भारतीय सिनेमा के महानतम गीतकार, निर्माता और लेखक गुलजार, अपने जीवन, करियर, शैली, रचनाएँ, फिल्में, शायरी और विचारों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं. उन्होंने अपनी जीवन यात्रा, अनसुनी बातें, अपनी फिल्मों से अधिक लगाव, खुद की शायरी, ज़िंदगी की कठिनाईयों, खुशियों, चुनौतियों को शायरी के माध्यम से व्यक्त करने के बारे में बात की. उन्होंने अपनी व्यक्तिगत जिंदगी को 'पूंजी' कहा है और उसे बांटने को तैयार नहीं हैं. अपनी इमेजिनरी महबूबा के रूप में पूरे ब्रह्माण्ड को स्वीकार करने के बारे में भी उन्होंने बात की. यह अद्वितीय और गहन साक्षात्कार, गुलजार की व्यक्तिगत और काव्यिक जिंदगी के विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास है.