Sahitya AajTak Kolkata 2024: पश्चिम बंगाल के कोलकाता में शब्द-सुरों के महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2024' के दूसरे दिन का आगाज हो गया है. स्वभूमि- हेरिटेज प्लाजा में हुए 'स्वरंजली: उस्ताद राशिद खान' सेशन में उस्ताद के बेटे अरमान खान ने पिता को याद किया और कुछ लाइनें गुनगुनाकर श्रृद्धांजलि दी. उन्होंने उस्ताद राशिद अली खान के बारे में बात करते हुए कहा कि उनके ना होने का गम तो है लेकिन मैं ये नहीं कहूंगा कि वो कहीं गए हैं. मैं समझता हूं कि वो हर वक्त हमारे साथ हैं और रहेंगे. वो हमारे प्रजेंट हैं, जो कभी बदल नहीं सकता.
बनारस की कुछ यादें साझा करते हुए अरमान खान ने बताया कि उस्ताद, राह चलते किसी भी इंसान को बुलाकर बात करने लगते थे. श्रोताओं के बीच बैठे एक बुजुर्ग जब शांत माहौल को भी महसूस करते हुए झूमने लगे, तो उस्ताद ने उनको बुलाकर उनसे बातें की.
'उस्ताद जैसा कोई नहीं बन सकता...'
सेशन के दौरान अरमान खान ने उस्ताद राशिद अली खान की 'अंगना फूल खिलेंगे...' सहित कई पसंदीदा लाइनें सुनाई और श्रोताओं का दिल जीता. पिता को याद करते हुए अरमान खान ने कहा कि लोग मेरी और पापा की तुलना करने लगते हैं लेकिन राशिद खान अलग हैं, उनके जैसा कोई बन नहीं सकता है. दो अलग लोग हैं, मेरा और उनका व्यक्तित्व बिल्कुल अलग होगा.
अरमान ने बताया कि 'उस्ताद ने मेरी बहुत मदद की है. वो कहते हैं कि आप किसी एक को नहीं सुनो. जो बुरा गा रहा है उसको भी सुनो और जो अच्छा गा रहा है उसको भी सुनो. उनका मानना था कि सबको सुनो और सीखो.' अरमान खान ने पिता को गुरु के रूप में याद करते हुए कहा कि जब उनका गुरु वाला मूड शुरू होता है, तो उनसे भयंकर कोई नहीं है. क्योंकि उस वक्त पता नहीं होता कि आपके गलती करने पर उनके आस-पास रखी चीजों में से आपके पास क्या उड़कर आ जाए. गुरु के रूप में वो बहुत कठोर हैं. वहीं दूसरी तरफ पिता के रूप में याद करते हुए अरमान ने बताया कि पिता के रूप में वो बहुत ही ख्याल रखने वाले और प्यार करने वाले हैं. उनके साथ रहने पर पिता नहीं, दोस्त जैसा महसूस होता है. मुझे मीम के बारे में उन्होंने ने ही बताया था.
'इतना रियाज नहीं कि...'
संगीत के रियाज पर बात करते हुए अरमान ने बताया कि उन्होंने मुझे कभी जोर नहीं डाला कि 10-10 घंटो रियाज करो. वो कहते थे कि तुम पूरे दिन तीन घंटा (दोपहर, शाम, रात) रियाज करो. वो बोलते हैं कि कभी अपने गले को प्रेशर नहीं दो, ऐसा रियाज नहीं करो कि अगले दिन गाना ही ना गा पाओ.
उस्ताद के संगीत रियाज पर बात करते हुए उनके बेटे अरमान कहते हैं कि मैंने पापा को कभी रियाज करते हुए नहीं सुना. वो घर पर जब मेरे साथ दस-पंद्रह मिनट बैठते थे, तो ऐसे ही सुर लगा लिया, नहीं तो मैंने कभी उन्हें नहीं देखा रियाज करते हुए. संगीत के अलग-अलग कल्चर पर बात करते हुए अरमान ने कहा कि हमारे घर पर हर तरह की संगीत का माहौल है. पापा को हर किस्म का संगीत पसंद था. वो हर वक्त यही बोले हैं कि हर एक जॉनर को समान दर्जा दिया जाए.