हंस राज हंस ने अपने लोक गीतों से समां बांधा. हंस राज हंस ने अपने गीतों की शुरुआत 'वो कहां कहां न मिले, मेरे मेहरबां...' से शुरुआत की. हंस राज हंस ने कहा कि आज के दौर में सूफी की बेहद जरूरत है. आज जब मजहब मजहब के लड़ रहा है तब सिर्फ सूफी प्यार और शांति का संदेश पहुंचा रहा है.