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साहित्य का कोई बंटवारा नहीं हो सकता: सुरेंद्र मोहन पाठक

'साहित्य आजतक' के हल्ला बोल मंच का तीसरा सत्र कहानी क्राइम पर केंद्रित रहा. इसमें पॉपुलर उपन्यासकार सुरेंद्र मोहन पाठक ने भाग लिया, जो 160 उपन्यास लिख चुके हैं. उनसे बात की शम्सताहिर खान ने.

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सुरेद्र मोहन पाठक [फोटो-आजतक]
सुरेद्र मोहन पाठक [फोटो-आजतक]

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मुख्यधारा और उससे अलग साहित्य का विभाजन गलत है, लिखने वाला साहित्यकार होता है चाहे वह कैसा भी लिख रहा हो, बशर्ते पब्लिक उसे पसंद करे. ये बातें कहीं प्रसिद्द उपन्यासकार सुरेंद्र मोहन पाठक ने. उन्होंने आगे कहा कि उनकी सफलता से जलने वाले लोगों ने विभाजन की ऐसी लकीर खींची. उन्होंने चुनौती दी कि वह साहित्यकारों जैसा लिख सकते हैं लेकिन कोई है जो उनके जैसा लिखे. अपने ऊपर लुगदी साहित्यकार के आक्षेप पर उन्होंने कहा कि लुगदी की ताकत से ही यह संभव हुआ कि 10 रुपये के कागज पर 250 पेज छप जाते थे. जबकि अच्छे कागज पर इतने पेज छापने के लिए 250 रुपये लगते. लुगदी कागज की वजह से ही आम लोगों के घरों में उनके उपन्यास पहुंच पाए. उन्होंने कहा कि अगर आपको सभी को अपना दुश्मन बनाना है तो आप अपनी ऑटोबॉयोग्राफी लिख दो.

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आरुषि मर्डर पर उन्होंने कहा कि सरकारी जांच को मानने का मन नहीं करता. उन्होंने कहा कि वह परंपरा में विश्वास करने वाले हैं और किसी भी तरह नहीं मान सकते कि पैरेंट्स ने एक नाबालिग बच्ची की हत्या की.

अपने बारे में उन्होंने बताया कि जासूसी, डिटेक्टिव और क्राइम के किरदार लिखने से उनकी जीवन बहुत डिफेक्टिव हो गया है. उन्होंने बताया कि ऐसा लिखने से लाइफ बहुत गंदी हो जाती है. वह बहुत डरपोक शख्स हैं, उन्होंने कभी लाश नहीं देखी, खून नहीं देखा, हथियार नहीं चलाया लेकिन लिखना पड़ता है, रात को उन्हें इन्हीं के सपने आते हैं.

शम्सताहिर खान के सवालों के जवाब में उन्होंने बताया कि पहले वह पत्रकार बनना चाहते थे, नहीं बन पाए तो पत्रकार सुनील के कैरेक्टर को जन्म दिया और उस पर कुल 122 नॉवेल लिखे. इस माध्यम से उन्होंने अपनी सारी हसरतें पूरी कर लीं. आज अगर किसी एक पात्र को जिंदा करना पड़े तो वह सुनील को ही जिंदा करना चाहेंगे. वैरायटी बदलने के लिए उन्होंने डिटेक्टिव को हीरो बनाया. लेकिन सबसे ज्यादा प्रसिद्दि उन्हें क्रिमिनल को हीरो बनाकर मिली.

65 लाख की डकैती 22 बार छपा, अंग्रेजी और गुजराती में भी. उन्होंने यह भी बताया कि एक व्यक्ति अपनी पत्नी का मर्डर करके उनके घर आ गया. कई लोग टिप भी लेने आते थे.

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उन्होंने सैमुअल जॉनसन का उदाहरण देते हुए कहा कि चाहे कोई भी हो वह पैसे के लिए ही लिखता है. उन्होंने कहा कि आज 3 कारोबार हैं जिसमें ग्लैमर है. पहला फैशन, दूसरा पत्रकारिता और तीसरा सिनेमा.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि लोगों के कहने पर उन्होंने अपनी ऑटोबॉयोग्राफी लिखी. लेकिन अगर सभी को अपना दुश्मन बनाना है तभी आपको ऑटोबॉयोग्राफी लिखनी चाहिए. बिगड़ती कानून व्यवस्था पर उन्होंने कहा कि अंग्रेज राज का डंडा मजबूत था, 8 किमी में एक थाना होता था. एक सिपाही जाता था और 8 लोगों को पकड़ लाता था. आज 8 जाते हैं और पिटकर लौट आते हैं.

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