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दिल्ली में साहित्य और सिनेमा की हस्तियों से मिलने का मौका, एंट्री बिल्कुल फ्री

मेनस्ट्रीम मीडिया पर अकसर ये इल्जाम लगता है कि वह साहित्य और संस्कृति के लिए कुछ नहीं करते. बदलाव की शुरुआत हो चुकी है. आज तक के इस उत्सव के जरिए. यहां आपको क्यों आना चाहिए. नंबर जल्द समझ आते हैं, इसलिए पांच प्वाइंट्स में समझा देते हैं.

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नंबर-1 न्यूज चैनल की पहल ‘साहित्य आज तक’, दिल्ली में महासम्मेलन
नंबर-1 न्यूज चैनल की पहल ‘साहित्य आज तक’, दिल्ली में महासम्मेलन

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साहित्य आज तक. देश के नंबर एक न्यूज चैनल आज तक की पहल. किस्सेे, कविताएं, कहानियां लिखने पढ़ने वालों का समागम. देश की राजधानी दिल्ली में. दिन शनिवार-रविवार. तारीख 12-13 नवंबर 2016. समय सुबह 11 बजे से. जगह इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स. इंडिया गेट के बगल में. शेड्यूल जानने के लिए यहां क्लिक करें.

सबसे अच्छी खबर. दो दिन के इस उत्सव के लिए कोई एंट्री फीस नहीं. बस एक क्लिक और आपको मिल जाएगा इनवाइट. इसके लिए यहां क्लिक करें .

पहले लोग खूब पढ़ते थे. थोड़ा लिखते थे. और सोच समझकर बोलते थे. अब ये क्रम उलटा हो गया. तो क्या करें. कैसे क्रम वापस दुरुस्त हो. इसके लिए जरूरी है कि हम लिखे की ओर लौटें. लिखना ठहरकर सोचने और समझने की मांग करता है. ये आपसे पूछता है कि आपके घर में सोने का कमरा, नहाने का कमरा है तो फिर किताबों का कमरा क्यों नहीं. ये जानना चाहता है. आखिरी बार आपने अपनी जेब से किसी किताब के लिए कब रकम निकाली. कब कार्ड स्वाइप किया. कब अमेजॉन या फ्लिपकार्ट की किताबों वाली डिलीवरी आई. या फिर यूट्यूब और फेसबुक पर आखिरी बार कब कविता पढ़ी देखी सुनी. ऐसा नहीं कि हम समझते नहीं. ऐसा भी नहीं कि हम सराहते नहीं. बस वो पुश. वो कोशिश नजर नहीं आती.

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कोशिश हो इसके लिए एक बड़ी कोशिश कर रहा है आज तक. मेनस्ट्रीम मीडिया पर अकसर ये इल्जाम लगता है कि वह साहित्य और संस्कृति के लिए कुछ नहीं करते. बदलाव की शुरुआत हो चुकी है. आज तक के इस उत्सव के जरिए. यहां आपको क्यों आना चाहिए. नंबर जल्द समझ आते हैं, इसलिए पांच प्वाइंट्स में समझा देते हैं.

1. साहित्य की बड़ी हस्तियों से मुलाकात
प्रेम के कवि केदारनाथ सिंह. जो लिखते हैं.
तुम्हारा हाथ अपने हाथ में लेकर मैंने जाना.
दुनिया को भी हाथ की तरह गर्म और मुलायम होना चाहिए.

किस्सागो और कवि उदय प्रकाश. जिन्होंने वारेन हेस्टिंग्स के सांड से लेकर दिल्ली की दीवार तक यथार्थ के तिलिस्म के सब ताले खोले हैं. जिन्होंने कुछ बन जाते हैं जैसी अमर प्रेम कविता लिखी. अशोक वाजपेयी. जिन्हें आईएएस अधिकारी रह चुके एक बूढ़े के तौर पर कोई याद नहीं करता. सब साहित्य, कला और संगीत के किस्सों की पोटली लादे एक सफेद सन से बालों वाले शख्स के तौर पर याद करते हैं. इनको आप सुनेंगे. इनसे आप मिलेंगे. इनकी किताबों से भी इंट्रो होगा.

मगर क्या सिर्फ बड़े या कि बुजुर्ग साहित्यकार ही आएंगे यहां. नहीं. यहां पर नौजवान लिक्खाड़ भी होंगे. दिव्य प्रकाश दुबे, निखिल सचान और सत्या व्यास की नई पलटन. हिंदी के महंतों को हिला देने वाली कविताई कर मशहूर हुईं शुभम श्री. या फिर वो महिला जिनकी किताब का सब बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. एक पतनशील पत्नी के नोट्स नाम के नॉवेल के साथ दस्तक देने जा रही नीलिमा चौहान. सब मिलेंगे. आप सबको सुनेंगे. सबसे सवाल पूछेंगे.

