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महीनों डायरेक्टर्स के जोड़े हाथ-पैर, नहीं मिला काम, कैसे स्टार बने 'हीरामंडी' वाले ताहा शाह?

साहित्य आजतक 2024 के आखिरी दिन 'हीरामंडी' की कास्ट से अदिति राव हैदरी और ताहा शाह बदुशा आए. यहां दोनों ने अपने करियर और फ्यूचर प्रोजेक्ट्स को लेकर बात की. अदिति ने बताया कि उन्होंने शादी के लिए 400 साल पुराना मंदिर क्यों चुना. ताहा ने ट्रोलिंग और रिजेक्शन्स पर बात की. 

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ताहा शाह बदुशा, अदिति राव हैदरी
ताहा शाह बदुशा, अदिति राव हैदरी

साहित्य आजतक 2024 के आखिरी दिन 'हीरामंडी' की कास्ट से अदिति राव हैदरी और ताहा शाह बदुशा आए. यहां दोनों ने अपने करियर और फ्यूचर प्रोजेक्ट्स को लेकर बात की. अदिति ने बताया कि उन्होंने शादी के लिए 400 साल पुराना मंदिर क्यों चुना. ताहा ने ट्रोलिंग और रिजेक्शन्स पर बात की. 

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हीरामंडी के सेट पर कैसा सफर रहा?
ताहा- मेरे लिए ये एक ब्लेसिंग रही है. शानदार महिलाओं के साथ काम किया जो बहुत शांत स्वभाव की हैं. मेरी मां सिंगल मां रही हैं. उन्होंने बहुत सारी मुश्किलें देखी हैं मुझे बड़ा करने और परवरिश देने में. सच कहूं तो असिस्टेंट डायरेक्टर सारी फीमेल थीं तो मेरे लिए ये फीमेंल ब्लेसिंग काफी अच्छी रही. 

संजय लीला भंसाली के अदित‍ि के साथ काम करने का अनुभव
बिब्बो जान का किरदार काफी अलग था. जब हम छोटे होते हैं तो सपना देखते हैं और जब वो सपना पूरा होता है तो बहुत अच्छा लगता है. मेरा तो सपना दो बार पूरा हुआ है. फिल्म में डायरेक्टर के साथ हम 30-40 दिन बिताते हैं. जब हम शो करते हैं तो करीब 80 दिन डायरेक्टर के साथ गुजारते हैं. उस दौरान मैंने जो संजय मास्टर से सीखा वो शानदार एक्स्पीरियंस रहा. हर दिन उनके साथ नया और अलग होता था. 

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बिब्बो जान के किरदार के बाद कितनी बदली जिंदगी?
अदिति- मुझे पसंद है जो मैं करती हूं. मैंने यहां तक पहुंचने के लिए बहुत मेहनत की है. मेरे लिए ये सफर आसान बिल्कुल नहीं रहा. हां, इतना जरूर है कि मैंने जिन भी फिल्ममेकर्स के साथ काम किया है, उन्होंने मुझे जाना है और समझा है. और वो सभी मेरे साथ काम करके खुश रहे हैं. मैंने हमेशा एक रूल अपनाया है कि मैंने खुद को डायरेक्टर को समर्पित किया है. जो स्टारडम हम लोगों को मिलता है वो दर्शक और डायरेक्ट के बदौलत मिलता है. हां, मैंने मेहनत की है, लेकिन किसी न किसी का हाथ मेरे साथ रहा, जिन्होंने मुझे सक्सेसफुल बनाया. 

संजय के साथ पहली बार काम किया
ताहा शाह- मुझे ये रोल काफी अचानक से मिला. क्योंकि सच बोलूं तो मुझे कोई काम नहीं मिल रहा था. तो मैंने कुछ लगभग 10-15 महीने कास्टिंग डायरेक्टर के पीछे भागता गया. जब फाइनली मिला तो मुझे 3 दिन का रोल मिला था और मैंने हां कर दिया था. क्योंकि संजय सर के साथ काम करते हुए कोई भी रोल छोटा-बड़ा नहीं होता. मुझे दूसरा रोल मिला था. लेकिन फिर संजय सर ने मुझे मीटिंग के लिए बुलाया. उन्होंने कहा कि तुझे ये रोल नहीं, तुझे बलराज का रोल करना चाहिए. फिर लुक टेस्ट हुआ, रीडिंग्स हुए. फिर जब कॉन्ट्रैक्ट साइन करने वाला था तो उन्होंने कहा कि संजय सर ने अपना दिमाग बदल लिया है. मुझे लगा मेरे हाथ से ये प्रोजेक्ट गया. 

