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Sahitya AajTak 2024: 'शायरी करने का मौसम नहीं होता कोई, चोट लगती है तो हम शेर कहा करते हैं', मशहूर शायरों ने बांधा समां

कोलकाता में साहित्य आजतक के मंच पर कोलकाता में मुशायरा का भी मंच सजाया गया. इस दौरान मशहूर शायर वसीम बरेलवी भी पहुंचे. कोलकाता की रहने वालीं शायर जरीना जरीन ने इस मंच से कुछ इस तरह की पंक्तियां कहीं, "

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शाहिद फरोगी
शाहिद फरोगी

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में साहित्य आजतक पर मुशायरे का मंच भी सजाया गया. हिंदी साह‍ित्य के महाकुंभ 'साह‍ित्य आजतक कोलकाता 2024' के दूसरे द‍िन मंच पर वसीम बरेलवी जैसे मशहूर शायर मौजूद रहे. मंच पर शायर फ़रहत एहसास, नवाज देवबंदी, अज़हर इक़बाल, डॉ. शाहिद फ़रोग़ी, शायर, डॉ. जरीना जरीन, शायर और गौतम राजऋषि जैसे शायर भी पहुंचे.

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कोलकाता की रहने वालीं शायर जरीना जरीन ने साहित्य आजतक के खास मंच पर अपनी खास पंक्तियों के साथ मुशायरा कार्यक्रम की शुरुआत की.

'वीरानियों में सब्जा उगाती रही हूं मैं
हरियालियों का रूह दिखाती रही हूं में 

खूने जिगर से सींचकर बंजर कदम-कदम
पत्थर के दिल में फूल खिलाती रही हूं मैं'

शायर शाहिद फरोगी दुनिया में एक मशहूर शायर हैं. वह दुनिया में दर्द की एक अपनी पहचान रखते हैं. वह कोलकाता के ही रहने वाले हैं. साहित्य आजतक के मंच पर उन्होंने अपनी खास लाइनें पढ़ी.

शायरी करने का मौसम नहीं होता कोई, 
चोट लगती है तो हम शेर कहा करते हैं

हम गरीबों की मुकद्दर में आराम कहां,
हम तो चक्की में शबरोज पिसा करते हैं

जमाने की हवाओं ने बदल डाला है लोगों को,
ये कैसा शहर है, एक पल यहां राहत नहीं मिलता'

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