शब्द-सुरों के महाकुंभ, साहित्य आज का आज तीसरा और आखिरी दिन है. तीसरे दिन साहित्य आजतक के मंच पर शिरकत करने पहुंचे मशहूर स्क्रीनराइटर और गीतकार जयदीप साहनी. जयदीप साहनी मुख्य तौर से हिंदी सिनेमा में सक्रिय हैं. जयदीप अब तक कई फिल्मों में गीत लेखन कर चुके हैं, जिनमें हिचकी, शुद्ध देसी रोमांस आदि फिल्में शामिल हैं. लेकिन जयदीप को 'चक दे इंडिया' की वजह से सबसे ज्यादा जाना जाता है. साहित्य आजतक के मंच पर जयदीप साहनी ने शुरुआती दिनों से लेकर अपने करियर के तमाम उतार चढ़ावों पर चर्चा की.
कार्यक्रम की होस्ट श्वेता सिंह ने जब उनसे पूछा कि उनके पास इंजीनियरिंग की डिग्री होने के बावजूद भी उन्होंने करियर में ऐसा विकल्प क्यों चुना जोकि उनके बैकग्राउंड से बिल्कुल अलग था. तब उन्होंने बताया कि उन्होंने कंप्यूटर इंजीनियरिंग करने के बाद आईटी कंस्ल्टिंग में ही जॉइन किया. लेकिन बाद में वह अपनी जॉब से ऊब गए तो उन्होंने नौकरी छोड़ने के लिए MBA की तैयारी शुरू की. इसी बीच उनकी मुलाकात उनके एक कजिन भाई से हुई जो कि एड एजेंसी में काम ढूंढ रहे थे. तब उन्होंने एड की दुनिया में जाने का शौक था और उन्होंने भी शौकिया तौर पर काम शुरू किया. उन्होंने कॉपी टेस्ट दी और तभी से उनके जीवन में लेखनी की शुरुआत हुई.
एडवरटाइजिंग (Advertising) की दुनिया और फिल्म जगत की लेखनी में फर्क बताते हुए जयदीप साहनी ने कहा कि प्रोडक्ट एड में बहुत कम लाइन में बात कहनी होती है और फिल्म में लिखने के लिए आपके पास बहुत स्पेस होता है. तो ऐसे उन्होंने अपने शब्दों के आकार को बढ़ाते हुए अपने करियर को एक और मोड़ दे दिया.
तो कुछ ऐसे बनी चक दे इंडिया...
जयदीप साहनी ने बताया कि लिखने से ज्यादा बड़ी चुनौती बनवाने और रिलीज करने का होता है. कई बार फिल्म बन भी जाती हैं तो रिलीज के लिए चुनौतियां आती हैं. अपनी मिडल क्लास लाइफ के बारे में बताते हुए साहनी ने एक और किस्सा शेयर किया. उन्होंने बताया कि एक बार उन्होंने महिला हॉकी टीम की जीत की कोई खबर अखबार में पढ़ी. वो कहीं पीछे के पेज पर छपी थी. ऐसे में साहनी को महसूस हुआ कि अगर क्रिकेट टीम हार भी जाए तो खबर फ्रंट पेज पर छपती है और हॉकी अपना खेल होकर भी महत्वपूर्ण नहीं है. उस वक्त साहनी को यह बात कई दिनों तक खलती रही.
यहीं से जयदीप साहनी को अपने जीवन की सबसे यादगार फिल्म 'चक दे इंडिया' का आइडिया आया. उन्होंने बताया कि इस तरह की फिल्म को बनाने में बहुत चुनौतियां रहीं. खेल पर फिल्में उस दौर में नहीं चलती थीं. इस फिल्म के लिए साहनी ने खुद स्पॉन्सर जुटाने की कोशिश की, लेकिन वो कामयाब नहीं हुए. उन्होंने बताया कि इस फिल्म के लिए असली महिला खिलाड़ियों की चुनौतियों को देखा और फिल्म में उतारा.
शाहरुख के बिना हिट होती चक दे इंडिया?
जयदीप साहनी ने कहा कि कबीर खान और शाहरुख खान के स्टारडम की वजह से हमें फायदा हुआ. लेकिन शाहरुख के होने के बाबजूद भी फिल्म की ओपनिंग जोरदार नहीं हुई. हालांकि कुछ दिनों बाद फिल्म की कहानी और शाहरुख और अन्य सभी की एक्टिंग लोगों को पसंद आने लगी तो इसी फिल्म ने कमाल कर दिखाया.
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