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साहित्य आजतक: क्या राष्ट्र का भी कोई धर्म होता है?

साहित्य आजतक: क्या राष्ट्र का भी कोई धर्म होता है?

साहित्य आज तक के मंच पर 'राष्ट्र और धर्म' सेशन में दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े प्रोफेसर अपूर्वानंद, प्रोफेसर संगीत रागी, और डॉ. सच्चिदानंद जोशी के बीच चर्चा हुई. इस दौरान क्या राष्ट्र को चलाने की जिम्मेदारी धर्म को दी जानी चाहिए? क्या धर्म के बिना कोई राष्ट्र अपनी जिम्मेदारी निभा सकता है? इन तमाम विषयों पर तीनों हस्तियों ने अपनी बात रखी. प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा कि राष्ट्र एक कल्पना है और जब यह राष्ट्रवाद में तब्दील होता है तो बीमारी हो जाता है. उनके इस विचार का डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने मजबूती से प्रतिकार किया.

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