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कविता इशारा करती है, खुलकर नहीं कहती: कुमार विश्वास

कविता इशारा करती है, खुलकर नहीं कहती: कुमार विश्वास

'साहित्य आज तक' के मंच पर जब कवि कुमार विश्वास ने अपने सुरों से समां बांधा तो उनकी गजल सुन सब अपने-अपने चाहने वालों में खो गए. आप भी सुनिए कुमार विश्वास की रचना, 'एक मैं हूं.'

poet and political leader kumar vishwas gazal at the stage of sahitya aaj tak

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