कहानी - चचा छक्कन
इम्तियाज़ अली ताज
पिछली गर्मियों की बात है, इतवार का दिन था। हमारे यहाँ चिराग़ जलते ही खाना खा लिया जाता है। बच्चे सो गए थे। चची ने खाना निपटा कर इशा की नमाज़ की नीयत बाँधी थी, नौकर बावर्ची ख़ाने में बैठे खाना खा रहे थे, चचा छक्कन बनियान पहने, तहमद बाँधे, टांग पर टांग रखे, चारपाई पर लेटे मज़े मज़े से हुक़्क़े के कश लगा रहे थे कि तभी गली से शोर की आवाज़ आई।
इसी कहानी को ऑडियो में सुनें। SPOTIFY या APPLE PODCAST पर
नौकर खाना छोड़ दरवाज़े की तरफ़ लपके, चचा भी लपक कर उठ बैठे और कोई नज़र न आया तो चची की तरफ़ देखा, चची ने सलाम फेरते हुए मुँह उधर मोड़ा, आँखें चार हुईं तो चचा ने पूछा, ये..... आवाज़ सुनी.... शोर आ रहा है कहीं से? चची माथे पर तेवरी डाल कर वज़ीफ़ा पढ़ने लगीं।
चचा छक्कन कुछ देर इंतिज़ार करते रहे कि शायद कोई नौकर पलट कर आए और कुछ ख़बर लाए। फिर कोई नहीं तो बोले, सब कहां मर गए... देख रही हो इन लोगों की हरकतें... कोई बता नहीं रहा कि क्या वारदात हो गई... बस सब बाहर झांक रहे हैं।
फिर खुद ही उठे और जूता पहन कर बाहर निकलने की तैयारी की। चची ने आवाज़ बोलीं, अरे सुनों चले तो हो लेकिन किसी के झगड़े में न पड़ना।
चचा बोले, अरे लाहौल पढ़ो.... ये बाज़ारी लोग... मैं इनके झग़ड़े में पड़ूंगा... बस देख लूं ज़रा कि मामला है क्या... आ रहे हैं... बैठो तुम आराम से
ड्योढ़ी में क़दम रखा तो देखा घर के सामने भीड़ जमा है। चचा को उम्मीद न थी कि इतनी जल्दी मौक़े पर जा पहुँचेंगे। पता चला कि झगड़ा दो पड़ोसियों के बीच है जो सामने के मकान में रहते हैं, एक ऊपर की मंज़िल में, दूसरा नीचे की मंज़िल में। हाथा-पाई तक नौबत पहुंच गई थी लेकिन लोगों ने दोनों को अलग अलग कर के सँभाल रखा है। और मोहल्ले के ही मीर बाक़िर अली दोनों पार्टियों को को समझा-बुझा कर तक़रीबन ठंडा कर चुके हैं। यानि मामला लगभग-लगभग खत्म हो गया था।
लेकिन चचा से रहा न गया। ये बात उन्हें कैसे गवारा हो सकती थी कि उनके होते-साते मुहल्ले का कोई और शख़्स मामला निपटा गया. लिहाज़ा... आप तह्मद कस के बनियान नीचे खींच कर दरवाज़ा खोल बाहर खड़े हुए और किसी नेता के अंदाज़ में बोले, अरे भई क्या मामला हो गया? हैं
मीर बाक़िर अली जिन्होंने दोनों झगड़ा करने वालों का मामला सुलझा दिया था, उन्होंने कहा, अजी कुछ नहीं। यूँ ही ज़रा सी बात पर इन ख़ानसाहब और मौलवी साहब में झगड़ा हो गया था। मैंने समझा दिया है दोनों को।
वो तो समझ गए मगर चचा भला कहाँ समझते मौक़ा पर जा पहुंचे, बोले, हम्म वो तो ठीक है ... मगर क्या बात हुई? ये तो कुछ ऐसा नज़र आता है जैसे ख़ुदा-न-ख़्वास्ता मारपीट तक नौबत पहुंच गई थी।
मीर बाक़िर अली ने टालना चाहा। अजी अब ख़ाक डालिए उस क़िस्से पर, जो होना था हो गया। पड़ोसियों में दिन-रात का साथ, कभी-कभार हो जाती हैं कुछ बातें, मिट्टी डालिये लेकिन अब भी चचा की ठंड नहीं पड़ी, बोले हम्म, वो तो ठीक है आपकी बात लेकिन... ग़लती किसकी थी... ज़्यादती आख़िर किस की तरफ़ से हुई?
झगड़ा खां साहब और मौलवी साहब के बीच हुआ था... ख़ां साहिब बोले, पूछिए इन मौलवी साहब से जो बड़े अल्लाह वाले बने फिरते हैं। डाढ़ी तो हाथ भर बढ़ा रखी है लेकिन हरकतें ज़लीलों की सी हों तो डाढ़ी से क्या फ़ायदा?
चचा चौंक कर बोले, ओहो ये क़िस्सा तो टेढ़ा मालूम होता है!
