तुझमें कोई और रहता है, गौर से सुनना बीचबीच में जाने वो क्या-क्या कहता है. तेरी हरियाली के अंदर एक टीला है रेगिस्तानी.... तुम्हीं चांद के शीतल प्रेमी, तुम्हीं अग्नि को हो उकसाते, तुम्हीं शांति का दूत बने हो और तुम्हीं रक्त को हो दहकाते, फिर भी रंग कौन भरता है, तुझमें कोई और रहता है.. .सुनें साहित्य आजतक के मंच पर प्रसून जोशी द्वारा पढ़ी गई यह कविता.
Prasoon Joshi reading his hindi poem at Sahitya Aajtak- Tujhme koi aur rahta hai, gaur se sunana beech-beech men jane wo kya kya kahta hai...