'साहित्य आजतक' के दूसरे संस्करण के पहले दिन की शुरुआत इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी के वेलकम स्पीच से हुई. कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि 'साहित्य आजतक' हिन्दी साहित्य, संगीत और नाटक परंपरा को बढ़ावा देने के लिए एक प्रयास है. कार्यक्रम के पहले सत्र में सिंगर अनूप जलोटा और सिंगर तलत अज़ीज़ ने शिरकत की. अनूप जलोटा ने कहा कि डिजिटल और टेक्नोलॉजी की इस दुनिया में संगीत दूर नहीं गया बल्कि और भी लोगों के नज़दीक पहुंच चुका है. साहित्य के इस मंच पर अगले सत्रों में हंस राज हंस, नीलेश मिश्रा और नए कवियों ने भी शिरकत की. इनके अलावा सेंसर बोर्ड के प्रमुख और गीतकार, कवि प्रसून जोशी ने भी अपनी नई पुरानी कविताओं से महफिल में समां बांधा. आखिरी सत्र का समापन मशहूर कव्वाल निज़ामी ब्रदर्स के सुरों से हुआ. साहित्य आजतक की महफिल इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के आंगन में सजी है, 11 और 12 नवंबर को भी कार्यक्रम कई बड़ी हस्तियां शिकरत करेंगी.
छठवां सत्र: कव्वाली
साहित्य आज तक के पहले दिन के आखिरी सत्र कव्वाली में गुलाम सबीर निज़ामी और गुलाम वारिस निज़ामी- मशहूर निज़ामी ब्रदर्स ने शिरकत की. इस सत्र के दौरान निज़ामी ब्रदर्स ने अपनी कव्वाली से महफिल में समां बांध दी.
प्रसून जोशी ने इंडिया टुडे मैगजीन की साहित्य वार्षिकी 'अभिव्यक्ति का उत्सव' का लोकार्पण किया
पांचवा सत्र: कविता, सिनेमा और सेंसर
साहित्य आज तक के सत्र कविता, सिनेमा और सेंसर में गीतकार, कवि और पटकथा लेखक प्रसून जोशी ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन श्वेता सिंह ने किया. इस सत्र के दौरान प्रसून ने अपनी नई-पुरानी कविताओं को पेश किया. सत्र के दौरान प्रसून ने कहा कि कला के क्षेत्र में अलग-अलग तरह के लोगों को आना चाहिए. प्रसून ने कहा कि गीतों को लिखने में भावनाएं अहम किरदार अदा करती हैं. प्रसून के मुताबिक उन्हें आप बीती से गीत लिखने की प्रेरणा भी मिलती है.
चौथा सत्र: सूफ़ी
साहित्य आजतक के अहम सत्र सूफी में पंजाबी लोक गायक हंस राज हंस ने शिरकत की इस सत्र का संचालन अंजना ओम कश्यप ने किया. इस सत्र में हंस राज हंस ने अपने लोक गीतों से समां बांधा. हंस राज हंस ने अपने गीतों की शुरुआत 'वो कहां कहां न मिले, मेरे मेहरबां...' से शुरुआत की.
हंस राज हंस ने कहा कि आज के दौर में सूफी की बेहद जरूरत है. आज जब मजहब मजहब के लड़ रहा है तब सिर्फ सूफी प्यार और शांति का संदेश पहुंचा रहा है.
तीसरा सत्र: नयी आवाज
इस सत्र में कवि सुधांशु फिरदौस, कवि गौरव सोलंकी और कवि बाबुशा कोहली ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन अंजना ओम कश्यप ने किया. अंजना के सवाल कि नई आवाज के लिए कितनी चुनौतियां हैं पर बाबुशा कोहली ने कहा कि मौजूदा समय में सोशल मीडिया ने नई आवाज को सपोर्ट दिया है. अब लोगों तक पहुंचना उनके लिए पहले से ज्यादा आसान है. वहीं गौरव सोलंकी ने कहा कि यह बदलाव का युग है. आजतक साहित्य के मंच से इन युवा कवियों ने अपनी-अपनी कविताएं पेश की.
