ब्रेकअप एट गरबा नाइट
राइटर - जमशेद कमर सिद्दीक़ी
अगर आप को कभी किसी से इश्क हुआ है, और उसके बाद इश्क में ब्रेक अप हुआ है तो आप ये बात जानते होंगे कि एक चीज़ होती है पोस्ट ब्रेक अप ट्रॉमा... वो ट्रॉमा जब आदमी अपनी बिल्कुल बर्बाद दिखाई देता है... मजनू बन जाता है, जगजीत सिंह की गज़लें सुनकर रोता है, वॉट्सएप डीपी से फोटो हटा देता है, सोशल मीडिया पर वही महबूबा जिनकी एक एक फोटो पर दिल लुटाते थे उसे पहले ट्विटर से ब्लॉक करते हैं, फिर फेसबुक से फिर इंस्टा से... और उसके बाद छुपछुप कर लिंकइन पर उसका अकाउंंट देखते हैं।
ऐसे लोगों से आप दुनिया जहान की कोई बात कर लीजिए... ईरान-तुरान कुछ भी... वो उस बात को कहीं न कहीं अपने एक्स से जोड़ ही देंगे। मान लीजिए आप उनका मूड ठीक करने के लिए उसे मोमज़ की दुकान तक ले गए... और कहा...
छोड़ यार... जिसको जाना था चली गयी... ज़िंदगी थोड़ी रुक जाती है... लो मोमोज़ खाओ... अब वो मोमोज़ की प्लेट हाथ मे लेकर मोमोज़ को देखे जा रहे हैं... अजीब अजीब तरह से उसे घूर रहे हैं... आप ने कहा, अरे खाओ ना, देख क्या रहे हो...
बोले, यार उसको भी मोमोज़ बहुत पसंद थे। (बाकी कहानी पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें। और इसी कहानी को जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से सुनने के लिए ठीक नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें)
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(बाकी की कहानी यहां से) हम मोमोज़ वहीं फेंक कर चल दिये बाइक पर कहीं घूमने... रास्ते में भाई साहब फिर खामोश ... क्या हुआ.... पूछा तो कहेंगे .. यार हम दोनों इस रास्ते से यूनिवर्सिटी जाते थे.... गुस्सा आया तो बाइक रोकी और पलट कर गुस्से में एक थप्पड़ जड़ दिया... अब वो मुस्कुरा रहे हैं गाल पर हाथ रखे। अब क्या हुआ... पूछेंगे तो वो कहेंगे.... यार वो भी ऐसे ही मारती थी।
अब ऐसे दोस्तों के लिए कोई क्या ही कर सकता है। लेकिन दोस्ती है तो झेलनी तो पड़ेगी। जैसे जब मैं दिल्ली के महरौली इलाके में रहता था तो हमारे एक फ्लैट मेट हुआ करते थे इशान। दादा बाड़ी जैन मंदिर वाली गली आगे जाकर जिस चौराहे पर खत्म होती है... वहीं पर था हमारा फ्लैट। हम दोनों गुड़गांव की एक कंपनी में काम करते थे। किस्सा उन दिनों का है जब इशान साहब का नया नया ब्रेक अप हुआ था और उनकी हालत भी समझ लीजिए वैसी ही थी... जैसी अभी थोड़ी देर पहले मैं बता रहा था। नवरात्री का वक्त था.... हर तरफ गरबे की धूम थी... शहर की सड़कें खूबसूरत लाइटों से सजी हुई थी। लेकिन महरोली के हमारे घर में मनहूसियत छाई हुई थी। श्रेया से बातचीत बंद हुए महीनाभर हो गया था, लेकिन इशान अब भी उदास था... अब भी दफ्तर से घऱ आकर सीधे बिस्तर पर लेटे जाता और छत पर घूमते पंखे को देखता रहता। बुरा लगता था मुझे। श्रेया इशान के दफ्तर में थी, दोनों की टीम अलग अलग थी लेकिन कॉफी ब्रेक्स पर मुलाकातें हुई और फिर दोस्ती, और बात दोस्ती से आगे बढ़ गयी। पर महीनाभर पहले न जाने किस बात पर बात चीत बंद हो गयी... अब इशान साहब नाखून से ज़मीन खुरच रहे थे, तड़प रहे थे उको पता था कि श्रेया अब उनकी ज़िंदगी में नहीं आने वाली.... पर करें क्या...
