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साहित्य आजतक: 2019 में 1999 ढूंढने वाली प्रिया मलिक ने सुनाईं कहानियां

प्रिया ने कहा मैं एक हफ्ते पहले मुंबई से आई हूं. दिल्ली की जहरीली हवा पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि यहां आकर मेरा गला खराब हो गया है. मैंने लोगों को मास्क लगाए देखा, बच्चों को मास्क लगाए देखा. मुझे लगता है कि मुझे इस पर भी कोई कविता लिखनी पड़ेगी.

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साहित्य आजतक के मंच पर प्रिया मलिक (फोटो: के. आसिफ)
साहित्य आजतक के मंच पर प्रिया मलिक (फोटो: के. आसिफ)

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  • साहित्य आजतक के दूसरे दिन की शुरुआत छठ गीत से हुई
  • बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने मंच से गाए कई भोजपुरी गीत

साहित्य का सबसे बड़ा महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2019' शुक्रवार (1 नवंबर) से शुरू हो गया है. कार्यक्रम का आज दूसरा दिन है. दूसरे दिन 'साहित्य आजतक' के 'हल्ला बोल' मंच पर 'प्रिया के बोल' सेशन में आज के नौजवानों से उन्हीं की जुबान में संवाद करने वाली, युवा दिलों की धड़कन और 'मैं 2019 में 1999 ढूंढ रही हूं' जैसी कविताएं लिख धमाल मचाने वाली अभिनेत्री कवयित्री और मॉडल प्रिया मलिक ने अपने अंदाज में बातें की. इस सेशन का संचालन आजतक की डिप्टी एडिटर नेहा बाथम ने किया.

प्रिया ने कहा मैं एक हफ्ते पहले मुंबई से आई हूं. दिल्ली की जहरीली हवा पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि यहां आकर मेरा गला खराब हो गया है. मैंने लोगों को मास्क लगाए देखा, बच्चों को मास्क लगाए देखा. मुझे लगता है कि मुझे इस पर भी कोई कविता लिखनी पड़ेगी.

प्रिया ने आगे कहा कि दिल्ली मुझे काफी अच्छी लगती है. मैं देहरादून में पली-बढ़ी हूं लेकिन दिल्ली में मैं बड़ी हुई हूं. तीन सालों में दिल्ली से ऐसा प्यार हुआ जो अब देहरादून से भी ज्यादा हो चुका है. प्रिया मलिक ने कहा मेरा गला खराब है लेकिन फिर भी मैं आपके लिए परफॉर्म करूंगी. मुझे हमेशा से अटेंशन चाहिए होता था. मैं बचपन में बहुत अतरंगी हुआ करती थी. 12-13 साल की उम्र में मुझे सबसे पहला इश्क हुआ. वो सबसे ज्यादा प्योर होता है. वह जब हुआ तो मैं पोइट्री लिखना शुरू की. उस वक्त टाइटेनिक फिल्म आई थी. उसमें गाना था मैं हार्ट विल गो ऑन... वो गाना मैंने अपनी डायरी में लिखा था उस वजह से मेरी मां ने मुझे बहुत पीटा था. उसके बाद मैंने अपनी मां के लिए भी एक कविता लिखी.

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प्रिया मलिक ने अपने मुंबई के शुरुआती दिनों की बात बताते हुए कहा कि मैं एक स्टूडियो अपार्टमेंट में रहा करती थी. वहां जगह कम थी लेकिन प्यार बहुत ज्यादा था. वहां की कहानी ही मैंने अपनी कविता में लिखी थी. वह कविता भी प्रिया ने साहित्य आजतक के मंच से सुनाई. इस दौरान दर्शक दीर्घा में मौजूद लोग शांति से उनकी कविता सुनते रहे. कविता के अंत में लोगों ने जमकर तालियां बजाईं.