दूसरा सत्र: नीलेश मिश्र, लेखक और स्टोरीटेलर
नीलेश मिश्र ने कहा कि वह फिल्मों में गीत लिखने से उकता गया हूं. नीलेश ने कहा कि आजकल बॉलिवुड में गानों की जगह रिंगटोन की मांग की जाती है. इसीलिए मैं बॉलिवुड के लिए गानें नहीं लिखना चाहता हूं. नीलेश ने आज तक साहित्य के मंच से एक किस्सा सुनाया.
लेखक और स्टोरीटेलर नीलेश मिश्रा द्वारा संजय सिन्हा की पुस्तक का विमोचन
पहला सत्र: गुम होते भजन और ग़ज़ल
साहित्य आजतक, 2017 के उद्घाटन सत्र में भजन गायक अनूप जलोटा और गजल गायक तलत अजीज ने शिरकत की. इस सत्र को अंजना ओम कश्यप ने होस्ट किया. इस दौरान अनूप जलोटा ने भजन पर बात करते हुए कहा, ये भजन का सबसे अच्छा दौर है. इस समय 15 टीवी चैनल धार्मिक कंटेट बेस्ड हैं. रीजनल की बात की जाए तो 45 चैनल धार्मिक है. पहले फिल्में भजन तक सीमित थी, इसके बाद अलबम और कैसेट्स आए. फिर महाभारत रामायण और अब ये जगह चैनल्स ने ले ली है.
गजल के बारे में जलोटा ने कहा, जब तक मोहब्बत है, तब तक गजल रहेगी. ये मोहब्बत की भाषा है. हिन्दुस्तान में लोग दिन की शुरुआत भजन से करते हैं और शाम गजल सुनकर बिताते हैं. सिंगर तलत अजीज ने कहा, गजल हमेशा ही रहेगी. इसका अपना वर्ग है. मैं पिछले दिनों अमेरिका से लौटा हूं. वहां मैंने 26 दिन में 10 शहर घूमे. मैंने देखा वहां के लोगों में गजल की प्यास अभी भी बरकरार है. वहां एक विदेशी महिला मेरे पास आई और बोली मैं आपकी फैन हूं. मैं कहा, किस तरह आप मेरी फैन हूं. उसने कहा मैं सुना है 'जिंदगी जब भी तेरे बज्म में लाती है हमें' ये सुनने के बाद मुझे लगा कि मुझे उसके साथ फोटो खिंचानी चाहिए.
अजीज ने गजल आ असली मतलब समझाया. उन्होंने कहा, एक बार एक लड़की ने मुझसे पूछा कि हम जैसे युवा कैसे गजल सीख सकते हैं, मैंने दो लाइन गाकर बताई 'अगर तलाश करूं कोइ मिल ही जाएगा, मगर तुम्हारी तरह मुझको कौन चाहेगा' उससे सुनने मैं अच्छा लगा. मैंने कहा यही गजल है. जो दिल को छू जाए, वही गजल की परिभाषा है.
कली पुरी के भाषण से हुआ साहित्य आज तक का आगाज
साहित्य आज तक की शुरुआत करते हुए इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी ने कहा कि इस कार्यक्रम के जरिए आजतक की कोशिश हिंदी साहित्य, संगीत को बढ़ावा देने की है. कली ने कहा कि इस कार्यक्रम के जरिए हम नई जेनेरेशन तक साहित्य को पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे स्मार्ट फोन की दुनिया में कबीर के दोहे गुम न हो जाएं.
कली पुरी ने कहा कि पिछले साल साहित्य आजतक नोटबंदी के ऐलान के तुरंत बाद हुआ था और लोगों के पास पैसे नहीं थे. इस बार दिल्ली एनसीआर प्रदूषण की चपेट में है. पर दोस्ती और प्यार का रिश्ता कुछ ऐसा ही होता है. कली ने लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि बीते 17 सालों की तरह इस साल एक बार फिर आप सभी हमारे साथ हैं. कली के मुताबिक इसी प्यार के चलते आज तक लगातार देश का नंबर वन चैनल बना हुआ है.