scorecardresearch
 

Pregnancy: प्रदूषण के कारण बच्चों की ग्रोथ हो सकती है प्रभावित

प्रदूषण का असर गर्वभवती महिलाओं पर भी होता है. जानिये प्रदूषण का क्या असर होता है प्रेग्नेंसी पर...

Advertisement
X
आकांक्षा पारे
आकांक्षा पारे

Advertisement

विश्व स्वास्थ्य संगठन और कुछ दूसरी संस्थाओं द्वारा कराए गए विभिन्न अध्ययनों में पाया गया है कि भारत, पाकिस्तान और चीन के कुछ शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना अधिक है कि वह खतरा बन चुका है और इसकी स्थिति समय के साथ और खतरनाक होती जा रही है.

वायु प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को किस तरह प्रभावित करता है ये तो हम सभी जानते हैं पर गर्भवती महिलाओं के लिए ये बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. खासतौर पर तब जब महिला दमा से पीड़ित हो.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ का कहना है कि ऐसी गर्भवती महिलाएं जिन्हें दमा है, जब वायु प्रदूषण के संपर्क में आती हैं तो उनमें निर्धारित समय से पूर्व प्रसव की आशंका बढ़ जाती है.

दमा पीड़ित गर्भवती महिलाओं के लिए आखिरी छह सप्ताह का समय काफी गंभीर होता है. अत्यधिक प्रदूषण वाले कणों, जैसे एसिड, मेटल और हवा में मौजूद धूल कणों के संपर्क में आने से भी समयपूर्व प्रसव का खतरा बढ़ जाता है.

Advertisement

यह जानकारी जरनल ऑफ एलर्जी एंड क्लिनिकल इम्यूनॉलॉजी में प्रकाशित हुई है.

कई अध्ययनों में पाया गया है कि प्रदूषित हवा के चलते नवजात बच्चे के वजन पर असर पड़ता है.

पूरी दुनिया तेजी से बढ़ते प्रदूषण और उसके मानव जीवन पर पड़ते प्रतिकूल प्रभाव से परेशान हैं तो भाला भारत अभी तक क्यों नहीं? ये सवाल जायज है क्योकि पूरी दुनिया में स्टाकहोम से लेकर जिनेवा तक पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर समझौतें हो रहे हैं पर सवाल है कि भारत कब इस ओर ध्यान देना शुरू करेगा क्योकि दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर कहीं और नहीं बल्कि खुद भारत में मौजूद हैं. वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) की रिपोर्ट बताती हैं कि शीर्ष 20 में 13 शहर अकेले भारत में मौजूद हैं.

WHO ने कैसे किया सर्वे?
WHO ने दुनिया के 91 देशों के कुल 1600 शहरों में अपने इस सर्वे को अंजाम दिया. WHO ने अपना स्टैण्डर्ड पैमाना पार्टिकुलेट मैटर (PM) लिया जिसमे उसने 2.5 माइक्रोन से लेकर 10 माइक्रोन तक के प्रदूषित कणों (पार्टिकल्स) का अध्ययन किया जो हमारे स्वस्थ्य पर सबसे ज्यादा असर डालते हैं.

Advertisement
Advertisement