रोज सुबह जब मेरे कमरे में धूप का एक छोटा सा टुकड़ा कोने में बैठा हुआ मिलता है
तुम्हारी करवटों की तरह जब आसामान भी अपनी साइड्स बदलने लगता है
मानो कोई वॉट्सएप की ग्रुप चैट हो, जिसमें कई बाशिंदों की घुसपैठ हो
पूरी सुबह, पूरे दिन, पूरी रात तुम्हारे यहां ना होते हुए भी
तुम्हारे तसव्वुर की नोटिफिकेशन्स ये पूरा घर मुझे दिया करता है
इस घर में कुछ बर्तन भी हैं जो एक-दूसरे से मैच नहीं होते
कुछ तुम्हारी कबर्ड से हैं कुछ मेरे कबर्ड से
जो ट्विटर इंटलेक्चुयअल की तरह बजते ही रहते हैं

कविता के बाद प्रिया ने फिर अपनी जिंदगी के बारे में बताईं. उन्होंने अपनी ऑस्ट्रेलिया की पढ़ाई के बारे में बात की और बताया कि वहां रहते हुए उनको लगने लगा कि वे हिंदी भूल रही हैं. जिसके बाद उन्होंने हिंदी में लिखना शुरू किया. प्रिया ने कहा द्विभाषी होना बहुत अच्छा है और अगर आप कई भाषाएं जानते हैं तो वह काफी अच्छी बात है. वर्ब मैग्जीन ने लेखकों से रीजनल लैग्वेंज में लिखने की बात की है. इसके साथ ही प्रिया ने वर्ब मैग्जीन के लिए लिखी अपनी ब्रेकअप-कहानी भी सुनाई.

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"सोचा था कि जब भी मिलेंगे किसी उपन्यास के आखिरी अध्याय की तरह मिलेंगे, कहानी आगे तक बढ़ चुकी होगी लेकिन फिर भी पढ़ने वाला अपना दिल थामें उंगलियां उलझाए सिर खुजलाते हुए सोचेगा कि इस कहानी का अंत कैसे होना चाहिए, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. आज 11 साल बाद भी उससे फिर मिलने का उत्साह ठीक उतना ही कम था जितना उससे बिछड़ने का गम. ना मैं रोई थी ना वह चिल्लाया था. हम दोनों ने अपने रिश्ते को आंखों के सामने दम तोड़ते देखा और इतना भी नहीं सोचा कि अपने रिश्ते का अंतिम संस्कार रीति-रिवाज के साथ कर दें. आज इतने साल बीत जाने के बाद भी कुछ महसूस नहीं हो रहा था तो मैं वक्त से पहले ही कॉफी शॉप में जाकर बैठ गई और वहां का मुआयना करने लगी..."

इसके बाद प्रिया मलिक ने अपनी एक और कहानी सुनाई. वह कहानी प्रिया के मुंबई के दिनों के आसपास की है. जिसमें उन्होंने अपने पहले घर और वहां बीते दिनों की बातें लिखी हैं. अंत में प्रिया ने अपने लोकप्रिय कविता 'मैं 2019 में 1999 ढूंढ रही हूं' भी सुनाई. इसके साथ ही उन्होंने उस कविता के बारे में भी बताया कि वह कैसे लिखी गई. कविता के बाद में प्रिया ने ऑडियंश के सवालों के जवाब भी दिए.

शुक्रवार को यूं हुई कार्यक्रम की शुरुआत
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की सरस्वती वंदना और इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी ने कार्यक्रम के उद्घाटन संबोधन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई. इस बार 'साहित्य आजतक' में सात मंच हैं जहां से लगातार तीन दिन 200 हस्तियां आपसे रू-ब-रू होंगी. साहित्य, कला, संगीत, संस्कृति का यह जलसा 3 नवंबर तक चलेगा.

इस साल शुरू हुआ था 'साहित्य आजतक' का सफर
साहित्य आजतक कार्यक्रम का आयोजन इस बार भी दिल्ली के  इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में किया गया है. तीन दिन तक चलने वाले साहित्य के महाकुंभ साहित्य आजतक में कला, साहित्य, संगीत, संस्कृति और सिनेमा जगत की मशहूर हस्तियां शामिल होंगी. बता दें कि साल 2016 में पहली बार 'साहित्य आजतक' की शुरुआत हुई थी. साहित्य आजतक कार्यक्रम के आयोजन का यह चौथा साल है.

इस बार कई भारतीय भाषाओं को किया गया है शामिल
इस बार साहित्य आजतक में कई और भारतीय भाषाओं के दिग्गज लेखक भी आ रहे हैं. जिनमें हिंदी, उर्दू, भोजपुरी, मैथिली, अंग्रेजी के अलावा, राजस्थानी, पंजाबी, ओड़िया, गुजराती, मराठी, छत्तीसगढ़ी जैसी भाषाएं और कई बोलियां शामिल हैं.

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