइनें यह हैं- शंकर सवन केसरी नंदन/ सबपर राम राय सिर ताजा/सादर हो रघुपत के दासा/ यह सतबार पाठ कर जोई. उन्होंने बताया ये तो कुछ भी नहीं राम चरित मानस में तो प्रेस ने 4200 गल्तियां की हैं. मैंने संपादन किया तो मुकदमा चला लेकिन बेंच ने मेरे पक्ष में फैसला सुनाया.

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'100 साल तो जियूंगा ही 25 साल और मिल जाएं तो...'

अंत में जगद्गुरू ने कहा- मैं 140 करोड़ भारतीयों से कहता हूं. सनातन को न भी मानें तो भारत को माता मानना होगा. जो भारत को माता मानेगा वह प्रकृति से छेड़छाड़ नहीं करेगा. भारत विश्व में सोने की चिड़िया नहीं स्वर्ण का सिंह बनेगा. जरूरी है कि बचपन प्रबुद्ध करो, यौवन सिद्ध करो और बुढ़ापे को शुद्ध करो. साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे लंबे जीवन की इच्छा है. 100 साल तो जियूंगा ही 25 साल और मिल जाएं तो राम चरित मानस पर काफी काम करना है. राम चरित मानस  को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कराने का मन है.
 

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