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हंस राज हंस ने जब साहित्य आजतक में गाया 'ये जो सिली- सिली ओंदी ये हवा किथे कोई रोन्दा होएगा'

हंस राज हंस ने जब साहित्य आजतक में गाया 'ये जो सिली- सिली ओंदी ये हवा किथे कोई रोन्दा होएगा'

ये जो सिली- सिली ओंदी ये हवा किथे कोई रोन्दा होएगा... सूफी संगीत के सितारे हंस राज हंस ने साहित्य आजतक के मंच से युवाओं को अपने संगीत के साथ ही पढ़ाया इश्क और स्वाभिमान का पाठ. सुनिए तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उनका यह गीत

Ye jo sili sili aundi ye hawa kithe koi rinda hiega by Hans Raj Hans

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