scorecardresearch
 

आने थे वापस लेकिन, जन्नत को चल दिए

वो चांद सितारों में क़ुरान के हर कलाम में बसता हैइंसान कभी हज़रत कभी ख़्वाजा जिसे कहता है

Advertisement
X
Peshawar attack
Peshawar attack

वो चांद सितारों में क़ुरान के हर कलाम में बसता है
इंसान कभी हज़रत कभी ख़्वाजा जिसे कहता है

उस अल्लाह को भी इंसान की हैवानियत रुला गई,
बिलखती मांओं की आवाज, उसके सीने को दहला गई

वो घर से निकले छोटे कदम बाहर ही रह गए
आने थे वापस लेकिन, जन्नत को चल दिए

हां, हमें यकीन है उस परवरदिगार पर
उन हैवानों को न मिलेगा दोजख में भी घर

Advertisement

यह रचना हमारे सहयोगी सुवासित दत्त ने लिखी है. आप भी अपनी रचनाएं booksaajtak@gmail.com पर भेज सकते हैं.

Advertisement
Advertisement