Sahitya AajTak Kolkata 2024: शब्द-सुरों के महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2024' का कोलकाता में दो दिवसीय कार्यक्रम शुरू हो गया है. 'उद्योग घराने, सामाजिक सरोकार' सेशन में अंबुजा नियोटिया ग्रुप के चेयरमैन हर्षवर्धन नियोतिया और सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यकर्ता और लेखक संदीप भुटोरिया शामिल हुए. हर्षवर्धन नियोतिया ने साहित्य और कला पर बात करते हुए कहा कि इस विधा में रुचि रखने वालों की सोच का विकास होता है, इससे वो अपने प्रोफेशन और बिजनेस में मानवता के पहलू को अपनाते हैं. कला, साहित्य, संस्कृति और वेदों का अध्ययन करने वाला अपनी क्वालिटी ऑफ लाइफ सुधार सकता है, उसके अंदर फैसला लेने की शक्ति भी अच्छी होती है.
सफलता और लाइफ बैलेंस पर बात करते हुए हर्षवर्धन नियोतिया कहते हैं कि सफलता की कोई परिभाषा नहीं होती क्योंकि हम सभी लोग सफल और असफल हैं. सफलता वो है कि हम अपनी योग्यता के मुताबिक सच्चे मन और सही ढंग से जो काम कर सकें करें, खुश रहें और लोगों को खुश करें. मेरे मुताबिक यही सफलता है. हमने कितना कमाया, ये एक फैक्टर जरूर है लेकिन इस पर सफलता नहीं निर्धारित करनी चाहिए.
संदीप भुटोरिया की नजरों में हिंदी लेखक...
प्रभा खेतान फाउंडेशन चलाने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यकर्ता और लेखक संदीप भुटोरिया ने कहा कि जब हमने सबसे पहले अंग्रेजी लेखकों के कार्यक्रम शुरू किए थे, तो हमें महसूस हुआ कि हिंदी के लेखकों को भी वही स्थान मिलना चाहिए, जो अंग्रेजी के लेखकों को मिलता है. इसके बाद हमने अंग्रेजी और हिंदी लेखकों को एक साथ स्थान देना शुरू किया.
'भाषा का योग्यता से कोई लेना-देना नहीं...'
भाषा के सवाल पर अपनी बात रखते हुए हर्षवर्धन नियोतिया ने कहा कि किसी व्यक्ति का इंटेलिजेंस उसकी भाषा पर नहीं निर्भर करता है. हम लोगों को हायर करते वक्त सोचते हैं कि लोगों का बेसिक अंग्रेजी ज्ञान अच्छा हो लेकिन भाषा का योग्यता से कोई लेना-देना नहीं है. आज कॉर्पोरेट जगत में अंग्रेजी के प्रति थोड़ा झुकाव है क्योंकि वही ट्रांजैक्शन का मीडियम है. अगर कभी वो मीडियम बदल जाएगा, तो हो सकता है कि ऐसा नहीं रहेगा.
'साहित्य और करियर दो अलग चीज'
अंग्रेजी की आवश्यकता पर बात करते हुए कि संदीप भुटोरिया कहते हैं कि अगर आप अंग्रेजी भाषा सीख रहे हैं और साहित्य में आपकी रुचि है, तो आप हिंदी की किताब भी पढ़ सकते हैं. साहित्य और करियर दोनों अलग-अलग चीज है, भाषा और साहित्य दोनों अलग-अलग चीज है. हर साहित्य अपनी भाषा में समृद्ध है और साहित्य अपनी रुचि है.
युवाओं पर बात करते हुए संदीप भुटोरिया कहते हैं कि आज के युवाओं का दृष्टिकोण और समझ इस युग की नई दिशा और सोच के साथ चलने के लिए अपने आप में पर्याय है. नई सोच के साथ जो उम्र आ रही है, उसको आप समझा नहीं सकते क्योंकि गाइडेंस देना और सोच को काबू करना दोनों अलग बात है.
'जीवन में जो कुछ भी होता है...'
हैप्पीनेस के सवाल पर बात करते हुए हर्षवर्धन नियोतिया ने कहा कि जीवन में जो कुछ भी होता है, वो किसी दूसरे पर नहीं अपने भाग्य पर निर्भर करता है. जब आपको कोई चीज ज्यादा मिल जाती है, तो उसको आप अपनी योग्यता बताते हैं लेकिन कुछ कम हो जाता है, तो उसमें आप किसी दूसरे को दोषी ठहराते हैं.