साहित्य आजतक 2017 के अंतिम दिन सातवें सत्र में मुशायरे का आयोजन किया गया. इस दौरान वसीम बरेलवी, मंजर भोपाली, आलोक श्रीवास्तव, शीन काफ निजाम, कलीम कैसर और शकील आजमी ने अपने शेऱ पढ़ें. इसी मंच से ख्यात शायर मंजर भोपाली ने पढ़ा- मैं गुलदस्ते बनाता हूं वो शमशीरें बनाते हैंयहां खादी पहनकर लोग जागीरें बनाते हैं