scorecardresearch
 

साहित्य आजतक 2019: 'लड़कियां भी इंसान, उन्हें भी लड़कों की तरह मिले ख्वाब देखने का हक'

साहित्य आजतक 2019 में क्या लड़कियों के ख्वाब लड़कों से अलग होते हैं के सवाल पर कवयित्री और प्रोफेसर प्रोफेसर सविता सिंह ने कहा कि यह मानना ही होगा कि हम लोग अलग जेंडर हैं और दो तरह की जिंदगी जीते हैं. एक समाज में रहते हुए भी हमारा जीवन अलग-अलग है. अलग-अलग रहते हुए भी हमारा जीवन साथ का भी है.

Advertisement
X
'लड़कियों के ख्वाब' विषय पर आयोजित गोष्ठी में शामिल 3 महिला लेखक (फोटो- साहित्य आजतक)
'लड़कियों के ख्वाब' विषय पर आयोजित गोष्ठी में शामिल 3 महिला लेखक (फोटो- साहित्य आजतक)

Advertisement

  • हम लोग अलग जेंडर हैं और दो तरह की जिंदगी जीते हैंः सविता सिंह
  • इरा टाकः महिलाओं को दायरे में रखकर ख्वाब देखना सिखाया जाता है
  • सपने के पीछे मत भागिए, आप कुर्सी पर बैठिए, कहिए आओः आकांक्षा

साहित्य के सबसे बड़े महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2019' के मंच के तीसरे दिन 'लड़कियों के ख्वाब' विषय पर आयोजित गोष्ठी में शामिल तीनों महिला लेखकों ने स्वीकार किया कि लड़कियों को ख्वाब देखने के ज्यादा मौके तो नहीं मिलते हैं. लड़कियों को पहले से तैयार किए ख्वाब ही देखने की इजाजत होती है. ख्वाब देखने को लेकर बदलाव किए जाने की जरूरत है. यह भी सही है कि लड़कियां लड़कों से अलग होती हैं और उनके ख्वाब भी अलग देखने की अनुमति मिलनी चाहिए.

क्या लड़कियों के ख्वाब लड़कों से अलग होते हैं के सवाल पर कवयित्री और एसजीडीएस इग्नू की निदेशक प्रोफेसर प्रोफेसर सविता सिंह ने कहा कि यह मानना ही होगा कि हम लोग अलग जेंडर हैं और दो तरह की जिंदगी जीते हैं. एक समाज में रहते हुए भी हमारा जीवन अलग-अलग है. अलग-अलग रहते हुए भी हमारा जीवन साथ का भी है.

लड़कियों के ख्वाब लड़कों से अलगः सविता सिंह
प्रोफेसर सविता सिंह ने आगे कहा कि हम कितना जीवन साथ चाहते हैं और कितना अलग जीवन जीना चाहते हैं यह असल मुद्दा होता है. बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो मानते हैं कि स्त्रियों का जीवन अलग से नहीं होता है. उनमें इतना फर्क नहीं होता कि उनके लिए जीवन में कुछ अलग हो. ऐसी बहुत सी स्त्रियां भी हैं जो ख्वाब देखती हैं और उनके ख्वाब पुरुषों के करीब भी हो सकती है और उनसे भिन्नता भी हो सकती है.

Advertisement

savita_110319015916.pngप्रोफेसर सविता सिंह

इसे भी पढ़ें---- 'गुड-बैड टच क्या, सिखाने वाली ऐसी कहानियों की बच्चों को जरूरत'

उन्होंने कहा कि हम लोग भारतीय है. हम एक खास धर्म, जाति, लैंगिकता से संबंधित हैं. लड़कियों के ख्वाब अलग होते हैं. लड़कियों के ख्वाब की बात की जाए तो मध्य वर्ग की लड़कियों के ख्वाब है प्रोफेसर बनना, डॉक्टर बनना, पॉयलट बनना आदि ही होता है. उनके ख्वाब मध्यवर्गीय ख्वाब ही जैसे होते हैं और यह ख्वाब कभी पुरुषों के ख्वाब थे. महिलाओं में ख्वाब आगे चलकर क्या रूप लेगा इस पर अभी कुछ नहीं कह सकते.

ira_110319020006.pngप्रोफेसर इरा टाक


लड़कियां खुद को इंसान समझेः इरा टाक
इरा टाक का इस सवाल पर कहना है कि लड़कियों का ख्वाब देखना इस मायने में अलग है क्योंकि उन्हें पहले से तैयार किए हुए ख्वाब मिलते हैं. मध्य वर्ग ही नहीं उच्च वर्ग की लड़कियों के लिए यही स्थिति है. महिलाओं को ख्वाब दिए जाते हैं. हमें एक दायरे में रखकर एक ख्वाब देखना सिखाया जाता है. लड़कियां खुद को इंसान समझना चाहिए. वह भी एक इंसान हैं और उन्हें भी सपने देखने का हक है. जीवन में कभी भी इस बात का मलाल न हो कि हम कुछ नहीं कर सके.