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संजय सर ने बुलाया और मैंने उनसे कहा कि आप मुझे निकालो मत. मेरे पास कुछ काम नहीं है. फिर उन्होंने मुझे बिठाया और कहा कि तेरी आंखों में कुछ है. तू लीड रोल कर मेरे इस शो में. वहां से जब मैं निकल रहा था तो मुझे लगा कि सपना मेरा पूरा हो गया है. मेरे पास मेरा सपना खुद चलकर आया. कई सालों तक मैंने हार्डवर्क किया. इस रोल के बाद दर्शकों के दिलों पर मैं उतर गया हूं. उसके लिए थैंक्यू.

संजय सर की एक्स्पेक्टेशन कैसे पूरी की
अदिति- सबके लिए ऐसे डायरेक्टर के सामने चैलेंजिंग होता है. मेरे लिए भी था. मैं परफेक्ट नहीं. मैं खुद को बहुत पुश किया है इस रोल को अदा करने के लिए. मैंने खुद को समझाया कि इस किरदार में मुझे खुद को ढालना है. डायरेक्टर मेरे से क्या चाहते थे, उस किरदार से क्या चाहते थे, ये समझा और किया. 

अदिति मैं सपने बहुत देखती हूं. किस तरह के आगे रोल करना चाहती हूं, इसके बारे में मैं नहीं बताऊंगी. जब काम की बात हो तो मेरा फोकस अलग होता है. मेरा फंडा है कि सपना जब तक पूरा न हो तब तक मैं बात नहीं करती. जब पूरा होगा तो करूंगी. 

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रियल लाइफ में लोग समझ रहे ताजदार
प्यार मिलना तो हमारे हाथ में नहीं है. मेरे हाथ में सिर्फ मेहनत है. मुझे लगता है कि एक्टिंग क्राफ्ट है. इसके पीछे साइंस होती है. अगर आपने अपने आपको उस एजुकेशन में डाला है और समझ लिया है कि किस तरह एक्टिंग काम करती है. तो हर रोल आपके लिए आसान हो जाता है. हालांकि, वो बात अलग होती है कि हर रोल के लिए आपको दर्शकों का प्यार मिले या नहीं वो नहीं पता होता है. हम लोगों को स्क्रिप्ट नहीं मिलती. हर रोज सेट पर जाते हैं तो स्क्रिप्ट मिलती है. तो हमें बस तैयार रहना होता है कि डायलॉग्स किस तरह डिलीवर करने हैं. हर रोल को मैं टेबल पर किस तरह लेकर आता हूं, वो मेरा टैलेंट है. 

अदिति- स्क्रिप्ट होती है, हम लोगों को मिलती है. लेकिन मास्टर हैं जो अपने काम में मास्टरी कर चुके हैं. वो जब सेट पर आते हैं तो उस मोमेंट पर अगर कुछ अच्छा नहीं उन्हें लगता था तो वो बदल देते थे. 

ताहा- ताजदार का किरदार काफी ग्रे था. ऐसे में लोगों ने उस किरदार से कनेक्ट किया और रियल समझा. 

डायरेक्टशन, राइटिंग, फिल्ममेकिंग इनमें से क्या करेंगे
ताहा- मुझे प्रोडक्शन का शौक है. वो करना चाहता हूं. पर मैं एक्टिंग कभी नहीं छोड़ूंगा. मैं स्पॉटबॉय भी बन जाऊंगा. फिल्म इंडस्ट्री में जो काम मिलेगा वो मैं कर लूंगा. 

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शादी के लिए अदिति ने क्यों चुना 400 साल पुराना मंदिर?
मैंने शादी इतनी प्लान नहीं की थी. 400 साल पहले मेरे एन्सेस्टर्स ने बनवाया था. तो मेरे लिए और परिवार के लिए ये मंदिर स्पेशल था. तो नाना-नानी के लिए ये जगह बहुत महत्वपूर्ण थी तो मैं उन्हें धन्यवाद करना चाहती थी. तो मैंने और सिद्धार्थ ने शादी यहीं करने का सोचा. मुझे उनका आशीर्वाद चाहिए था तो दिल से जो करना था वो किया. हम दोनों बस बच्चों की तरह प्यार में थे और चीजें करना चाहते थे. तो मंदिर में हमें दोस्त और परिवार वालों की मौजूदगी में शादी की. सिम्पल एकदम. 

ताहा को मिले रिजेक्शन, शादी का क्या प्लान है?
मेरी लाइफ अभी शुरू हुई है. मेरे पास अभी बहुत सारे चीजें हैं जो मैं मां को लौटाना चाहता हूं. सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि और चीजें. मेरी मां ने मेरे लिए बहुत चीजें की हैं. 14 साल तक मैंने मेहनत की. लोग कहते थे कि आपको बेटा कुछ कर नहीं रहा है, लेकिन मेरी मां में मुझमें भरोसा रखा. तो मुझे अपनी मां के लिए अभी बहुत कुछ करना है.

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