साहित्य आजतक 2022 के मंच पर मशहूर कॉमेडियन जाकिर खान पहुंचे. यहां उन्होंने अपने जीवन से जुड़े कई किस्से साझा किए. कार्यक्रम की शुरुआत में ही युवाओं से बात करते हुए जाकिर ने कहा कि बेहतर इंसान बनने के लिए पढ़ा लिखा होना बिल्कुल जरूरी नहीं है. उन्होंने कहा कि पढ़ा-लिखा और समझदार होने के लिए जीवन में साहित्य का होना बहुत जरूरी है.
जाकिर ने मजाकिया अंदाज में कहा कि लड़का होना और अंकल होना फीलिंग है, उम्र नहीं. 21 साल का लड़का भी अंकल हो सकता है और 55 साल का आदमी भी जवान हो सकता है. अपने साहित्यिक आदर्शों के बारे में बात करते हुए जाकिर खान ने राहत इंदौरी को याद किया. बता दें कि दोनों ही इंदौर से आते हैं. जाकिर ने जोर देकर कहा कि आज के लोगों को शेर अच्छे से समझ आते हैं. उन्होंने राहत इंदौरी का एक शेर पड़ा.
सारी बस्ती अपनी है, ये भी इक फनकारी है,
वरना बदन को छोड़ के अपना जो कुछ है सरकारी है।
कश्ती पर आंच आ जाए तो हाथ कलम करवा देना,
लाओ मुझे पतवारें दे दो, मेरी जिम्मेदारी है।
जाकिर ने कई साहित्यकारों को अपने तरीके से किया याद
जाकिर ने साहित्य आजतक के मंच पर राहत इंदौरी के और भी कई शेर पढ़े. इसके बाद उन्होंने मुनव्वर राना का शेर पढ़ा. जाकिर ने कहा कि मुनव्वर राना से बेहतर मां पर कोई नहीं लिख सकता. जाकिर ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताया कि अपना घर छोड़कर कहीं बाहर जाकर बसना एक बहुत कठिन काम है. ऐसे ही समय में लोगों को मुनव्वर राना की मां पर लिखी गई पंक्तियां याद आती हैं. घर को ही याद करते हुए उन्होंने आगे वसीम बरेलवी को भी याद किया.
जाकिर खान ने नए लेखकों को सराहते हुए कहा कि लिखना बहुत जरूरी है. अच्छा या बुरा जैसा भी लिखिए लेकिन लिखते रहिए. यह कला बहुत कम लोगों में होती है. यहां जाकिर खान ने अपनी भी कुछ कविताओं को पढ़ा. जाकिर खान के कार्यक्रम में कई युवा मौजूद रहे.
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