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साहित्य आज तक 2022: तो स्वर संजीवनी भी बिखेरेंगी अपनी आवाज का जादू, होंगी खास आकर्षण

साहित्य आज तक 2022 में हमारे अतिथियों की फेहरिस्त में शामिल हैं बालीवुड की मशहूर गायिका संजीवनी भैलेंडे.

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संजीवनी भैलेंडेः बॉलीवुड और शास्त्रीय संगीत, दोनों में पारंगत
संजीवनी भैलेंडेः बॉलीवुड और शास्त्रीय संगीत, दोनों में पारंगत

देश में भारतीय भाषाओं के साहित्य के सबसे बड़े मंच 'साहित्य आज तक 2022' की घोषणा के साथ ही आपके मन में यह कयास शुरू हो गया होगा कि इस साल इसमें कौन कब शिरकत करेगा. हम आपको इसमें शामिल होने के लिए सहमत साहित्यकारों और कलाकारों की जानकारी यहीं देते रहेंगे. आपको इतना तो हम बता ही चुके हैं कि देश की राजधानी दिल्ली के केंद्र में स्थित मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में यह मेला इस साल 18 नवंबर से 20 नवंबर तक होने जा रहा है.
साहित्य आज तक 2022 में शिरकत कर रहे कुछ मेहमानों के बारे में तो हमने बता ही दिया. मगर ज़रा ठहरिए.. हमारे अतिथियों की फेहरिस्त ज़रा लंबी है. इसी कड़ी में आगे हमारे साथ जुड़ रही हैं बालीवुड की मशहूर गायिका संजीवनी भैलेंडे. 2000 के दशक में अपनी आवाज़ से सबको दीवाना बना देने वालीं संजीवनी ने कई हिट गाने दिए जिनमें चोरी चोरी जब नज़रें मिलीं, निकम्मा किया इस दिल ने, तुम जुदा हो कर हमें शामिल हैं.
संजीवनी भेलैंडे जिन्हें उनके पहले नाम से संजीवनी के नाम से जाना जाता है, भारतीय टेलीविजन के इतिहास में एक संगीत गायन प्रतिभा शो की पहली विजेता रही हैं, जिन्हें बॉलीवुड पार्श्व गायन में ब्रेक मिला. 1995 में उन्होंने ज़ी टीवी वॉयस टैलेंट हंट शो सा रे गा मा जीता. संजीवनी ने विधु विनोद चोपड़ा की हिंदी फिल्म करीब के सभी गाने गाए जो एक पार्श्व गायिका के रूप में उनकी पहली फिल्म थी. संजीवनी ने दुनिया भर में 1000 से अधिक संगीत कार्यक्रम किए हैं. उनकी विशेषता शास्त्रीय आधारित गाने हैं. उन्हें 1999 में फिल्मफेयर द्वारा बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर अवार्ड के लिए भी नामांकित किया गया था.
अपनी पुस्तक और सीडी 'मीरा एंड मी' में, उन्होंने संत मीराबाई की कविताओं का अंग्रेजी में अनुवाद कर उन्हें अपनी आवाज़ दी है. इतना ही नहीं, संजीवनी ने ऑनलाइन आध्यात्मिक चैनल राजश्री आत्मा के लिए लगभग 100 ट्रैक बनाए और गाए हैं जिनमें हनुमान चालीसा, कृष्ण भजन, आरती, मंत्र शामिल हैं. संजीवनी ने कई क्षेत्रीय एल्बम जैसे 'जूनी जुने' और नेपाली में जनमजनम, 'गणेशम् गुंगंभीरम', मराठी में जय श्री गणपति, गुजराती में 'दर्शनम पापनाशनम्', तेलुगु में 'तूनिगा तूनिगा', राजस्थानी में बिछिया रो रंको, समेत 11 भाषाओं में गीत गायन किया है. और तो और उन्होंने सचिन पिलगांवकर के साथ दूरदर्शन टीवी धारावाहिक 'पिकनिक अंताक्षरी' की सह-मेजबानी भी की.
तो याद रहे कि हर बार की तरह इस साल भी कला, सिनेमा, संगीत, थिएटर, राजनीति और संस्कृति से जुड़े दिग्गजों से टेलीविजन के बड़े एंकर उनकी किताबों, प्रस्तुतियों, काम, समसामयिक विषयों पर खुले मंच पर चर्चा करेंगे. इस दौरान नाट्य, संगीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी रखी गई हैं.
साहित्य आज तक के पिछले संस्करणों में जिन गायकों ने हिस्सा लिया है उनमें शुभा मुद्गल, वडाली ब्रदर्स, मालिनी अवस्थी, हंस राज हंस, कैलाश खेर, नूरा सिस्टर्स, निज़ामी बंधु, रेखा भारद्वाज, विद्या शाह, मैथिली ठाकुर, उस्ताद राशिद अली, उस्ताद  शुजात हुसैन खान, रुहानी सिस्टर्स, स्वानंद किरकिरे, अनूप जलोटा, पंकज उधास, इरशाद कामिल, मनोज मुंतशिर, संदीपनाथ, शैली के अलावा सलमान अली आदि शामिल हैं.
'साहित्य आज तक' के मंच पर अब तक जावेद अख्तर, अनुपम खेर, कुमार विश्वास, प्रसून जोशी, पीयूष मिश्रा, अनुराग कश्यप, चेतन भगत, आशुतोष राणा, कपिल सिब्बल, नजीब जंग, हंस राज हंस, मनोज तिवारी, अनुजा चौहान, रविंदर सिंह, चित्रा मुद्गल, अशोक वाजपेयी, उदय प्रकाश, मालिनी अवस्थी, दारेन शाहिदी, उदय माहुरकर, हरिओम पंवार, अशोक चक्रधर, पॉपुलर मेरठी, गोविंद व्यास, राहत इंदौरी, नवाज देवबंदी, राजेश रेड्डी, स्वानंद किरकिरे, नासिरा शर्मा, मैत्रेयी पुष्पा, शाज़ी ज़मां और देवदत्त पटनायक जैसी हस्तियां शामिल हो चुकी हैं.
साहित्य आज तक यानी शब्द, संगीत और संस्कृति के इस महाकुंभ में गायन, वादन, चर्चा, बहस,  साहित्यिक परिचर्चा के अलावा मुशायरा और कवि सम्मेलन भी हो रहा है. तो कौन, कहां, कब, किस मंच की शोभा बढ़ाएगा, इसकी जानकारी आपको आने वाले दिनों में इसी जगह मिलती रहेगी, पर असली सूची रजिस्ट्रेशन की लाइन ओपेन होने के बाद ही पता चलेगी.
 

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