सुनो इशान.... मेरी बात सुनो... एक दिन मैंने इशान से कहा, देखो यार मेरे पास तुम्हारे लिए एक स्कीम है... मतलब एक प्लान है। तुम श्रेया के गम से निकलना चाहते हो या नहीं.... इशान ने मेरा हाथ पकड़ लिया। तड़प कर बोला, अरे जमशेद भाई बस... बस यही तो चाहते हैं हम कि भूल जाएं उसे... भूल ही तो नहीं पा रहे हैं... रह रहकर याद आ जाती है। किसी को आइस्क्रीम खाते देखते हैं तो लगता है अरे ऐसे ही तो वो खाती थी... किसी को मुस्कुराता देखते हैं तो लगता है अरे ऐसे ही तो वो हंसती थी, किसी को गुस्से में देखते हैं तो लगता है अरे.... यार हर जगह वही दिखती है... बस कोई रास्ता बता दो कि मैं उसे भूल जाऊं... है कोई तरीका...
मैंने कहा, है...
क्या है... बताओ... बताओ मुझे
अरे एक मिनट... आराम से... देखो गुरु ... इश्क में जो हमारा तजुर्बा है वो ये है कि आदमी ब्रेकअप से नहीं टूटता... टूटता है ब्रेकअप में खोने वाली रिस्पेक्ट से... कहने का मतलब है कि अगर आप को कोई ये कह दे कि जाओ आज के बाद मुझे शक्ल मत दिखाना... तो आप गिड़गिड़ाने लगेंगें... हाथ जोड़ेंगे पैरे जोड़ेंगे कि भाई ... किसी तरह बस... बात बन जाए... बिना गलती के सॉरी भी बोल देंगे... और फिर भी बात नहीं बनेगी तो फिर तड़पेंगे.... लेकिन इसी सीन में अगर कैरेक्टर के डायलोग उल्टे कर दें... यानि आप जाएं और जाकर अपने पार्टनर से कहें... जाओ आज के बाद मैं तुम्हें अपनी शक्ल नहीं दिखाऊंगा... हमारा तुम्हारा रिश्ता खत्म... ब्रेक अप करता हूं मैं... और ये कहकर स्टाइल ये वापस चले आएं... तो आपके लिए ब्रेकअप के बाद का वक्त आसान गुज़रेंगा। क्योंकि ब्रेकअप के धुएं से निकलते हुए आप अपनी इगो... बचा लाते हैं। ये सारा खेल इगो का है बाबू। समझ रहे हो क्या कह रहे हैं...
इशान बोले... हां... कुछ कुछ समझ रहे हैं.... मैंने कहा.. तो पूरा प्लैन सुनो... ऑफिस में है नवरात्र की पार्टी... फालगुनी पाठक आ रही है... बढ़िया रंगीन सदरी पहन कर गाएंगे वो... और उनके साथ साथ बाकी लोग नाचेंगे ... श्रेया भी होगी उसमें.... ऐसा करो कि तुम अपने इस देवदास मोड से बाहर आओ और नवरात्र पार्टी में जाओ....
तुम लोगों की बातचीत बंद है.. तुम अचानक से जाओ सामने और कह दो... श्रेया... आई ब्रेक अप विद यू.... और कहकर चले आओ.... दुनिया का बेस्ट ब्रेकअप होगा ये... अरे कसम से बता रहे हैं कि दो ही चीज़ें होंगी इसेक बाद... या तो वो पिघल जाएंगी... और रोने धोने लगेंगी... सॉरी वॉरी बोलेंगी... और अगर नहीं पिघली.. तो भी तुमको उसकी याद वाद नहीं आएगी.... आराम से मूव ऑन कर जाओगे....