अब मौलवी-साहब कैसे चुप रह सकते थे, बोले, साहिब उनको कोई चुप कराए। मैं बड़ी देर से चुप हूं, सोच रहा हूं जाने दो... जाने लेकिन ये जो मुँह में आए बके चले जाते हैं। अंजाम अच्छा नहीं होगा, बताएगा देता हूं
ख़ान साहब कड़क कर बोले, अबे जा, चार भले आदमी बीच में पड़ गए जो मैं रुक गया, नहीं तो नतीजा तो आज ऐसा बताता कि छट्टी का दूध याद आ जाता।
मौलवी साहब ने तन कर फ़रमाया, ताक़त के घमंड में न रहना ख़ान साहिब! अंग्रेज़ का राज है, जी हाँ, और यहां भी कोई ऐसे वैसे नहीं हैं। हम भी ऐसे हथियारों पर उतर आए तो याद रखिए वर्ना, जी हाँ।
ख़ान साहब बेक़ाबू हो गए। मुक्का तान कर आगे बढ़ा चाहते थे कि लोगों ने बीच-बचाओ करके रोक लिया। मौलवी साहब आस्तीनें चढ़ाते-चढ़ाते रह गए, बाक़िर अली साहिब ने परेशान हो कर चचा छक्न से कहा, क्या चचा, दोनों के दोनों अच्छे ख़ासे समझ गए थे। आपने फिर दोनों को भिड़ा दिया।
चचा बोले, लाहौल वला क़ुव्वत। हमनें भिड़ा दिया... अजी हज़रत मैं तो सिर्फ़ इतना पूछ रहा था कि क़सूर किसका है।
बाक़िर अली ने फिर बात टालनी चाही। अजी कहाँ अब बीच सड़क पर किस्सा सुनिएगा, जाने दीजिए, जो हुआ सो हुआ मैं तो इन दोनों की शराफ़त की दाद देता हूँ कि जो हमने कहा, इन्होंने मान लिया, बात आई गई हुई, अब आप क्या गड़े मुर्दे उखेड़ने आ गए। मोहल्ले वालों ने भी बाकिर अली की हां में हां मिलाई।
चचा ने देखा, मोहल्ले वालों के बीच मीर बाक़िर अली छाए चले जा रहे हैं।
आग ही तो लग गई लेकिन सँभल कर बोले, साहब-ए-मन आपको इस मुहल्ले में आए अभी अ'र्सा ही कितना हुआ। हमारी तो नाल इसी मुहल्ले में गड़ी हुई है। और बीच रास्ते का क्या मतलब है...अरे, ये झगड़ा हम तक आज न पहुंचता कल पहुंच जाता। सो अभी समझने में क्या दिक्कत है। सामने ही तो ग़रीबख़ाना है, अंदर चल बैठें, दो मिनट में क़िस्सा तय हुआ जाता है। मुझे तो ये हर्गिज़ गवारा नहीं कि मुहल्ले में पड़ोसयों में सर-ए-बाज़ार जूती पैज़ार हुआ करे।
ये कह कर चचा ने सर झटक कर दाद चाहने वाली निगाहों से मज्मे को देखा। बोले, क्यों साहिबों! अरे बोलियों कुछ बात सही है कि नहीं है.... ये भला कोई शराफ़त है?
मज्मे में भुन भूनाहट सी सुनाई दी। मीर साहिब ख़ामोश हो के रह गए। चचा बोले, तो आप दोनों साहिब अंदर तशरीफ़ ले आईए ना। और मीर साहिब अगर चाहें तो मीर साहिब भी आ सकते हैं। बाक़ी लोगों से मुख़ातिब हो कर फ़रमाया। अरे अब आप लोग जा सकते हैं, यहां कोई नचनिये तो नाचेंगे नहीं जो आपको बुलाऊं... जाइये यहां से... काम धाम कीजिए... हटिये... ऐ तुम क्या खुजला रहे हो... जाओ... तुम भी। आपस के झगड़े तय कराना बहुत दिमाग का काम है... आप लोग अपने घर जा कर आराम कीजिए।
लीजिए साहिब चचा चीऱ जस्टिस बन गए गए, खा साहब और मौलवी साहब, मीर बाकर साहिब को साथ लिये घर में आए। घर पहुंच कर पहले मर्दाने ही से नौकर बुंदु लैम्प लाए, और दूसरा नौकर मोदा बर्फ़ का पानी बनाए, और तीसरा इमामी हुक़्क़ा ताज़ा करके पहुंचाए। और लैम्प ला चुकने के बाद ख़ासदान लेकर आए, और मोदा पानी ला चुकने के बाद उगालदान ला कर रखे, और अमामी हुक़्क़े से फ़राग़त पा कर पंखा झले।
सबको दीवानख़ाने में बिठाया, ख़ुद ये कह कर अंदर गए कि मैं अभी हाज़िर हुआ। अंदर जा कर बनियान पर चिकन का कुर्ता पहना। पहन ही रहे थे कि चची ने जल्दी-जल्दी रकात ख़त्म करके सलाम फेर के पूछा, क्या बात है? सब ख़ैरियत तो
बोले, अब क्या बताएं, बड़ी अजीब हालत है इन लोगों की, न दिन को चैन लेने देते हैं न रात को। इन सामने वाले ख़ान साहब और मौलवी साहब का झगड़ा हो गया। मुसीबत में मेरी जान पड़ गई। कह रहे है कि फ़ैसला आप कीजिए। बात टाली भी नहीं जा सकती, भई मुहल्ले का मामला है। ख़ैर... अब देखना तो पड़ेगा ही... तुम ऐसा करो कि नमाज़ पढ़कर कुछ पान लगा के भेज देना।
फिर कुर्ते के बटन लगाते हुए बाहर निकले, दीवानख़ाने में पहुंच कर आराम कुर्सी पर बैठ गए। टांगें समेट कर ऊपर धर लीं। बोले, जी भई.... तो मैं हाज़िर हूँ, फ़रमाइए क्या बात हुई? सारा मामला बयान कीजिए। लेकिन शार्ट में। बहुत वक्त नहीं है मेरे पास... बताइये
to be continued...
(पूरी कहानी सुनने के लिए ऊपर दिए गए लिंक पर क्लिक करें या फिर SPOTIFY, APPLE PODCAST, GOOGLE PODCAST, JIO-SAAVN, WYNK MUSIC में से जो भी आप के फोन में हो, उसमें सर्च करें STORYBOX WITH JAMSHED)