खीर हो, चाय हो या इश्क हो जब तक तपता और पकता नहीं, तब तक मजा और स्वाद नहीं देता. 'साहित्य आज तक' के मंच पर से सुनें कवि कुमार विश्वास की नई रचना 'फिर मेरी याद आ रही होगी...'