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साहित्य आजतक: जानें- फिल्मी गॉसिप पर क्या है समीक्षकों की राय?

साहित्य आजतक में लेखक गौतम चिंतामणि और लता सुरगाथा के लेखक यतींद्र मिश्र ने फिल्मी कहानियों और समाचारों को लेकर चर्चा की.

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फिल्म की इनसाइड स्टोरी पर चर्चा
फिल्म की इनसाइड स्टोरी पर चर्चा

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साहित्य आजतक में लेखक, समीक्षक गौतम चिंतामणि और लेखक यतींद्र मिश्र ने फिल्म की इनसाइड स्टोरी सेशन में फिल्मी गॉसिप को लेकर चर्चा की. साथ ही इस दौरान समाचार पत्रिकाओं में फैल रही खबरों को लेकर भी बात की गई. बता दें कि यतींग्र मिश्र ने लता मंगेशकर के जीवन पर किताब लता- सुरगाथा लिखी है, जिसे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

सिनेमा में होने वाली गॉसिप को लेकर गौतम चिंतामणि ने कहा कि अगर किसी फिल्मी स्टार के बारे में साधारण बात बताई जाए, तो उसमें कोई दिलचस्पी नहीं होगी. इसमें कुछ खास बात होती है और यह सेलेब्रिटी को आम लोगों से अलग बनाता है. वहीं यतींद्र मिश्र ने कहा कि जो हम आम जिंदगी में नहीं कर पाते हैं, वो सिनेमा में देखते हैं, इसलिए वो अप्रत्याशित ढंग से प्रभावित करता है.

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वहीं यतींद्र मिश्रा ने कहा कि सिनेमा की गॉसिप ही नहीं, राजनीति की गॉसिप भी बहुत पढ़ी जाती है. सूचना क्रांति के वक्त में किसी को ज्ञान की जरूरत नहीं है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि गॉसिप की कहानियां किसी के रेफरेंस देकर लिखा जाता है. फिल्मी जगत की हस्तियों की इनसाइड कहानियां को लेकर गौतम चिंतामणि ने कहा कि यह दूसरों की कही गई कहानियों पर आधारित होती है.

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नूरजहां को कॉपी करती थीं लता मंगेशकर

लता मंगेशकर के जीवन पर किताब 'लता सुर-गाथा' लिखने वाले यतींद्र मिश्र ने बताया कि लता मंगेशकर जब फिल्म जगत में आई तो वो नूरजहां को कॉपी करती थीं और तब नवशाद ने उन्हें डांटा और कहा कि तुम लता मंगेशकर की तरह गाओ और लता के ढंग में गाओ. उन्होंने ये भी बताया कि लता मंगेशकर ने जो भी सीखा वो नूरजहां से सीखा था.

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