साहित्य आजतक का मंच इस बार उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सजा है. कार्यक्रम के दौरान बाबा रामदेव ने कई मुद्दों पर खुलकर चर्चा की. इस दौरान बाबा रामदेव ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के हिंदू राष्ट्र और समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की रामचरितमानस को लेकर की गई टिप्पणी पर भी चर्चा की.
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री को लेकर उन्होंने कहा कि हमारे अध्यात्म की परंपराओं में कुछ अदृश्य शक्तियां हैं, कुछ महात्मा उसे प्रकट कर देते हैं. लेकिन ये कहना कि अदृश्य होता ही नहीं है, ये गलत है. साथ ही कहा कि अदृश्य-अमूर्त के नाम पर पाखंड फैलाना भी गलत है. इसलिए इन सभी मामलों में मैं वैज्ञानिक दृष्टि को प्रमाण मानता हूं.
बाबा रामदेव ने स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर कहा कि इसमें स्वामी और मौर्य कहां से आया. इससे जाहिर होता है कि वह हमारे सनातनी ही हैं. बाबा रामदेव ने चुटकी लेते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि मेरे साथ दलित और पिछड़े ज्यादा जुड़ जाएं.
सत्र के दौरान बाबा रामदेव ने कहा कि हमारे यहां सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक कारणों से प्रक्षेप हुआ है. कुछ को प्रलोभन देकर तो कुछ को डरा-धमकाकर प्रक्षेप हुआ है. स्वामी रामदेव ने कहा कि कभी न कभी तो आवाज उठेगी और धर्म का शुद्धिकऱण होगा. बाबा रामदेव ने कहा कि महर्षि दयानंद ने अपने यहां के खामियों को उजाकर किया. इसके बाद उन्होंने सभी धर्मों के लोगों से आह्वान किया कि अपने-अपने धर्म ग्रंथों को देखो. वहां जो कुरुतियां हैं, उनको दूर करने का साहस करें.
बाबा रामदेव ने कहा कि हमारे यहां संगीत, साहित्य और नृत्य की जितनी विधाएं हैं, ऐसी पूरे विश्व में कहीं नहीं हैं. लेकिन हमें सही रूप से सिखाया नहीं गया. उन्होंने कहा कि हमारे यहां कई भाषाएं हैं, उनका अपना सौंदर्य है. लेकिन ऐसे लोग जो साहित्य में फूहड़ता लेकर आए हैं. वो भी साहित्य के अपराधी हैं. फूहड़ता फैलाने वाले लोगों को सीख मिलनी चाहिए.
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