प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पठानिया ने महत्वाकांक्षा और ऋण के बीच संबंध पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि भोग बिना ऋण नहीं होता और जितना लाभ, उतना ऋण. पठानिया ने बताया कि बिलियनेयर्स सबसे बड़े ऋणी होते हैं. उन्होंने यज्ञ परंपरा और कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के बीच तुलना की. पठानिया ने कहा कि मोक्ष का मतलब ऋण से मुक्ति है और केवल डुबकी मारने से ऋण मुक्ति नहीं होती. उन्होंने लोगों को महत्वाकांक्षा से बचने की सलाह दी.