साहित्य आजतक के पहले दिन स्टेज पर पहुंचे जाने माने वॉयस ओवर आर्टिस्ट और लेखक हरीश भिमानी. उन्होंने जब अपनी चिर-परिचित आवाज में महाभारत की उद्घोषणा की तो पूरा स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. 'मैं समय हूं' सत्र में उन्होंने कहा कि भाषा पर प्रभुत्व के लिए उसे धर्म का दर्जा देना जरूरी है.