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2. सिनेमा की वो हस्तियां जो हमारे लिए जुमले और गीत गढ़ते हैं
आज तक ये मानता है कि समाज के लिए भाषा गढ़ने का काम सबसे ज्यादा सिनेमा कर रहा है. कब एक आशिक के खत में फिल्म का गाना कविता बन आ जाता है. कब एक कैंटीन में क्राइसिस सिचुएशन एक फिल्म के डायलॉग से बयान होती है. कौन जानता है? सब जानते हैं. मगर साहित्य के पुराने लोग कम मानते हैं. हम मानते हैं, इसलिए अमर डायलॉग लिखने वाले, गाने लिखने वाले. ऐड लिखने वाले लोगों को लेकर यहां जुट रहे हैं.

साहित्य आज तक में आपकी मुलाकात होगी जावेद अख्तर से. मेरे पास मां है वाला तो पुराना हो गया. दिल चाहता है भी पिछली पीढ़ी के हिस्से आया. नई पीढ़ी तो जिंदगी न मिलेगी दोबारा का मंतर जप रही है. तो जिंदा हो तुम कर रही है. इन सबमें कॉमन थ्रेड हैं जावेद उर्फ जादू.

अनुराग कश्यप. जिसकी फिल्में, जिसके फॉलोअर पगले हैं. और अपनी दीवानगी में मस्त हैं. एक अलग ही दुनिया के बाशिंदे हैं ये सब. अनुराग बताएंगे. कि नॉर्थ इंडिया में प्यार, पावर और पैसे की जबान क्या है. मुहावरे क्या हैं. सिनेमा कैसे लोगों से कच्चा माल पाता है. ताकत पाता है. ताजगी पाता है.

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जिस कवि की कल्पना में जिंदगी हो प्रेम गीत लिखने वाले पीयूष मिश्रा होंगे. ठंडा मतलब कोका कोला लिखने वाली प्रसून जोशी होंगे. तनु और मनु को पहली और रिटर्नस यानी दूसरी में बोल देने वाले गीतकार राजशेखर होंगे. राज ने ही नीतीश कुमार के पॉलिटिकल कैंपेन को धार दी थी. बिहार में बहार है लिखकर.

3. किताबें. सबकी सब. सामने. डिस्काउंट के साथ. दस्तखत के साथ
साहित्य आज तक में हिंदी-अंग्रेजी के सभी बड़े प्रकाशक शिरकत कर रहे हैं. वे आएंगे. आपके चहेते राइटर्स की किताबें लेकर. उन किताबों में खिड़कियां हैं. जिनके पार जाकर आप एक नई दुनिया देख सकते हैं. और पहले पन्ने पर उन्हें लिखने वालों के दस्तखत हो सकते हैं. क्योंकि तमाम साहित्यकार इस उत्सव में अपने रीडर्स के लिए उपलब्ध होंगे.

हम कोशिश कर रहे हैं कि सभी प्रकाशक साहित्य आज तक में आए लोगों को इन किताबों पर अच्छा डिस्काउंट भी दें.

4. एक लाख रुपये जीतने का मौका
हिंदी में एक लल्लनटॉप कहानी लिखो. 1 लाख रुपये जीतो. ये मुमकिन है. सिर्फ साहित्य आज तक में. कहानी कंपटीशन में हिस्सा लेने के लिए नियम और शर्तें जल्द अनाउंस किए जाएंगे. ये जल्द (सोमवार शाम तक) जल्द आएगा. इसके अलावा शॉर्टलिस्ट किए गए लोगों को साहित्य आज तक के एक पैवेलियन में अपनी कहानी पढ़ने का, सुनाने का मौका भी मिलेगा.

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5. सिर्फ साहित्य ही नहीं संगीत और नाटक भी
यहां आप आएंगे तो देखेंगे अनुपम खेर का शानदार नाटक. मुगल ए आजम पर शाहकार होने की ओर बढ़ रहा एक म्यूजिकल शो. मजनू का टीला नाम के एक किस्से और गीतों वाले शो की लाइव परफॉर्मेंस. मुशायरा. काव्य सम्मेलन. गायन. मालिनी अवस्थी की आवाज में लोकगीत. हंसराज हंस की आवाज में पंजाबी जोश.

तो फिर देरी किस बात की. अपने सैटरडे और संडे को ब्लॉक कर लीजिए. एक हफ्ते पहले ही. दोस्तों को बताइए. रिश्तेदारों को बताइए. फेसबुक पर पोस्ट करिए. हैशटैग इस्तेमाल करिए #sahityaaajtak

याद रखिए. ये इवेंट फ्री है. इसमें आने के लिए कोई टिकट नहीं खरीदना. सिर्फ रजिस्टर करना है खुद को. उसके लिए क्लिक करें.

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