- 'साहित्य आजतक 2019 ' आज (शुक्रवार) से शुरू हो गया
- 1 नवंबर से 3 नवंबर तक चलेगा साहित्य का महाकुंभ
- साहित्य आजतक में शामिल होंगी कई मशहूर हस्तियां
साहित्य का सबसे बड़ा महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2019 ' आज (शुक्रवार) से शुरू हो गया है. पहले दिन 'साहित्य आजतक' के 'सीधी बात' मंच पर 'राष्ट्र या हिंदू राष्ट्र' सेशन में लेखक और पत्रकार आशुतोष, लेखिका और पत्रकार सबा नक़वी के साथ लेखक एवं पत्रकार विजय त्रिवेदी ने भाग लिया. इस दौरान तीनों वरिष्ठ पत्रकारों ने अपनी बातें बेबाकी से रखीं. इस सेशन का संचालन आजतक के एग्जिक्यूटिव एडिटर रोहित सरदाना ने किया. चर्चा की शुरुआत में तीनों ही मेहमानों की किताबों का भी जिक्र किया गया. चर्चा की शुरुआत करते हुए रोहित ने कहा, देश का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन उसके बावजूद हम इस बात से दो-चार होते हैं कि क्या भारत एक हिंदू राष्ट्र है.
चर्चा में सबसे पहले वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने अपनी बात रखी. उसके बाद विजय त्रिवेदी ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि हिंदू राष्ट्र को लेकर कंफ्यूजन है. सावरकर ने सबसे पहले हिंदू राष्ट्र का कॉन्सेप्ट दिया था. सावरकर के कॉन्सेप्ट को संघ नहीं मानता है. आशुतोष जो कह रहे हैं वह सावरकर का हिंदू राष्ट्र है. गोलवलकर ने कहा है हिंदुस्तान में जो रहता है वह लोग हिंदू हैं. सरसंघचालक ने स्पष्ट किया है कि बिना मुसलमानों के हिंदूत्व अधूरा है. इसलिए मैं कहना चाहता हूं कि कंफ्यूजन ज्यादा है.
माइंड सेट में बड़ा बदलाव हैविजय त्रिवेदी ने अपनी बात रखते हुए आगे कहा कि लोगों के माइंड सेट में बड़ा बदलाव है. संवैधानिक तौर पर देखें तो कोई यहां पृथक नहीं है. मुसलमान और हिंदू दोनों एक साथ वोट देते हैं लेकिन जो हमारा माइंडसेट है, जब इस देश की कोई बड़ी सरकार बिना किसी मुस्लिम मिशन के चलती हो जब कोई एक बड़े राज्य में वहां की सबसे बड़ी पार्टी किसी को अपना मुस्लिम नुमाइंदा नहीं मानती हो, तो ये सब बड़े सवाल खड़े करते हैं. लेकिन इससे अलग हैं हिंदू. हिंदुस्तान का जो हिंदुस्तानी है वह आज भी सहिष्णु है. वह आज भी वसुधैव कुटुंबकम में भरोसा करता है. आज यदि ऐसा नहीं होता तो यहां दंगे हो रहे होते. आज दंगे नहीं हो रहे तो उसकी वजह कोई सरकार या राजनीतिक पार्टी नहीं है, वह हिंदुत्व है. जो गांधी का जिक्र कर रहे हैं वो गांधी का हिंदुत्व ही हमारे ज्यादातर लोग मानते हैं. स्वामी विवेकानन्द का हिंदुत्व, सुप्रीम कोर्ट का हिंदुत्व और मौजूदा राजनीतिक सिस्टम का हिंदुत्व आपसे में कंफ्यूजन पैदा कर रहा है और यही हमें परेशान कर रहा है.
साहित्य आजतक की पूरी कवरेज देखने के लिए यहां क्लिक करें... संघ विरोध को ही हिंदू विरोध मानते हैंविजय त्रिवेदी ने अपनी बात आगे और स्पष्टता के साथ रखते हुए कहा कि हम संघ विरोध को ही हिंदू विरोध मानते हैं. संघ में स्वयंसेवकों की संख्या करीब एक करोड़ है इस देश की आबादी है 130 करोड़ उसमें हिंदू ही यदि मान लें तो 80 करोड़ से ज्यादा है. 80 करोड़ में सिर्फ 1 करोड़ स्वयंसेवक हैं और हम संघ विरोध को ही हिंदू विरोध मान रहे हैं. इसलिए हम संघ को भी ताकत दे रहे हैं और हिंदुओं को अपमानित भी कर रहे हैं क्योंकि अगर 80 करोड़ हिंदू संघ को मानते तो 80 करोड़ स्वयंसेवक होते. 12-15 करोड़ लोगों ने बीजेपी को वोट किया होगा वो सबलोग संघ के लोग नहीं हैं, उसमें से बहुत सारे लोग हिंदु भी नहीं हैं इसलिए संघ विरोध को हिंदू विरोध मानना इस कंफ्यूजन को दूर करना पड़ेगा. संघ जो है हिंदू विचारधारा को मानता होगा लेकिन हिंदू विचारधारा संघ की विचारधारा नहीं है इसको जब तक क्लियर नहीं करेंगे तो ये रोज विवाद चलता रहेगा रोज हम लोग इस पर बहस करते रहेंगे.
