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Sahitya Aaj Tak Lucknow: देश के नायकों को खलनायक और खलनायकों को नायक बनाकर पेश किया गया, साहित्य आजतक में बोले बाबा रामदेव

Sahitya Aaj Tak Lucknow: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में साहित्य आजतक के मंच पर बाबा रामदेव ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारे साहित्य में मुगलों को महान बताया गया है. मुगल काल में भी साहित्य के साथ अन्याय हुआ. इस देश के खलनायकों को नायक और नायकों को खलनायक बनाकर पेश किया गया.

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स्वामी रामदेव ने साहित्य आजतक के मंच पर शिरकत की (फाइल फोटो)
स्वामी रामदेव ने साहित्य आजतक के मंच पर शिरकत की (फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में साहित्य आजतक के मंच पर बाबा रामदेव ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कई सवालों के जवाब दिया. सत्र के दौरान चर्चा करते हुए योग गुरु ने कहा कि ये युग योग और राज का है.साथ ही कहा कि साहित्य के साथ बहुत अन्याय हुआ है. हमारे साहित्य में मुगलों को महान बताया गया है. मुगल काल में भी साहित्य के साथ अन्याय हुआ.अंग्रेजों के समय में भी साहित्य से छेड़छाड़ हुई. इस देश के खलनायकों को नायक और नायकों को खलनायक बनाकर पेश किया गया.

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सत्र के दौरान बाबा रामदेव ने कहा कि साहित्य के साथ छेड़छाड़ हुई है. इतिहास की पुनर्लेखन की न सही, लेकिन पुनर्व्याख्या की जरूरत है. जिस तरह से भारत का गौरवशाली अतीत रहा है. इसमें हमने कुछ संघर्ष झेले हैं. उन्होंने कहा कि हम 200 साल से पढ़ते आ रहे हैं कि भारत 1000 साल तक गुलाम रहा, भारत गुलाम नहीं, संघर्षरत रहा.

हमने कभी भी मुगलों की पराधीनता को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया. साथ ही अंग्रेजों की पराधीनता को भी हमने पूरी तरह नहीं स्वीकारा. लेकिन नैरेटिव गढ़ा जाता है कि हमारे सनातन में शूद्रों और स्त्रियों के साथ भेदभाव था. हमें अंग्रेजों ने सभ्य बनाया.

स्वामी रामदेव ने कहा कि भारत को अंग्रेज और मुगलों ने लूटा और फिर खुद ही लुट गए. बहादुर शाह जफर के वंशज आज  दाने-दाने को मोहताज हैं. उन्होंने कहा कि पाप सामने ही खत्म हो जाता है. उन्होंने कहा कि जिन मुगलों ने देश पर क्रूरता की, हरमों में 5-5 हजार मां-बेटियों को रखा. ऐसे लोग अपने कर्मों से नष्ट हो गए. इतना ही नहीं, जिन ब्रिटिशर्स का 150 से ज्यादा देशों में साम्राज्य था वो खत्म हो गया. वह अपने देश में तीन टुकड़े होने की कगार पर पहुंच गया है.

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बाबा रामदेव ने कहा कि साहित्य में सबसे ज्यादा अन्याय ब्राह्मणों के साथ हुआ है. सबसे ज्यादा अन्याय भगवा, साधु-संन्यासियों के साथ हुआ है. उन्होंने कहा कि हमने जन्म से नहीं, कर्म से जाति को माना है. हमने कहा जो अन्याय को दूर करे वो क्षत्रिय. जो अज्ञानता को दूर करे वो ब्राह्मण, जो अभाव को दूर करे वो वैश्य, जो अशुचिता को दूर कर सेवा और शुचिता के प्रतिमान स्थापित करे वो शूद्र. इसमें जाति कहां आ गई. 

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