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ये सोचना गलत है कि तुम पर नजर नहीं: साहित्य आजतक में आलोक श्रीवास्तव

ये सोचना गलत है कि तुम पर नजर नहीं: साहित्य आजतक में आलोक श्रीवास्तव

ये सोचना गलत है, कि तुम पर नजर नहीं, मशरूफ़ हम बहुत हैं, मगर बेखबर नहीं, अब तो खुद अपने खून ने भी साफ कह दिया, मैं आपका रहूंगा मगर उम्र भर नहीं...साहित्य आजतक में ग़ज़लकार आलोक श्रीवास्तव की शायरी

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