यूं हुई कार्यक्रम की शुरुआतसूर्यकांत त्रिपाठी निराला की सरस्वती वंदना और
इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी ने कार्यक्रम के उद्घाटन संबोधन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई . इस बार 'साहित्य आजतक' में सात मंच हैं जहां से लगातार तीन दिन 200 हस्तियां आपसे रू-ब-रू होंगी. साहित्य, कला, संगीत, संस्कृति का यह जलसा 1 नवंबर से 3 नवंबर तक चलेगा.
इस साल शुरू हुआ था 'साहित्य आजतक' का सफरसाहित्य आजतक कार्यक्रम का आयोजन इस बार भी दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में किया गया है. तीन दिन तक चलने वाले साहित्य के महाकुंभ साहित्य आजतक में कला, साहित्य, संगीत, संस्कृति और सिनेमा जगत की मशहूर हस्तियां शामिल होंगी. बता दें कि साल 2016 में पहली बार 'साहित्य आजतक' की शुरुआत हुई थी. साहित्य आजतक कार्यक्रम के आयोजन का यह चौथा साल है.
साहित्य आजतक में रजिस्ट्रेशन के लिए यहां क्लिक करें... इस बार कई भारतीय भाषाओं को किया गया है शामिलइस बार साहित्य आजतक में कई और भारतीय भाषाओं के दिग्गज लेखक भी आ रहे हैं. जिनमें हिंदी, उर्दू, भोजपुरी, मैथिली, अंग्रेजी के अलावा, राजस्थानी, पंजाबी, ओड़िया, गुजराती, मराठी, छत्तीसगढ़ी जैसी भाषाएं और कई बोलियां शामिल हैं.
2 नवंबर- दूसरे दिन का कार्यक्रम11.00-11.45
भोजपुरी स्टार रवि किशन और मनोज तिवारी के भोजपुरियां संगीत से होगी शुरुआत.
11.45-12.30
एक्टर और अभिनेता आशुतोष राणा अपनी कविताओं से युवाओं में जोश भरेंगे.
12.30-13.15
सब बढ़िया है सत्र में गीतकार वरुण ग्रोवर बांधेंगे समा.
13.15-02.00
अभिनेता और कवि शैलेश लोढ़ा अपनी राय साझा करेंगे.
02.00-02.45
हमको सिर्फ तुमसे प्यार है सत्र में गीतकार समीर अपने गीतों से युवाओं को क्रेजी करेंगे.
02.45-03.30
गीतकार मालिनी अवस्थी की लोक गायिकी.
03.30-04.15
लेखर और गीतकार प्रसून जोशी मंच पर होंगे.
04.15-05.00
साहित्य के यंगिस्तान सत्र में लेखक सत्य व्यास और दिव्य प्रकाश दुबे शिरकत करेंगे.
05.00-06.00
इरशाद कामिल की बैंड परफॉर्मेंस.
06.00-08.00
सौरभ शुक्ला का चर्चित नाटक 'बर्फ' और नाटक 'अकबर द ग्रेट नहीं रहे' रंग मंच की खास प्रस्तुति.
08.00-09.00
रुहानी सिस्टर्स की कव्वाली.
साहित्य आजतक 2019 में शामिल ले रहे अतिथियों की लिस्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें.... 3 नवंबर- तीसरे दिन का कार्यक्रम11.00-12.00
ऐसी लागी लगन फेम अनूप जलोटा अपनी धुन छेड़ेंगे.
12.00-12.45
कवि अशोक वाजपेयी, लेखक और पत्रकार राहुल देव, लेखर पुष्पेश पंत मंच पर होंगे.
12.45-01.30
कवि और गीतकार मनोज मुंतशिर अपना गायन पेश करेंगे.
01.30-02.30
सिंगर पंकज उधास अपने गानों से समा बांधेंगे.
02.30-03.30
यह देश है वीर जवानों का सत्र में कवि हरिओम पवार, राहुल अवस्थी, विनीत चौहान अपने देशभक्ति कविताएं प्रस्तुत करेंगे.
03.30-04.15
लेखक और फिल्मकार इम्तियाज अली अपने अनुभव साझा करेंगे.
04.15-05.00
गीतकार हंस राज हंस अपना सूफियाना कलाम पेश करेंगे.
05.00-05.30
गीतकार स्वानंद किरकिरे महफिल जमाएंगे.
05.30-06.00
गीतकार और संगीतकार विद्या शाह और लेखर यतींद्र मिश्र मंच पर अपने अनुभव साझा करेंगे.
06.00-08.00
मुशायरा में शायर वसीम बरेलवी, राहत इंदौरी, नवाज देवबंदी, अभिषेक शुक्ला, एस आर जीशान नियाजी, कुंवर रंजीत चौहान शिरकत करेंगे.
08.00-09.00
सिंगर शुभा मुद्गल का गायन