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किसके फोन से कैप्टन विक्रम बत्रा करते थे अपनी गर्लफ्रेंड से बात, गौरव सावंत ने खोला राज

दिल्ली में साहित्य का सबसे बड़ा मेला चल रहा है. साहित्य आजतक के तीन दिन के कार्यक्रम में सिनेमा, संगीत, सियासत, संस्कृति और थिएटर से जुड़े जाने-माने चेहरे हिस्सा ले रहे हैं. साहित्य के मंच पर पत्रकार और साहित्यकार गौरव सावंत और शिव अरूर ने शिरकत की. मंच पर उन्होंने युद्ध के अपने अनुभव साझा किए.

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गौरव सावंत, पत्रकार
गौरव सावंत, पत्रकार

दो साल बाद शब्द-सुरों का महाकुंभ साहित्य आजतक एक बार फिर लौट आया है. साहित्य का ये मेला तीन दिन का है, जो 18 से 20 नवंबर तक दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में लगा हुआ है. इस कार्यक्रम में सिनेमा, संगीत, सियासत, संस्कृति और थिएटर से जुड़े जाने-माने चेहरे हिस्सा ले रहे हैं. 

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मेले में कई मंच हैं, जहां साहित्य पर चर्चा भी हो रही है और संगीत के सुर भी महक रहे हैं. साहित्य के इस मंच पर 'शौर्य गाथा' नाम के सेशन में पत्रकार और साहित्यकार गौरव सावंत (Gaurav Sawant) और शिव अरूर (Shiv Aroor) ने शिरकत की. गौरव सावंत ने Dateline Kargil नाम की पुस्तक लिखी, वहीं शिव अरूर the India's Most Fearless: True Stories of Modern Military Heroes लिखी है. पत्रकार श्वेता सिंह दोनों से सवाल जवाब कर रही थीं. 

विक्रम बत्रा गौरव सावंत के फोन से गर्लफ्रेंड से बात करते थे

गौरव सावंत ने करगिल युद्ध देखा और उस युद्ध की कहानियों को पुस्तक में बांधा. उन्होंने बताया कि विक्रम बत्रा जिनपर फिल्म 'शेरशाह' बनी, वे विक्रम गौरव सावंत के फोन से अपनी गर्लफ्रेंड से बात किया करते थे. क्योंकि एक युवा कैप्टन के पास उस दौर में फोन नहीं हुआ करते थे. उन्होंने कहा उनकी गर्लफ्रेंड ने आज तक शादी नहीं की है. उनपर फिल्म इसीलिए बनी क्योंकि गौरव जैसे पत्रकार ने जो देखा वो कहानी अपनी पुस्तक में लिखी, फिर उसपर फिल्म बनी. 

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गौरव ने कैप्टन विक्रम बत्रा का जिक्र करते हुए कहा कि उस दौर में मोबाइल फोना नया-नया आया था. फोन के सिगनल नहीं आते थे. हमारे पास सैटेलाइट फोन हुआ करते थे, तब एक मिनट की कॉल 500-700 रुपए की होती थी. तब उसे हम खबरें भेजने के लिए बचाकर रखते थे. सैनिकों के साथ बैठते थे तो हमें कहानियां मिलती थीं. उन्होंने कहा कि हमारे सैनिक जब कागरिल में थे, तो अपने घर फोन करके कहते थे- 'मैं तो शिमला में हूं, सब ठीक है'. यही कहानियां मैं लिखता था. ऐसे में विक्रम बत्रा जो बात करते थे, वो मैं लिखता था. मैं इसीलिए लिख पाया उस प्रेम को, जिसके चलते आज तक उनकी प्रेमिका ने शादी नहीं की.

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