साहित्य आजतक के दस्तक दरबार मंच में कव्वाली की महफिल सजी. रूहानी सिस्टर्स के नाम से मशहूर डॉ जागृति लूथरा प्रसन्ना और डॉ नीता पांडे नेगी ने खूबसूरत कव्वालियों से समां बांध दिया. शाहों में शाह, मर्दों में मर्द है, वलियों में वली है, उसका नाम वली है... के बाद नुसरत फतेह अली खां की कव्वाली आजा वे तेनु अंखिया... गाकर लोगों को खूब झुमाया.
प्रस्तुति से पहले रूहानी सिस्टर्स ने बताया कि वे दोनों सगी बहनें नहीं हैं. बहुत लोगों को ये गलतफहमी होती है. उस्ताद नुसरत फतेह अली खान साहब की कव्वाली पेश करने से पहले उन्होंने बताया कि उन्होंने खां साहब पर पीएचडी की. यहां तक की उन्होंने नुसरत साहब की बारीक से बारीक चीजों को नोटिस किया है. जैसे कि कंसर्ट के दौरान उनकी बॉडी लैंग्वेज कैसी होती थी, मिजाज कैसा होता था, वे स्वर कैसे उठाते थे और कैसे परफॉर्म करते थे.
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इसके बाद रूहानी सिस्टर्स ने बजरंगी भाईजान फिल्म की कव्वाली भर दो झोली गाया और अमीर खुसरो द्वारा लिखा गया सूफी सॉन्ग छाप तिलक सब छीनी रे गाया. इस दौरान दोनों ने गाने के साथ-साथ इसके भाव और रूपरेखा का भी बेहद खूबसूरत वर्णन किया. रूहानी सिस्टर्स ने बड़ी ऊर्जा और जोश के साथ प्रस्तुति दी.
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अंत में दमादम मस्त कलंदर गाकर रूहानी सिस्टर्स ने दूसरे दिन का अंत किया. बता दें कि साहित्य आजतक के दूसरे दिन पूरा माहौल संगीत और साहित्य की महफिलों में सराबोर रहा. बॉलीवुड से समीर, आशुतोष राणा, सौरभ शुक्ला, आनंद एल राय और इरशाद कामिल जैसे कलाकारों ने लोगों का मनोरंजन किया.