scorecardresearch
 

पद्म पुरस्कारों को लेकर कटघरे में साहित्य अकादमी

साहित्य अकादमी ने पद्म पुरस्कारों के लिए नाम प्रस्तावित करते वक्त जहां हिन्दी और उर्दू सहित कई प्रमुख भारतीय भाषाओं के बड़े लेखकों की अनदेखी की वहीं कुछ खास लोगों के नामों को सरकार की ओर से नामंजूर कर दिए जाने के बावजूद साल दर साल प्रस्तावित किया गया.

Advertisement
X

साहित्य अकादमी ने पद्म पुरस्कारों के लिए नाम प्रस्तावित करते वक्त जहां हिन्दी और उर्दू सहित कई प्रमुख भारतीय भाषाओं के बड़े लेखकों की अनदेखी की वहीं कुछ खास लोगों के नामों को सरकार की ओर से नामंजूर कर दिए जाने के बावजूद साल दर साल प्रस्तावित किया गया.

Advertisement

अकादमी ने पिछले छह सालों में पद्म भूषण के लिए आठ लेखकों के नाम प्रस्तावित किये, लेकिन किसी को पुरस्कार नहीं मिला. वहीं, पद्मश्री के लिए 20 लेखकों का नाम प्रस्तावित किया जिनमें से 11 लेखकों को पुरस्कृत किया गया.

इस दौरान, अकादमी ने हालांकि पंजाबी के सबसे बड़े लेखक सुरजीत सिंह पातर, उर्दू के शमशुर रहमान फारूखी और हिंदी के कुंवरनारायण के नामों का प्रस्ताव नहीं किया लेकिन, पातर और फारूखी को सरकार की ओर से पद्मश्री और कुंवर नारायण को पद्मभूषण से सम्मानित किया गया.

सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गयी जानकारी के मुताबिक, पिछले छह वर्षों (2007 से 2012 के बीच) में अकादमी ने पद्म भूषण के लिए प्रमुख उत्तर भारतीय भाषाओं हिन्दी और उर्दू के किसी भी लेखक के नाम का प्रस्ताव नहीं किया. कवि और समीक्षक अशोक वाजपेयी ने कहा, ‘यह बहुत कुछ स्वेच्छाचारिता का नमूना है और इसमें वस्तुनिष्ठता का अभाव है. केवल हिन्दी में पद्म विभूषण के लिए छह और पद्मभूषण के लिए 10 नाम हो सकते हैं.’

Advertisement

उन्होंने कहा, ‘हिन्दी और उर्दू के लिए यह अपमान की बात है. एक तरह से देखा जाये तो यह भारतीय भाषाओं के साथ ज्यादती है.’ आरटीआई के तहत डी. जयकुमार द्वारा मांगी गयी जानकारी के मुताबिक, इस दरम्यान पद्म भूषण के लिए तेलुगु के लेखक प्रो. बी कृष्णमूर्ति के नाम का प्रस्ताव लगातार छह साल तक भेजा गया, हालांकि उन्हें पुरस्कार नहीं मिला.

इसी तरह, कन्नड़ के पांच लेखकों के नाम भी भेजे गए जिसमें से चंद्रशेखर कंबर का नाम तीन बार प्रस्तावित किया गया. बांग्ला के नबनीता देव सेन, कश्मीरी के रहमान राही और असमी के नीलमणि फूकन का नाम तीन-तीन दफा प्रस्तावित किया गया. अकादमी के उप सचिव के एस राव के दस्तखत से आये जवाब के मुताबिक, पद्मश्री के लिए सबसे अधिक 14 नाम कन्नड के लेखकों के प्रस्तावित किये गये. 2012 में छह में से चार नाम कन्नड़ के लेखकों के हैं.

इन छह सालों (2007 से 2012) के दौरान कन्नड़ के डी महादेव का नाम पांच बार, एल श्रीनिवासैया का तीन बार, प्रसन्ना और एल बासवराज का नाम दो-दो दफा प्रस्तावित किया गया. इसी अवधि में पद्मश्री के लिए उर्दू के बलराज कोमल का नाम लगातार पांच दफा, बांग्ला के सैयद मुस्तफा सिराज का नाम चार बार, मराठी के लक्ष्मण माने का नाम तीन बार, हिन्दी के केदारनाथ सिंह का नाम तीन दफा और राजस्थानी के लेखक डा. चंद्र प्रकाश देवल तथा राजस्थानी के भोलाभाई पटेल सहित कई लेखकों का नाम दो-दो बार प्रस्तावित किया गया.

Advertisement

ललित कला अकादमी के पूर्व अध्यक्ष अशोक वाजपेयी ने कहा, ‘75 बरस की उम्र में केदारनाथ सिंह का नाम पद्मश्री के लिए प्रस्तावित करने का क्या तुक है?’

वरिष्ठ लेखक और ‘हंस’ के संपादक राजेन्द्र यादव ने कहा, ‘साहित्य अकादमी उन्हीं लोगों का नाम प्रस्तावित करती है, जो उनकी ‘गुड बुक’ में होते हैं और उनकी चमचागिरी करते हैं. मैं इन पुरस्कारों को खुशामदी संस्कृति का हिस्सा मानता हूं और इन्हें किसी अधिकारी के आगे पीछे घूमने से हासिल किया जा सकता हैं.’

उन्होंने कहा, ‘इन पुरस्कारों के संबंध में किसी भी प्रकार की ईमानदारी की उम्मीद करना बेमानी है. मुझे लगता है कि क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा मिले नाम को ही अकादमी आगे बढ़ाती है और इस बारे में निष्पक्षता की बात करना बेकार है.’

साहित्य अकादमी के अध्यक्ष सुनील गंगोपाध्याय ने संपर्क किये जाने पर कहा, ‘मुझे इस बारे में अधिक कुछ नहीं पता है. इस वक्त मैं कोलकाता में हूं और दिल्ली आने पर इस सिलसिले में उपाध्यक्ष और सचिव से चर्चा करूंगा.’ इस बारे में साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष विश्वनाथ तिवारी ने अधिक कुछ कहने से बचते हुए इस मामले पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि अकादमी को सभी भारतीय भाषाओं को साथ लेकर चलना चाहिए तथा किसी भाषा के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए.

Advertisement

उर्दू के वरिष्ठ लेखक डा. अली जावेद ने कहा, ‘बीते एक दशक में साहित्य अकादमी की साख काफी गिर गयी है और यह स्थान जोड़ तोड़ का अड्डा बन गया है. यहां के चुनाव की प्रजातांत्रिक प्रणाली को ध्वस्त कर दिया गया है और गिरोह बंदी को अहमियत दी जाने लगी है.’

Advertisement
Advertisement