aanksha_110319020030.pngप्रोफेसर आकांक्षा पारे काशीव

Advertisement

लेखिका आकांक्षा पारे काशीव ने लड़कियों के ख्वाब पर कहा कि लड़कियों के ख्वाब को लेकर कंडीशन अप्लाई होते थे जो दूसरों को नहीं दिखते थे. खुद लड़कियों को भी नहीं दिखते. कंडीशन अप्लाई का मतलब है कि लड़कियों को कहीं जाना है. यही बड़ी चीज है जो दिखती तो नहीं है, लेकिन इसका असर बड़ा होता है. लड़कों के सपने लड़कियों से अलग होते हैं क्योंकि लड़कों और लड़कियों को अलग-अलग चीजें करने को कहा जाता है.

हर सफल स्त्री के पीछे स्त्रीः इरा टाक
लेखिका और फिल्मकार इरा टाक ने कहा कि हर सफल स्त्री के पीछे स्त्री का हाथ होता है. आज के दौर में स्त्री की कामयाबी में स्त्री का ही योगदान रहा है. हालांकि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है' की कहावत पितात्मक तथ्य है लेकिन यह सही भी है. जब कोई लड़की सफल होती है तो सबसे पहले लड़कियां ही जज करने लगती हैं.

उन्होंने कहा कि हम यह सोचने लगते हैं कि हमारे साथ बुरा हुआ और आगे बढ़ने नहीं दिया गया. उन्हें लगता है कि जो सपने उन्हें देखने नहीं दिए गए वही दूसरों के साथ भी हो. जबकि इस संबंध में यह कुछ इस तरह से भी हो सकता है जो चीज आपके साथ नहीं हो सका तो वो किसी और के लिए न हो ऐसा भी किया जाना चाहिए. इस तरह के बदलाव किया जाना चाहिए.

एक औरत के बारे में औरत अच्छी बात कहती है तो वही बांझ क्यों कहती है आकांक्षा ने कहा कि यह औरत का सपना होता है और लोग अपेक्षा भी करते हैं. उन्होंने कहा कि पिता और भाई बचपन से हमें देखते हैं तो वो हमें आगे बढ़ने में मदद करते हैं, लेकिन आगे भी कई लोग मिलते हैं जो आगे बढ़ाने में मदद करते हैं.

आकांक्षा ने कहा कि सपने के पीछे मत भागिए, आप कुर्सी पर बैठिए और उनसे कहिए कि आओ. प्रेम के बारे में कहा कि आप खुल कर प्रेम करो. जानवरों के साथ प्रेम करो, गरीबों से प्रेम करो. हर किसी से प्रेम करो.

साहित्य आजतक में रजिस्ट्रेशन के लिए यहां क्लिक करें

साहित्य के सबसे बड़े महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2019' का आज तीसरा और अंतिम दिन है. राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में चल रहे 3 दिवसीय आयोजन के अंतिम दिन रविवार को कार्यक्रम की शुरुआत भजन सम्राट अनूप जलोटा के रसमई गायन के साथ हुई. उन्होंने कई भजन गाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.

अनूप जलोटा के गायन के बाद आज तीसरे भी कई और सत्र का आयोजन किया जाएगा. आज शाम को मुशायरा का कार्यक्रम होगा, जिसमें वसीम बरेलवी, राहत इंदौरी समेत कई शायर शिरकत करेंगे. साहित्य आजतक 2019 कार्यक्रम की समाप्ति प्रख्यात गायिका शुभा मुद्गल की संगीतमय की प्रस्तुति के साथ होगी.

साहित्य आजतक की पूरी कवरेज यहां देखें

2016 में पहली बार 'साहित्य आजतक' की शुरुआत हुई थी. साहित्य आजतक 2019 के दूसरे दिन साहित्य, सिनेमा, राजनीति और कला जगत के कई दिग्गजों ने शिरकत की थी.

साहित्य आजतक 2019 के पहले दिन शुक्रवार को इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी ने अपने उद्घाटन संबोधन में सभी साहित्यकारों, संगीतज्ञों और कलाकारों का स्वागत करते हुए कहा कि आप सबका साहित्य आजतक का चौथा संस्करण आ गया है. लेकिन ऐसा लगता है अभी इस कार्यक्रम को शुरू हुए एक साल ही हुआ है. इस साल चुनाव हो रहे थे और पता नहीं चला कि साल कब बीत गया. अच्छी बात है कि हमारी और आपकी ये साहित्य की विशेष तारीख जल्दी आ गई.

Advertisement
Advertisement