Sahitya AajTak 2022: साहित्य आजतक के मंच पर अंतिम दिन 'खूनी कहानियां' सेशन में देश के जाने माने लेखिक शामिल हुए, जिन्होंने साहित्य, लेखन और मौजूदा परिदृश्य पर बातें कीं. इनमें पटकथा लेखक अमित खान, लेखक सौरभ कुदेशिया, पत्रकार और लेखक संजीव मिश्रा ने आज के लेखन पर चर्चा की.
बता दें कि अमित खान फिल्मों के लिए लिखते हैं. वहीं सौरभ कुदेसिया ने आहवान, स्तुति, आहुति और अग्निहोत्र: महाभारत आधारित पौराणिक रहस्य गाथा लिखी है. संजीव मिश्रा 'बवाली कानपुरिया' उपन्यास के लेखक हैं.
कार्यक्रम में राइटर अमित खान ने कहा कि 'खूनी कहानियां' भी साहित्य हो सकता है. हम जासूसी साहित्य लिखते हैं. हिंदी थ्रिलर भी साहित्य है. अगर कोई अंग्रेजी राइटर क्राइम फिक्शन लिखता है तो उसे लोग दिलचस्पी से पढ़ते हैं, लेकिन हिंदी में थ्रिलर लिखने वालों को ये हासिल नहीं है.
उन्होंने कहा कि आज जो राइटर हैं, जो अच्छा लिख रहे हैं, उनके लिए काफी चांस हैं. उन्होंने बताया कि एकता कपूर और सोनू सूद के साथ वे कई प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. अगर कोई थ्रिलर लिखता है तो बेव सीरीज, ऑडियोबुक्स में काफी काम है. आज का समय लेखकों के लिए बेहतर मौके देने वाला है. मेरी कई किताबें ऑडियोबुक्स पर मिलियंस में पढ़ी गई हैं.
अमित खान ने कहा कि कुछ ऐसा भी लिखूं जिससे जिंदगी में लोग इंस्पायर हों, लेकिन लोग जो देखना चाहते हैं, इसकी वजह से क्राइम पर शो बनाए जा रहे हैं. बाजार को ध्यान में रखकर भी काफी कुछ लिखा जा रहा है.
एक सवाल के जवाब में अमित ने कहा कि क्राइम की कहानी में अंत कभी भी अच्छा नहीं होता है, पढ़ने वालों को कहानी के अच्छे भाग से इंस्पिरेशन लेनी चाहिए. विलेन की कहानियों में विलेन कभी हीरो नहीं हो सकता. उन्होंने बताया कि ओटीटी प्लेटफार्म पर कई शो जल्द आने वाले हैं.
क्राइम पर आधारित कहानियां भी खूब पढ़ी जाती हैंः संजीव मिश्रा
पत्रकार व लेखक संजीव मिश्रा ने कहा कि मैंने कानपुर के विकास दुबे पर किताब लिखी है. यह क्राइम की गाथा है. इसे पढ़ने पर ये लगेगा कि किताब में विकास न हीरो है और न ही विलेन है. इस पूरी घटना को फिक्शन की तरह लिखा गया है. क्राइम पर आधारित कहानियां भी खूब पढ़ी जाती हैं.
उन्होंने कहा कि इस किताब में मेरी कोशिश थी कि किसी के पास इस मामले को लेकर कोई सवाल न रहे. उन्होंने कहा कि हिंदी में लोग पढ़ रहे हैं, बशर्ते अच्छा लिखा जाए.
दिल्ली में श्रद्धा की हत्या के आरोपी आफताब ने यूट्यूब पर तरीके खोजकर वारदात को अंजाम दिया. इस पर लेखक संजीव ने कहा कि ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए. कुछ हद तक इन चीजों का असर रहता है, लेकिन समय के साथ और नई कहानियां आएंगी, जिनसे चीजों में सुधार होगा.
एक सवाल के जवाब में संजीव मिश्रा ने कहा कि जो लोग पढ़ना चाहते हैं, उसे ही हम लिख रहे हैं. क्राइम जीवन से जुड़ा हुआ है, इसी वजह से उसे लिखा जा रहा है. क्राइम लिखते समय हमें समाज की जिम्मेदारी को ध्यान में रखना चाहिए. समाज के साथ हमें चलना है. संजीव ने कहा कि जब दायित्वों का निर्वहन ठीक से होने लगेगा तो सारी चीजें खुद बदलनी शुरू हो जाएंगी.
लेखक के लिए बाउंड्रीलाइन होती हैः सौरभ कुदेशिया
इस दौरान लेखक सौरभ कुदेशिया ने कहा कि हम जिसे क्राइम कहते हैं, वह किसी की नजर में क्राइम नहीं होता है. उसे साइको किलर कहा जा सकता है. उन्होंने बताया कि मैं हमेशा रात में ही खूनी कहानियां लिखता था. इस दौरान मॉडरेटर सईद अंसारी ने श्रद्धा हत्याकांड को लेकर चर्चा की.
सईद अंसारी ने सवाल किया कि कहीं आप फेम और पैसों के चक्कर में क्राइम को ग्लोरीफाई तो नहीं कर रहे हैं. इसके जवाब में लेखक सौरभ कुदेशिया ने कहा कि लेखक के लिए बाउंड्रीलाइन होती है, उसे ध्यान में रखकर ही लिखते हैं. उन्होंने कहा कि हमारा डर ही सपने देखने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है. सपना और डर दोनों मिक्स रहते हैं.
कार्यक्रम में सौरभ ने कहा कि हमारे भीतर राम भी हैं, रावण भी है, ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम क्या चुनते हैं. उन्होंने कहा कि जब लोग क्राइम देखना बंद कर देंगे तो ये लिखना बंद हो जाएगा. इस दौरान अमित खान ने कहा कि वेब सीरीज के लिए सेंसरशिप की जरूरत है, जब ये हो जाएगा तो ओटीटी पर न्यूडिटी भी नहीं रहेगी. कार्यक्रम के अंत में दर्शकों ने भी कई सवाल किए.