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'इश़्क आदमी को बावला बना देता है, लेकिन कमीना नहीं बनाता', साहित्य आजतक पर कुछ यूं उड़ी एहसासों की खुशबू

दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में शब्द-सुरों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक' जारी है. कार्यक्रम के दूसरे दिन मंच पर गजल में अहसासों की खुशबू लेकर आए तनवीर गाजी, आलोक श्रीवास्तव और कवि रितेश राजवाड़ा. इन तीनों ने अपनी गजलों और शेरों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.

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मंच पर शायर तनवीर गाज़ी, आलोक श्रीवास्तव और रितेश रजवाड़ा
मंच पर शायर तनवीर गाज़ी, आलोक श्रीवास्तव और रितेश रजवाड़ा

शब्द-सुरों के महाकुंभ, साहित्य आज का आज दूसरा दिन है. साहित्य आजतक 18 से 20 नवंबर तक दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में चल रहा है. इस कार्यक्रम में 'गज़ल में एहसास की खुशबू' नाम के सेशन में शायर तनवीर गाजी, आलोक श्रीवास्तव और कवि रितेश राजवाड़ा शामिल हुए. इनसे सवाल-जवाब किए आजतक की वरिष्ठ पत्रकार श्वेता झा ने

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इस प्यार मोहब्बत से भरे मंच का आगाज करते हुए, साहित्य आजतक में शामिल मेहमानों का स्वागत एक गज़ल से किया गया. गज़ल के बोल थे- 'तारे चमके हैं तो क्या बात बनेगी, तुम आए हो रात की बात बनेगी.' 

तनवीर गाज़ी एक कवि, लेखक और गीतकार हैं. उन्हें मुख्य रूप से फिल्म पिंक, अक्टूबर और हेट स्टोरी-2  जैसी बॉलीवुड फिल्मों में अपने गीतों के लिए जाना जाता है. उनका परिवार शायरी के खिलाफ था, फिर भी उन्होंने शायरी को चुना. तनवीर गाज़ी से सावल किया गया कि अगर जिंदगी में एहसास न हो, तो जिंदगी क्या है? इसका जवाब उन्होंने शायरी से ही दियै. उन्होंने कहा- 'दिली जज़्बात की बात है, दिल ही बेकार है तो शायरी बेकार है. इश़्क खलल है दिमाग का'. इनका मानना है कि इश़्क आदमी को बावला बना देता है, लेकिन कमीना नहीं बनाता. 

उन्होंने शेर पढ़ा- 

'उसकी आंखों में मेरी मोहब्बत की चमक आज भी है, 
उसको हांलाकी मेरे मोहब्बत पर शक आज भी है, 
नाव में बैठकर कभी धोए थें हाथ उसने, 
सारे तालाब में मेंहदी की महक आज भी है.'

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तनवीर गाज़ी ने अपनी वो शायरी भी सुनाई जिसे टेलीविजन पर महानायक अमिताभ बच्चन ने सुनाया था.

'तू खुद की खोज में निकल, तू किसलिए हताश है 
तू चल तेरे वजूद को भी समय को तेरी तलाश है
जो तुझसे लिपटी बेड़ियां तू समझ ले इसको वक्र, 
ये बेड़ियां पिघाल कर बना ले इसको शस्त्र तू, तेरे वजूद की आवाज है'

अब बात करते हैं कवि आलोक श्रीवास्तव की. वह एक कवि, गीतकार और पत्रकार हैं. आलोक को उनकी कृतियों के लिए कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया है. इनमें अंतर्राष्ट्रीय पुश्किन पुरस्कार और मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा दुष्यंत कुमार पुरस्कार शामिल हैं. उन्होंने अपनी शायरी कुछ इस तरही सुनाई-

'मेरे लिए मोहब्बत है आपका यों सोचना गलत है कि तुम पर नजर नहीं, 
मशरुफ हम बहुत हैं, मगर बेखबर नहीं, 
हम आपके इशारे पर घर-बार छोड़ दें, दीवाने हैं ज़रुर लेकिन इस कदर नहीं.'

आलोक श्रीवास्तव की शायरी को ग़ज़ल गायक पंकज उधास ने भी गया है. वो कुछइस तरह है- 

तेरे एहसास की खुशबु हमेशा ताजा रहती, तेरे रेहमत की बारिश से मुरादे भीग जाती हैं, तुम्हारे पास आते हैं तो सांसे भीग जाती हैं, मोहब्बत इतनी मिलती है कि आंखे भीग जाती हैं, तबस्सुम इत्र जैसा है, हंसी बरसात जैसा है, वो जब भी बातें करती है तो बातें भीग जाती हैं.

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आलोक श्रीवास्तव के बाद रितेश रजवाड़ा ने शायरी की कमान संभाली. उन्होंने सुनाया- 

अगर वो चाहती तो मुश्किल नहीं था, हमें लगता है कि उनका दिल नहीं था, मुहब्बत में वो लड़का हमेशा जीता जो कल तक रेस में शामिल नहीं था.

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