मेरी बात इशान को जंच गयी। अगले ही दिन ऑफिस की पार्टी में तैयार वैयार होकर चल दिये। हम भी चल दिए... अब वहां पहुंचे तो एक बड़ा सा मैदान था जहां खूब लाइटिंग थी, म्यूज़िक बज रहा था, लड़कियां खूब ट्रेडिशनल कपड़ों में सजी धजी थीं। डांस फ्लोर बनाए गए थे... हम दोनों सजे धजे रंगीन कुर्ते पहने उसी भीड़ में शामिल हो गए। प्लैन तो तैयार था ही इसलिए इशान की नज़रें श्रेया को ढूंढ रही थीं।
तभी अचानक श्रेया नज़र आई... इशान के चेहरे पर मुस्कुराहट आने लगी... आंखों में चमक... अचानक उसकी तरफ बढ़ने लगे... मैंने रोका अरे रुको... किधर... अजीब हो यार तुम... बोले... सॉरी सॉरी... वैसे श्रेया उस दिन लग तो खूबसूरत रही थी। पर्पल घाघरा, लंबे बाल, सफेद दुप्ट्टा जो कंधे से होता हुआ कमर की एक साइड से पीछे बंधा था., हाथों में खूब सारी चूड़ियां और ठीक ठाक मेकअप.... ये फिसलने लगे थे... हमने रोका... और कहा कि पिघलना नहीं है। जो प्लैन बनाके आए हैं... वही करना है। अचानक इनके चेहरे पर ताव आया... बोले ठीक है।
तभी वहां मशहूर सिंगर फालगुनी पाठक आ गयीं... शोर सा उट्ठा और फिर उन्होंने माइक हाथ में पकड़ के गाना गाना शुरु कर दिया। ढोलिडा ढओल रे वागाड़- मारे हिंच लेवी छे... माहौल बिल्कुल बदल गया... लोग नाचने लगे... डिस्को लाइट्स चमकने लगीं। हाथ में डांडिया लिये लोग नाचने लगे और गोल गोल घूमते हुए एक दूसरे से डांडिया लड़ाने लगे। अब देखिए सीन ये है कि श्रेया डांडिया लिये झूम रही है और बार बार घूम कर पीछे खड़ी एक फ्रैंड से अपनी डंडिया लड़ा रही है... जैसे ही एक बार वो घूमी..... तो चौंक गयी... डांडिया हाथ में थामे इशान खड़े हैं....
नज़रें मिली.... वो सकपकाई... पर इशान भी अजीब हैं... पता नहीं ये उनसे किसने कहा था कि नाचते नाचते अपनी बात कहना... अब वो डांडिया लड़ाते हुए बात कर रहे हैं, बार बार उसके चारों तरफ घूम रहे हैं और अपनी बात भी कह रहे हैं...
श्रेया मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं... कहते कहते वो नाचते हुए पीछे चले गए... श्रेया ने भी धीरे-धीरे पैर हिलाते हुए चौंक कर उसकी तरफ़ देखा। बस यही कि...” श्रेया ठहर गयी, वो गर्दन मटकाता हुए उसके इर्द-गिर्द घूमता हुआ बोला, “मैं तुमसे ब्रेकअप…” कहते हुए इशान ने सर उठाया तो श्रेया वहां नहीं थी।
“सोनल गरबो शीरे अंबे मां, हैलो मैं विक्रम” अब ये जो ब्रेकअप करने आए थे... कमर पर हाथ ऱख कर मटकते हुए उसे उदासी से देख रहे हैं....और कह रहे हैं... चालो धीरे-धीरे, ढोलना चालो धीरे... मैं... मैं इशान...
श्रेया ने धीरे-धीरे डांस करते हुए कहा... इशान ये विक्रम, मेरा मंगेतर है... अरे ढोलना रे ढोलना... ढोलदा ढोल रे वागाड़ मारे हिंच लेवी छे....”
इशान के पैरौं तले, जैसे हरे कालीन समेत ज़मीन खिसक गयी। चेहरे पर पसीना आ गया... पर मटकते रहे... वो बोली... “, सॉरी मैं तुम्हें बताने ही वाली थी... चालो धीरे-धीरे.. और शादी में आना ज़रूर। सोनल गरबो शीरे -अंबे मां, चालो धीरे-धीरे”
अचानक से विक्रम और श्रेया ने अपनी अपनी डांडिया एक दूसरे पर टिकाईं और वो लंगड़ाने वाले स्टाइल में नाचते नाचते भीड़ में दूसरी तरफ हो गए... इशान अपनी डांडिया आपस में ही टकराते हुए मेरी तरफ देख रहे थे... मुझे बहुत ज़ोर से गुस्सा आया...
इशारे में बोले... अब क्या करें.... ब्रेक तो हम करने आए थे... कर वो गयी।
मैं उनके पास आया और गुस्से में कहा, कुछ मत करो... तुम इसी लायक हो... अब श्रेया तो गयी ही... कम से डांस के ही मज़े ले लो... मैं उधर जा रहा हूं.... चिली पनीर के काउंटर पर मिलो....
एक आज़माई हुई बात बता रहा हूं... बढ़िया खाने और बढ़िया गाने के आगे सब गम फीके पड़ जाते हैं। थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि इशान चिली पनीर काउंटर पर काउंटर वाले से झगड़ रहे थे कि पीस छोटे क्यों हैं.... ये और बात है कि खाते वक्त उनकी आंखों में आंसू थे... अब वो चिली के होने से थे या श्रेया के न होने से... इसका फैसला आप कीजिए.
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