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आफरीन से लेकर काली-काली जुल्फों तक, आजतक के मंच पर साधो बैंड ने दी एक-से-एक प्रस्तुत‍ियां

ठीक दो साल के बाद साहित्य आजतक का मंच एक बार फिर सज गया है. 18 से 20 नवंबर तक यानी पूरे तीन दिन दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में साहित्य का मेला लग गया है. पहले दिन यानी शुक्रवार को ट्रेडिशनल रॉक बैंड साधो बैंड भी शामिल हुआ, जिसमें उन्होंने मौजूद दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया.

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मंच पर साधो बैंड
मंच पर साधो बैंड

Sahitya Aaj Tak 2022: ठीक दो साल के बाद साहित्य आजतक का मंच एक बार फिर सज गया है. 18 से 20 नवंबर तक यानी पूरे तीन दिन दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में साहित्य का मेला लग गया है. एक बार फिर साहित्य के साथ संगीत की जुगलबंदी का जोरदार कॉम्बो मौजूद है. पहले दिन यानी शुक्रवार को ट्रेडिशनल रॉक बैंड साधो बैंड भी शामिल हुआ, जिसमें उन्होंने मौजूद दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया.

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“आफरीन-आफरीन” से की शुरुआत 

साधो बैंड ने शुरुआत में पहले ऑडियंस का स्वागत किया उसके तुरंत बाद ही राहत फ़तेह अली खान के गाने “आफरीन-आफरीन” से अपने परफॉरमेंस की शुरुआत की. गानों, गजलों और प्रस्तुत‍ियां से उन्होंने माहौल को अपने अंदाजों से लूट लिया, एनर्जी भरी परफॉरमेंस को देखते हुए ऑडियंस भी साथ में ही गाना गुनगुनाने लगी.

ऐसा गाना जिससे उनका जीवन बदला 

साधो बैंड ने परफॉरमेंस के बीच में अपने जीवन को बदल देने वाले गाने का जिक्र किया और तुरंत ही “तेरे नाम” गाने को गुनगुनाने लगे, इस गाने के बाद उन्होंने प्रस्तुत‍ियां पेश की. ठीक उसी के बाद “ये तूने क्या किया” गाना गुनगुनाया लगे व एक के बाद एक धमाकेदार गानों से अपने परफॉरमेंस को जारी रखा. देखते ही देखते वहां ऑडियंस का जमावड़ा बढ़ता गया.

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“काली-काली जुल्फों” के साथ धमाकेदार अंत 
अपने परफॉरमेंस के अंत में “कुन फाया कुन” गाने के बाद “काली काली जुल्फों” से अपना आख़िरी गाना गाया. ऑडियंस इतना घुल गई थे की वह भी साथ में गाना गुनगुनाने लगी थे, आख़िर में एक प्रस्तुत‍ि के साथ शानदार अंत किया. शनिवार को साहित्य आजतक 2022 का दूसरा दिन भी एक से बढ़कर एक जानदार सेशन लेकर आ रहा है. अगर आप भी दिल्ली में हैं तो साहित्य के इस महाकुंभ का हिस्सा जरूर बनें.

 

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