‘साहित्य आज तक’ के दूसरे दिन कलाकार एवं कहानीकार विनीत पंछी ने अपने जीवन की कुछ कहानियां साझा कीं. 'कहानी अपनी अपनी’ सत्र में उन्होंने यह बताया कि वे उत्तराखंड की एक छोटी-सी जगह से निकलकर इतने सफल कैसे बने. वे सफल एक्टर, लेखक, कलाकार हैं. उन्होंने अपनी कहानी शेरो-शायरी के माध्यम से कही और कई कविताएं भी सुनाई.
उन्होंने अपनी कविता 'जेब की धूप' और 'कमीजें' सुनाई. कमीजें कविता में उन्होंने अपने सारे फेसबुक फ्रेंड की तुलना कमीजों से की है...
कविता इस प्रकार है-
ऊपर से नीचे तक अलमारी में भरी हैं,
तीन सफेद, छह नीली, तीन पिंक और हरी हैं,
पर सेल लगी थी तो हम दो कमीजें और उठा लाए,
पहने न पहनें, पर देखने में तो खरी है...
उन्होंने कहा कि जिंदगी से जो शिकायत करनी बंद कर देता है वो खुशी की तरफ अपने आप बढ़ जाता है.
उन्होंने अपनी जिंदगी का फलसफा कविता के द्वारा पेश किया-
'देखा कभी तुझे तो तुझे छूने को दिल किया,
कभी चाहा कि मैं ये समझूं क्या तुमने इशारा किया,
पर मैं जितना भी भागा, तू मेरे आगे ही रहा, जा तुझे माफ किया जिंदगी... '
देहरादून में पले-बढ़े विनीत पंछी आज एक सफल एक्टर, फिल्ममेकर, कहानीकार, लेखक, कलाकार और सफल आदमी ही नहीं और भी बहुत कुछ हैं. पर कभी ऐसा भी था कि वह कक्षा में सबसे पीछे बैठने वाले छात्र थे. जब उनके सारे दोस्त देश के बड़े इंजीनियरिंग कॉलेजों में जा चुके थे, तब वह चालीस रुपए दिहाड़ी पर म्युजिकबैंड के लिए काम करते थे.
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