हम उस जेनरेशन से आते हैं जो इश्क़ करना फिल्मों से सीखती है जहां हर पल कुछ हो रहा होता है. कोई शरारत, कोई बात, कोई बातचीत. हम समझते हैं कि इश्क़ में ऐसा ही होता है और अगर ये नहीं है तो इश्क़ बोरिंग है लेकिन हकीकत ये है कि इश्क़ उन शादीशुदा पुराने लोगों के बीच भी होता है जो एक कमरे में बैठे बिना बात किये खामोशी से अपना अपना काम करते रहते हैं. उनका इश्क़ वक्त के साथ मैच्योर हो जाता है - सुनिये कहानी 'पहली सी मुहब्बत' स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
दुनिया में औलाद और मां-बाप की ये कहानी हज़ारों बार दोहराई जा चुकी है पर ये कहानी है कि कभी पुरानी नहीं होती. ये कहानी तब तक दोहराई जाएगी जब तक औलादें उतनी मुहब्बत अपने मां-बाप से करना नहीं सीखेंगी. फिक्र मत करो, घर तुम्हारे नाम कर दिया है बेटा" - सुनिये उम्र के आखिरी मोड़ पर खड़े एक शख्स की आखिरी मुहब्बत और उसके बेटे की नाराज़गी की कहानी - चलो एक बार फिर से - स्टोरीबॉक्स में जमशेद कमर सिद्दीक़ी से
चुगलखोर चाचा जब मर कर दूसरी दुनिया में पहुंचे तो उन्हें पता चला कि वो तो दोज़ख में भेज दिये गए हैं। वहां उन्होंने क्या किया कि उन्हें वापस जन्नत भेजा गया और आखिर क्यों उन्हें जन्नत रास नहीं आई - सुनिए पूरी कहानी स्टोरबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
उस रात मानव इतिहास में पहली बार एक अनोखा काम होने जा रहा था। एक आदमी जिसे खुद एक काम नहीं आता था वो आदमी वही काम दूसरे को सिखाने जा रहा था. वो काम था स्कूटर चलाना सिखाना. हमने सोचा था कि सिखाने में क्या मुश्किल है बस यही तो कहना है - सामने देखो-सामने देखो, बैलेंस बनाओ-बैलेंस बनाओ... चलाने वाला सीखता तो खुदी है... पर हम ग़लत थे उस रात कुछ ऐसा हो गया कि भुलाए नहीं भूलता - स्टोरीबॉक्स में सुनिए कहानी जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
जब भी राजनीतिक मुद्दे गर्माते हैं तो विभाजन की उस दहलीज तक जरूर जाते हैं जहां हिंदुस्तान से पाकिस्तान काटा जा रहा था. मगर उन चंद लोगों के दिमागों में क्या चल रहा था जो करोड़ों लोगों की तकदीर तय करने बैठे थे? सोनी लिव का नया शो 'फ्रीडम एट मिडनाईट' यही कहानी दिखाता है.
कॉफी का रंग घुलने लगा था। बावर्ची खाने में आंखों के कोरों पर ग़म को पोंछते हुए ज़ैनब चाय की पत्ती का डिब्बा ढूंढने लगी। दूसरी शादी का पहला दिन था वो। सब कुछ कितना अजनबी लग रहा था वहां। वो दीवारें, वो शेल्फ़, वो बर्तन... जैसे वो किसी अंजानी सड़क से गुज़र रही हो और तमाम अजनबी आंखें घूर रही हों। एक मां के तौर पर भी उसे खुद से शिकवा था, इस रिश्ते के लिए उसने अपने बच्चे को छोड़ दिया था - सुनिए पूरी कहानी 'कभी मैं, कभी तुम' जमशेद कमर सिद्दीक़ी से
रातें सर्द होने लगी थीं और उसके पास रहने का कोई इंतज़ाम नहीं था. उसने बहुत सोचा और फिर इस नतीजे पर पहुंचा कि उसके लिए अगले तीन महीने के लिए जेल से अच्छी जगह कोई नहीं है. उसे वहां मुफ्त खाना भी मिलेगा और कंबल भी. लेकिन सवाल ये था कि जेल जाने के लिए क्या किया जाए. उसने एक प्लान बनाया - सुनिए पूरी कहानी स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
वो गुड़गांव के दफ्तर में होने वाली गरबा नाइट थी। फालगुनी पाठक उसमें चीफ गेस्ट थीं। हर तरफ डांडिया थामे सजे-धजे लोग और माहौल में म्यूज़िक गूंज रही थी लेकिन इस भीड़ में एक लड़का था इशान.. जिसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं क्योंकि उसे गरबा खेलते-खेलते करना था ब्रेकअप... सुनिए पूरी कहानी स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
मुझे ये क्यों लग रहा था कि मैं उस घर में अकेला नहीं हूं. कोई और भी है जो मेरे आसपास खड़ा मुझे देख रहा है. बिजली तेज़ से कौंधी और तभी मैंने वो देखा जो मैं अपनी मौत तक कभी नहीं भूल पाऊंगा. सुनिए स्टोरीबॉक्स में हॉरर कहानी 'उस घर में कौन था?'
