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'इमरजेंसी' पर लिखी गई 6 किताबें, जो आपको पढ़नी चाहिए

1975 से लेकर 1977 तक रहे आपातकाल के दौर को आपने अपनी आंखों से नहीं देखा तो इन किताबों की नजर से देखिए.

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1975 से लेकर 1977 तक रहा आपातकाल का दौर भारतीयों के दिलो दिमाग से मिटा पाना संभव नहीं है. भले ही उस आपातकाल के दौर को बरसों हो जाएं. इंदिरा गांधी के आपातकाल को इस साल 40 साल हो रहे हैं. देश की जनता उस दौर को याद कर रही है.

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आपातकाल से जुड़े तथ्य लोग सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं. जाहिर है 1975-77 के आपातकाल के बारे में जितना लिखा पढ़ा जाएगा, आम जन के मन में लोकतंत्र की पैठ और मजबूत होगी.

लेखकों, पत्रकारों और इतिहासकारों से लेकर आमजन के लिए आपातकाल बहुत ही रोचक विषय रहा है. आपातकाल को केंद्र में रखकर लिखी गई हर नई किताब को पाठक हाथों हाथ लेते हैं. ड्रामा, सस्पेंस, चरित्र, संघर्ष और विजय के क्षण आपातकाल की कहानी को रोचकता प्रदान करते हैं. जाहिर है कि ऐसे विषय पर लोगों ने जमकर लिखा है. ज्यादातर किताबों की केंद्रीय पात्र पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हैं.

आपातकाल के बारे में नेताओं, इतिहासकारों और पत्रकारों के पास अपने-अपने तथ्य और कहानियां हैं. इन्हीं में से कुछ चुनिंदा किताबें, जो आपको जरूर पढ़नी चाहिए...

1. कूमी कपूर की किताब 'द इमरजेंसीः अ पर्सनल हिस्ट्री'

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2. प्रख्यात पत्रकार विनोद मेहता लिखित किताब 'द संजय स्टोरी'

3. पिछले साल आई राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब 'द ड्रामाटिक डिकेडः द इंदिरा गांधी ईयर्स'

4. पीएन धर की किताब 'इंदिरा गांधीः द इमरजेंसी एंड इंडियन डेमोक्रेसी'

5. भारतीय मूल के कनाडाई कथाकार रोहिंटन मिस्त्री की किताब 'अ फाइन बैंलेस'

6. दिग्गज पत्रकार कुलदीप नैयर की किताब 'इमरजेंसी रीटोल्ड'

 

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