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साहित्य आज तक 2022: भाषा को हम नहीं चुनते, भाषा हमें चुन लेती है: व्योमेश शुक्ल

व्योमेश शुक्ल और गीत चतुर्वेदी हाल के वर्षों में हिंदी कविता के माध्यम से दर्शकों को अपनी ओर खींचने में सफल रहे हैं. नई दिल्ली स्थित मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में आयोजित साहित्य आजतक के मंच पर जाने माने लेखक व्योमेश शुक्ल और समकालीन हिंदी के कवि गीत चतुर्वेदी ने हिंदी कविता और हिंदी पर खुल कर अपनी बात रखी.

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साहित्य आजतक के मंच पर गीत चतुर्वेदी और व्योमेश शुक्ल.
साहित्य आजतक के मंच पर गीत चतुर्वेदी और व्योमेश शुक्ल.

दो साल बाद फिर से आयोजित हो रहे साहित्य आजतक में कवि और लेखक व्योमेश शुक्ल और गीत चतुर्वेदी ने हिंदी भाषा और हिंदी कविता पर खुलकर अपनी बात रखी. साहित्य आजतक के मंच से उन्होंने कहा कि हम किसी भाषा को चुनते नहीं बल्कि भाषा हमें चुन लेती है.

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वहीं, भाषा को धर्म से जोड़ने वाले सवालों का जवाब देते हुए कवि, समीक्षक, समालोचक और 'तुम्हें खोजने का खेल खेलते हुए किताब' के लेखक व्योमेश शुक्ल ने कहा कि भाषा को धर्म या किसी धार्मिक समूह से जोड़ना बहुत ही बचकानी बात है. भाषा और धर्म दोनों अलग-अलग चीजें हैं. साहित्य तक के मंच से 'लौट रही है कविता' सत्र की शुरुआत राजीव ढ़ौडियाल ने प्रीतम वर्धमान की गढ़वाली लोकगीत से की.

'जैसे हमारी मातृभाषा है, वैसे ही दुनिया की भी मातृभाषा'

जाने माने लेख और अनुवादक व्योमेश शुक्ल ने हिंदी भाषा पर पूछे गए सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि किसी भी भाषा को हम नहीं चुनते, बल्कि भाषा हमें चुन लेती है. जैसे हमारी मातृभाषा है, उसी तरह दुनिया की भी मातृभाषा है. समकालीन हिंदी के कवि गीत चतुर्वेदी ने भी कहा कि हम मातृभाषा में ही खुद को अच्छे से रिप्रजेंट कर सकते हैं.

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जो लिखा हूं उस पर अब भी कायम: व्योमेश शुक्ल

व्योमेश शुक्ल ने अपनी किताब के साथ-साथ और एक कवि के तौर पर भी खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि कवि का एक पैर जमीन पर ही होना चाहिए, जिससे वो लोगों की समस्या को देख सके. उन्होंने कहा कि कवि की कल्पना यथार्थ है. अपनी किताब में राजनीतिक टिप्पणी 'सांप्रदायिकता मतलब कमल का फूल' पर उन्होंने कहा कि जो लिखा है, उस पर कायम हूं.

वहीं, कवि, लेखक, गीतकार, पटकथा लेखक और 'अधूरी चीज का देवता' के लेखक गीत चतुर्वेदी ने कहा कि भाषाएं डायनेमिक होती हैं और हिंदी बहुत ही डायनेमिक भाषा है. इसमें और भाषा जुड़ते रहेंगे. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि इसमें तुर्की, जापानी और फ्रेंच भी शामिल हो.

गीत चतुर्वेदी ने भी बांधा समां

'बुरी लड़कियां, अच्छी लड़कियां…' कविता पर बात करते हुए गीत चतुर्वेदी ने कहा कि यह मीट लोफ की पंक्ति है. यह कविता पूरी तरह से व्यंग्य है. गीत चतुर्वेदी ने अपनी इन पंक्तियों को सुनाकर दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया. कश्मीर पर लिखी गई अपनी कविता के बारे में उल्लेख करते हुए गीत ने कहा कि यह एक कश्मीरी बच्चे के खत पर आधारित कविता है.

साहित्य की स्थिति पर गीत चतुर्वेदी

साहित्य की वर्तमान स्थिति पर बात करते हुए गीत चतुर्वेदी ने कहा कि अगर साहित्य में लोगों की रुचि नहीं होती तो लोग यहां सुनने नहीं आते. उन्होंने कहा कि कविता की दुनिया अब और सुलभ हो गई है.

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आप भी ऐसे ले सकते हैं एंट्री

दो साल बाद फिर से शुरु हुए साहित्य आज तक देश में भारतीय भाषा में आयोजित होने वाले किसी भी साहित्यिक आयोजन से बड़ा है. यह प्रत्येक साल अपने स्वरूप में और विराट होता जा रहा है. इस बार का यह आयोजन और ही भव्य हो रहा है. अगर आप भी इस आयोजन में शिरकत करना चाहते हैं तो आज ही आप आजतक की वेबसाइट Aajtak.in पर निशुल्क रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. या 9310330033 पर मिस्ड कॉल देकर फ्री एंट्री पा सकते हैं.

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