साहित्य आजतक के दूसरे दिन फेमिनिस्ट, राइटर और जर्नलिस्ट श्रिमोई लोगों से मुखातिब हुईं. उन्होंने बेबाक अंदाज में कई मुद्दों पर बात की. साथ ही अपनी बचपन की यादों को भी ताजा किया.