नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में चल रहा तीन दिवसीय साहित्य आजतक, अपने समापन पर है. साहित्य के इस सबसे बड़े मेले में सिनेमा, संगीत, सियासत, संस्कृति और थिएटर से जुड़े जाने-माने चेहरों ने हिस्सा लिया. तीसरे दिन की अंत में एक नाटक का मंचन भी किया गया. जिसका नाम था. 'महानगर के जुगनू' (Mahanagar Ke Jugnu- A musical joyride). इस नाटक के निर्देशक हैं अमितोष नागपाल. अमितोष नागपाल बॉलीवुड में कलाकार, स्क्रीन राइटर और लिरिसिस्ट भी हैं.
यह एक संगीतमय नाटक था. नाटक महानगरों में रहने वाले युवाओं पर फोकस करता है. यह एक तरह का म्यूजिकल प्ले था. कलाकारों ने मंच पर नाटक की शुरुआत अलग अंदाज में की. इस नाटक के ज़रिए देश के उन युवाओं के जीवन को दर्शाने की कोशिश की गई जो अपने भविष्य को बनाने के लिए घर छोड़ कर महानगरों में आते हैं.
इसमें उन्होंने युवाओं के दिल और उनके ख्वाबों की बात की. इस नाटक के माध्यम से ख्वाब और मोहब्बत संजोए युवा, महानगरों में कैसे अपने भविष्य को बनाने की जद्दोजहद करते हैं. इन युवाओं को ही इस कहानी के जुगनू कहा गया है. इन जुगनुओं का मानना है कि जिंदगी तो ख्वाब से चलती है. ख्वाब, ईश्क, दोस्त से ही तो जिंदगी है. लेकिन, महानगरों में मौज-मस्ती की जिंदगी बिताने की इच्छा के साथ घर का किराया भी सताता है.
प्ले में वर्तामान में चल रही घरेलु हिंसा, रिलेशनशिप में हो रही मार-पीट पर भी ध्यान आकर्षित कराने की कोशिश की गई है. तो वहीं अपने सपनों को पूरो करने के जद्दोजहद के बीच मेंटल हेल्थ जैसे गंभीर विषय को भी सामने रखा है.
दर्शकों ने इस नाटक को काफी पसंद किया, खासकर युवाओं को ये कुछ अपना सा लगा.