पुलवामा में सीआरपीएफ हमले के बाद वीर रस के कवि डॉ हरिओम पंवार की कविताओं का याद आना लाजिमी है. पंवार ने साल 2016 में ही साहित्य आजतक के मंच से उस व्यवस्था को कोसा था, जिसके चलते देश की यह दशा हुई है. अपनी एक कविता में उन्होंने यहां तक कह दिया था कि कश्मीर किसी के अब्बा की जागीर नहीं है