Sahitya AajTak 2023: शब्द-सुरों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2023' का शुभारंभ शुक्रवार को दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में हुआ. आज (शनिवार) कार्यक्रम का दूसरा दिन है. इसमें 'ये समय और साहित्य-1' शीर्षक पर साहित्य अकादमी विजेता लेखक उदय प्रकाश ने विचार व्यक्त किए.
साहित्य में वर्तमान समय को लेकर उन्होंने कहा कि समय एक जैसा कभी नहीं रहा. 17 बार दिल्ली उजड़ी और बसी. सभी दिल्लियां दिल्ली में ही हैं. समय की गतिशीलता और अनिश्चितता बताती है कि तय कुछ नहीं है. धर्मवीर भारती की कृति 'अंधायुग' का हवाला देते हुए वो कहते हैं, युद्ध शुरू होने जा रहा था. तभी धृतराष्ट्र काल से पूछा कि युद्ध का परिणाम क्या होगा. काल कहता है आप ही जीतेंगे. मगर अंत में क्या हुआ.
साहित्य में तकनीकी का क्या प्रभाव
इस सवाल पर वो कहते हैं, नई तकनीकी आने पर हम अपनी चीजों से दूर होते जाते हैं. वर्चुअलिटी की ओर बढ़ते जाते हैं. मगर, गावों में अभी भी तानाबाना बचा हुआ है. अभी भी ऐसे हकीम मिल जाएंगे जो नब्ज टटोलते हैं. तकनीकी का साहित्य पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, इस मैं कुछ नहीं कहना चाहता. साहित्य केवल भाषा पर ही निर्भर नहीं. हमें एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से ज्यादा एनआई (नेचुरल इंटेलिजेंस) पर ध्यान देना चाहिए.
वर्तमान समय, साहित्य और सियासत
उदय प्रकाश ने कहा कि साहित्य बहुत सारी चीजों को एक साथ जोड़ता है. हम कैसे साहित्यकार हैं, ये विचार करना होगा. एक कमरे में बैठकर हम लोग लिख रहे हैं और बाहर के शोर में जाने से डर लगता है.
साहित्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव
ये स्थितियां पहले भी थीं. अंग्रेजी शासन में जब खड़ी बोली का विकास हो रहा था. तब देश प्रेम का मतलब था ब्रिटिश इंडिया से प्रेम. बहुत से लोग थे जो इसके खिलाफ थे. साहित्य में अपने समय की तमाम चीजें आती हैं.
किसने देखा कि कृष्ण ने गीता में क्या लिखा. हम कोशिश करें कि ओरिजनल लिखें. शब्द में सभी सत्ताएं विसर्जित हो जाती हैं. शब्दों पर भरोसा बनाए रखिए. कौन सा शब्द कहां बोला जा रहा है, ये ध्यान देना चाहिए.