एक शायर साहब ने कुत्ता पाला और न सिर्फ पाला बल्कि उस कुत्ते को शायरी के आदाब भी सिखा दिये. कुत्ता इतना शायरी का पारखी हो गया कि न सिर्फ पूंछ उठा के बता देता था कि शेर अच्छा है या ख़राब बल्कि नए शायरों की गज़ल की इस्लाह भी कर देता था. एक बार मेरा उन शायर साहब के घर में जाना हुआ और वो किस्सा भुलाए नहीं भूलता. सुनिए स्टोरीबॉक्स में पतरस साहब की कहानी 'शायर साहब का कुत्ता' जमशेद क़मर सिद्दीकी के साथ
मेरे सामने बैठी उस ग़रीब महिला ने अपने कंधे पर से साड़ी का पल्लू हटाते हुए कहा, "डॉक्टर साहब, पति ने बहुत मारा है" उसके कंधे का ज़ख्म गहरा था और उस पर दांत के निशान थे। सुनिए स्टोरीबॉक्स में कहानी 'अस्पताल की एक सुबह' जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
दूसरी दुनिया से आई उस लड़की ने प्रोफ़ेसर से क्यों कहा कि वो उनके बारे में ऐसा राज़ जानती है जो दुनिया में औऱ कोई नहीं जानता. भेड़िये के बारे में प्रोफेसर ने जो कुछ नैना को बताया उसमें कितना सच था और कितना झूठ? क्या हुआ था मुर्तज़ा के साथ? और क्या था उसकी मौत का असली राज़? सुनिए स्टोरीबॉक्स में भेड़िया कहानी का दूसरा और आखिरी पार्ट - जमशेद क़मर सिद्दीकी से
तसलीमा नसरीन बांग्लादेश की जानी-मानी लेखिका हैं, वे अब तक कई किताबें लिख चुकी हैं. वे कविताएं लिखती हैं और उनकी एक नॉवेल 'लज्जा' पर भारत में फिल्म भी बन चुकी है. इस फिल्म के बाद उनके खिलाफ फतवा जारी कर दिया गया था. वहीं हाल ही में बांग्लादेश में हुई हिंसा को लेकर उन्होंने क्या कुछ कहा. सुनिए उनका Exclusive इंटरव्यू
उस लड़की ने कहा कि वो तीन सौ साल बाद की दुनिया से आई है. वो एक टाइम ट्रैवलेर है और प्रोफ़ेसर तबस्सुम के बेटे मुर्तज़ा जिसके बारे में मशहूर था कि उसे भेड़िये उठा कर ले गए थे, वो उस हादसे की हक़ीकत जानती थी. क्या थी हक़ीकत और क्या वो वाकई भविष्य से आई थी? सुनिए जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से स्टोरीबॉक्स की नई कहानी 'भेड़िया'
ठाकुर साहब ने उसे कभी भी अपने सगे बेटे से कम नहीं माना था और इसीलिए जब सगे बेटे की शादी हुई तो शादी की सारी खरीद फ़रोख्त की ज़िम्मेदारी उसे ही दे दी. लाखों का लेन देन उसी के हाथों हो रहा था यहां तक कि शादी के ज़ेवर भी उसी ने ख़रीदे. कभी उसकी नीयत नहीं ख़राब हुई लेकिन एक रोज़ रात के वक्त उसके ज़मीर ने करवट बदली और उसने ज़ेवरों से भरे उसे डिब्बे को चुराने का फैसला कर लिया. सुनिए मुंशी प्रेमचंद की लिखी कहानी 'ज़ेवर का डिब्बा' स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से