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साहित्य का राष्ट्रधर्म: राष्ट्रवाद और देशभक्ति अलग नहीं

साहित्य का राष्ट्रधर्म: राष्ट्रवाद और देशभक्ति अलग नहीं

साहित्य, कला और कविता प्रेमियों के मंच 'साहित्य आजतक' का आगाज हो गया है. राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई. 'हल्ला बोल' मंच पर 'साहित्य का राष्ट्रधर्म' मुद्दे पर चर्चा हुई. जिसमें नंदकिशोर पांडेय, ममता कालिया और अखिलेश जैसे वरिष्ठ लेखक शामिल हुए. सेशन में देश के माहौल, आंदोलन और उसके प्रति लेखकों के विचार पर मंथन हुआ. केंद्रीय साहित्य हिन्दी संस्थान के डायरेक्टर नंद किशोर पांडेय ने राष्ट्रवाद के मुद्दे पर कहा कि राष्ट्रवाद की जरूरत हर समय रहती है, राष्ट्रवाद और देशभक्ति को अलग-अलग नहीं रख सकते हैं. कुछ लोगों को 'वाद' शब्द से दिक्कत होती है.

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