साहित्य आजतक 2019 के कार्यक्रम में शुक्रवार को पहले दिन विभिन्न क्षेत्र की हस्तियों ने शिरकत की. साहित्य, सिनेमा, संगीत, कला आदि क्षेत्र के दिग्गज लोगों ने अपने अनुभव साझा किए. पहाड़ के महारथी नाम के सत्र में भारतीय तट रक्षक बल के पूर्व महानिदेशक राजेंद्र सिंह और पत्रकार मंजीत सिंह नेगी ने पहाड़ की संस्कृति, भाषा और 2013 में आई प्राकृतिक आपदा के बारे में चर्चा की.
बतौर पत्रकार आपदा को कवर किया
साहित्य आजतक 2019 कार्यक्रम में पत्रकार मंजीत सिंह नेगी ने 2013 में आई प्राकृतिक आपदा को लेकर विस्तार से चर्चा की. एक पत्रकार के तौर पर उन्होंने किस तरह से इस घटना को कवर किया इसका अनुभव साझा किया. किताब 'केदारनाथ से साक्षात्कार' लिखने वाले मंजीत सिंह नेगी ने बताया कि प्राकृतिक आपदा की यह घटना 12-13 जून 2013 की घटना है.
मंजीत ने बताया कि इसी दौरान 10-15 मिनट के लिए एक हेलीकॉप्टर मिला. उसी से जितना देख सका उसे मैंने कवर किया. मैंने इस दौरान मंदिर में जाने की कोशिश की, ताकि देखा जा सके कि क्या हालात हैं. ये 19 जून की बात होगी. मंदिर परिसर में शव पड़े हुए थे. सरकार की ऐसी कोई कोशिश नहीं थी कि लोगों को फौरन राहत मिले. लेकिन मुझे लगता है कि अगर आपदा से निपटने की तैयारी होती तो इतने लोग इसके शिकार नहीं होते. कई जगह भूख, प्यास और ठंड की वजह से लोग मर रहे थे.
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मंजीत ने अपनी एक दूसरी किताब 'हिल वरियर' के बारे में भी बताया जिसमें उत्तराखंड से निकलने वाले उन लोगों के बारे में चर्चा है जो बड़े बड़े ओहदों पर पहुंचे हैं. इनमें उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, सेना प्रमुख बिपिन रावत, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे लोग शामिल हैं. उन्होंने कहा कि इन शख्सियतों के बारे में लोग गूगल करते हैं, लेकिन उनकी किताब वो जानकारियां हैं जिसे गूगल पर नहीं हासिल किया जा सकता है.
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पहाड़ से पलायन पर मंजीत कहते हैं कि उनकी किताब 'हिल वारियर' में जिन शख्सियतों के बारे में चर्चा की गई है अगर वे लोग अपने-अपने गांव और शहर लौट जाएं. ये लोग स्थानीय स्तर पर सुधार को लेकर काम करें तो मुमकिन है कि दूसरे लोग भी गांव लौटने लगेंगे.