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भारत के इतिहास और साहित्य पर चर्चा, हिंडोल सेनगुप्ता बोले- 'आज के युवा देश के बारे में नहीं जानते'

दो साल बाद साहित्या आजतक के इस तीन दिवसीय आयोजन का आज अंतिम दिन है. इस आयोजन में देश के जाने माने लिखक और कवियों ने भी शिरकत की. साहित्य महाकुंभ के ‘कथा नायक’ कार्यक्रम में लेखक हिंडोल सेनगुप्ता और विक्रम संपत ने भी हिस्सा लिया.

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लेखक हिंडोल सेनगुप्ता और विक्रम संपत
लेखक हिंडोल सेनगुप्ता और विक्रम संपत

साहित्य आजतक के इस तीन दिवसीय आयोजन का आज अंतिम दिन है. साहित्य के इस मंच पर ‘कथा नायक’ कार्यक्रम का हिस्सा बने लेखक हिंडोल सेनगुप्ता और विक्रम संपत. कार्यक्रम में आजतक के वरिष्ठ पत्रकार गौरव सावंत ने हिंडोल सेनगुप्ता की सरदार वल्लभ भाई पटेल पर लिखी पुस्तक 'द मैन हू सेव्ड इंडिया' पर चर्चा की. 

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हिंडोल सेनगुप्ता का कहना है कि हमारी अभी की जनेरेशन को देश के बारे में बहुत कम पता है. और उसकी शुरुआत होती है भारत के मैप से. सबको पता है कि यह भारत का मानचित्र है, लेकिन यह मानचित्र बना कैसे, कहां से बना, ये नहीं पता है. स्कूल में बच्चों को इतिहास पढ़ाया जाता है लेकिन समझाया नहीं जाता. आज कल के जनेरेशन बड़े ही आसानी से कहते हैं कि मिशन क्या होता है, देश क्या होता है, राष्ट्र क्या होता है. हम सब तो एक ही हैं. लोगों को भारत को समझने की जरुरत है. 

हिंडोल सेनगुप्ता ने कहा कि जब ब्रिटिश भारत छोड़ के गए थे, तब वो चाहते थे कि भारत स्वाधीन न हो और राजा-रजवाड़े आपस में बंट जाएं और हर एक क्षेत्र अलग राष्ट्र में बदल जाए. इससे भारत कमजोर हो जाएगा, ताकि उसको आप और बांट पाएं. इस तरह से वे इस किताब के जरिए आज की जेनेरेशन को भारत का सही इतिहास बताना चहाते थे.

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विक्रम संपत से भी सावल इतिहास पर ही था, कि वीर सावरकर को कालापानी की सजा मिली तो वहीं गांधी जी भी जेल गए, नेहरु जी भी जेल गए. तीनों के जेल जाने में अंतर क्या था? विक्रम संपत ने इस सवाल के जवाब में कालापानी सजा की मुश्किलें बताईं और साथ ही, ये भी कहा कि जो क्रांतिकारी तबका था उनको ही यह सजा मिलती थी, लेकिन कांग्रेस का एक भी आदमी पोर्टब्लेयर नहीं गया. उन्हें एक ऐसे जेल में रखा गया जिसमें वह लिख सकते थे, पढ़ सकते थे और घर का खाना खा सकते थे. सावरकर जैसे क्रंतिकारी को ही पोर्यब्लेयर भेजा गया था. उन्होंने ये भी बताया कि कैसे कालापानी में सजा काट रहे कांत्रिकारियों की लिखी कविताओं को मिटा दिया जाता था. लेकिन सावरकर ने अपनी कविताओं को कंठस्थ कर लिया, जिसे बाद में वे गाते भी थे.

इस तरह साहित्य आजतक के कार्यक्रम ‘कथा नायक’ में भारत के असली नायकों के बारे चर्चा की गई और उन्हें याद किया गया, ताकि आज के युवा पीढ़ी को भारत का इतिहास और उसके नायकों के बारे में पता चल सके.

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